नई दिल्ली/गजियाबाद: एकादशी तिथि हर माह में दो बार पड़ती है, जिसका व्रतों में बड़ा महत्व है. यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने का सबसे आसान तरीका माना जाता है. भादप्रद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार यह एकादशी सोमवार, 25 सितंबर, 2023 को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है. इसे जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है.
ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा ने बताया कि इस परिवर्तनी एकादशी पर सुकम्रा योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है. साथ ही यह त्रिस्पर्षा एकादशी है, जिसका मतलब है कि इस दिन एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तीनों तिथियां रहेंगी. शास्त्रों के अनुसार, देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं. वहीं परिवर्तनीय एकादशी के दिन वे अपनी शेष शैय्या पर करवट बदलते हैं. कहा जाता है कि इस दौरान वह प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं. ऐसे में भक्त जो भी मनोकामना मांगता है वह पूरी होती है. इस कारण परिवर्तिनी एकादशी को बेहद फलदाई बताया जाता है.
एकादशी तिथि का शुरुआत: सोमवार, 25 सितम्बर, 2023 सुबह 07:55 से शुरू होगा
एकादशी तिथि का समाप्त: मंगलवार, 26 सितंबर, 2023 सुबह 05:00 पर समाप्त होगा
व्रत पारण समय: 26 सितंबर दोपहर एक बजकर 25 मिनट से 03:49 बजे तक
पूजा विधि: प्रात: काल उठें और स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें. इसके बाद घर के मंदिर को साफ कर दीप प्रज्वलित करें. फिर भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक कर पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें. बाद में भोग आदि लगाकर भगवान विष्णु की आरती करें और परिजनों में प्रसाद वितरित करें.
मान्यता: मान्यताओं के मुताबिक परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखने से वाजपेय यज्ञ करने का फल मिलता है. साथ ही सभी प्रकार के पाप और कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में आर्थिक स्थिरता बनी रहती है. और तो और विभिन्न प्रकार के कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती है.
Disclaimer- खबर धार्मिक मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. ईटीवी भारत किसी भी मान्यता की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी यह मान्यता को अमल में लेने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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