ETV Bharat / state

Martyrs Day Special: लाहौर से बाहर निकालने के लिए भगत सिंह की पत्नी बनी थी 'दुर्गा भाभी', जानिए उनके बारे में

23 मार्च यानी शहीद दिवस के मौके पर पूरा देश शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को याद कर रहा है. देश के लिए दिए गए उनके बलिदान को लेकर कई कहानियां आज हमारे बीच हैं. आइए आपको बताते हैं ऐसी ही शख्सियत क्रांतिकारी दुर्गा भाभी के बारे में, जिनकी मदद खुद शहीद भगत को लेनी पड़ी थी.

durga bhabhi who helped bhagat singh
durga bhabhi who helped bhagat singh
author img

By

Published : Mar 23, 2023, 12:53 PM IST

Updated : Mar 23, 2023, 1:24 PM IST

डॉ. कृष्ण कांत शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में 23 मार्च 1931 के दिन , स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा बदलने का काम किया गया था. इसी दिन देश के महान क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी. लेकिन देश की आजादी में महिला स्वतंत्रता सेनानियों का भी अहम योगदान रहा है. दुर्गा भाभी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शहीद भगत सिंह की प्रमुख सहयोगी थीं, जिनका गाजियाबाद से गहरा नाता रहा है. गाजियाबाद में उनके नाम पर दुर्गा भाभी चौक है, जहां उनकी प्रतिमा लगी हुई है. उनका पूरा नाम दुर्गा देवी वोहरा था और उनका जन्म 7 अक्टूबर 1907 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्तिथ शहजादपुर गांव में हुआ था. दुर्गा भाभी ने 14 अक्टूबर 1999 को गाजियाबाद में अंतिम सांस ली थी.

चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के इतिहास के प्रोफेसर डॉ. कृष्ण कांत शर्मा ने बताया कि, दुर्गा भाभी का गाजियाबाद से बहुत गहरा संबंध रहा है. उनके जीवन का एक लंबा समय गाजियाबाद में बीता. दुर्गा भाभी को लोग भाभी के नाम से इसलिए भी जानते हैं, क्योंकि उनका विवाह क्रांतिकारी भगवतीचरण वोहरा के साथ हुआ था. इतना ही नहीं शहीद भगत सिंह, सुखदेव और चंद्रशेखर आजाद भी उन्हें भाभी कहा करते थे. देशभर में आज वह दुर्गा भाभी के नाम से जानी जाती हैं.

प्रोफेसर कृष्ण कांत शर्मा बताते हैं कि, दुर्गा भाभी ने क्रांतिकारियों की अनेकों बार मदद की. जब क्रांतिकारी भगत सिंह और उनके साथियों ने लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए जॉन सैंडर्स की हत्या की थी, उस समय लाहौर पुलिस भगत सिंह और उनके साथियों को ढूंढ रही थी. ऐसे में भगत सिंह को पुलिस से बचाने और उस क्षेत्र से सकुशल बाहर निकालने के लिए दुर्गा भाभी 'दुर्गा' के अवतार में सामने आईं. उस समय वह भगत सिंह की पत्नी बनी और अपने छोटे बच्चे को साथ लिया. वहीं राजगुरु नौकर बने. कुछ इस तरह वह रेलगाड़ी से कलकत्ता के लिए निकले. लाहौर से कोलकाता की यात्रा तकरीबन 40 घंटों से अधिक की थी. लेकिन दुर्गा भाभी ने निर्भीकता का परिचयल देते हुए भगत सिंह और उनके साथियों के साथ देते हुए उन्हें सुरक्षित कोलकाता पहुंचाया था.

यह भी पढ़ें-Martyrs Day 2023 : दिल्ली से भी जुड़ी हैं भगत सिंह की यादें, एक दिन के लिए यहां किया गया था कैद

डॉ. शर्मा ने आगे बताया कि इतिहास में कई ऐसी घटनाएं दर्ज हैं, जिसमें दुर्गा भाभी ने अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए क्रांतिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया. बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कि जिस पिस्टल से चंद्रशेखर आजाद ने खुद को गोली मारकर देश की आजादी में अपना बलिदान दिया था, वह पिस्तौल दुर्गा भाभी ने ही चंद्रशेखर आजाद को दी थी.

यह भी पढ़ें-जंतर-मंतर से AAP करेगी "मोदी हटाओ-देश बचाओ" अभियान का आगाज, ये दिग्गज नेता होंगे शामिल

डॉ. कृष्ण कांत शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में 23 मार्च 1931 के दिन , स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा बदलने का काम किया गया था. इसी दिन देश के महान क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी. लेकिन देश की आजादी में महिला स्वतंत्रता सेनानियों का भी अहम योगदान रहा है. दुर्गा भाभी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शहीद भगत सिंह की प्रमुख सहयोगी थीं, जिनका गाजियाबाद से गहरा नाता रहा है. गाजियाबाद में उनके नाम पर दुर्गा भाभी चौक है, जहां उनकी प्रतिमा लगी हुई है. उनका पूरा नाम दुर्गा देवी वोहरा था और उनका जन्म 7 अक्टूबर 1907 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्तिथ शहजादपुर गांव में हुआ था. दुर्गा भाभी ने 14 अक्टूबर 1999 को गाजियाबाद में अंतिम सांस ली थी.

चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के इतिहास के प्रोफेसर डॉ. कृष्ण कांत शर्मा ने बताया कि, दुर्गा भाभी का गाजियाबाद से बहुत गहरा संबंध रहा है. उनके जीवन का एक लंबा समय गाजियाबाद में बीता. दुर्गा भाभी को लोग भाभी के नाम से इसलिए भी जानते हैं, क्योंकि उनका विवाह क्रांतिकारी भगवतीचरण वोहरा के साथ हुआ था. इतना ही नहीं शहीद भगत सिंह, सुखदेव और चंद्रशेखर आजाद भी उन्हें भाभी कहा करते थे. देशभर में आज वह दुर्गा भाभी के नाम से जानी जाती हैं.

प्रोफेसर कृष्ण कांत शर्मा बताते हैं कि, दुर्गा भाभी ने क्रांतिकारियों की अनेकों बार मदद की. जब क्रांतिकारी भगत सिंह और उनके साथियों ने लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए जॉन सैंडर्स की हत्या की थी, उस समय लाहौर पुलिस भगत सिंह और उनके साथियों को ढूंढ रही थी. ऐसे में भगत सिंह को पुलिस से बचाने और उस क्षेत्र से सकुशल बाहर निकालने के लिए दुर्गा भाभी 'दुर्गा' के अवतार में सामने आईं. उस समय वह भगत सिंह की पत्नी बनी और अपने छोटे बच्चे को साथ लिया. वहीं राजगुरु नौकर बने. कुछ इस तरह वह रेलगाड़ी से कलकत्ता के लिए निकले. लाहौर से कोलकाता की यात्रा तकरीबन 40 घंटों से अधिक की थी. लेकिन दुर्गा भाभी ने निर्भीकता का परिचयल देते हुए भगत सिंह और उनके साथियों के साथ देते हुए उन्हें सुरक्षित कोलकाता पहुंचाया था.

यह भी पढ़ें-Martyrs Day 2023 : दिल्ली से भी जुड़ी हैं भगत सिंह की यादें, एक दिन के लिए यहां किया गया था कैद

डॉ. शर्मा ने आगे बताया कि इतिहास में कई ऐसी घटनाएं दर्ज हैं, जिसमें दुर्गा भाभी ने अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए क्रांतिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया. बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कि जिस पिस्टल से चंद्रशेखर आजाद ने खुद को गोली मारकर देश की आजादी में अपना बलिदान दिया था, वह पिस्तौल दुर्गा भाभी ने ही चंद्रशेखर आजाद को दी थी.

यह भी पढ़ें-जंतर-मंतर से AAP करेगी "मोदी हटाओ-देश बचाओ" अभियान का आगाज, ये दिग्गज नेता होंगे शामिल

Last Updated : Mar 23, 2023, 1:24 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.