नई दिल्ली/गाजियाबाद: चार जुलाई से श्रावण मास शुरू होने जा रहा है, जो भगवान शिव को अति प्रिय है. इस मास में केवल भोलेनाथ ही नहीं, बल्कि माता पार्वती के मंगला गौरी स्वरूप का भी व्रत-पूजन किया जाता है. पुराणों के अनुसार, माता मंगला गौरी का व्रत करने से विवाहित महिलाओं के पति को दीर्घायु प्राप्त होती है और युवतियों की जन्म कुंडली से अशुभ योग दूर होते हैं. साथ ही अविवाहित युवतियों को यह व्रत करने से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.
ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि यह व्रत श्रावण मास के मंगलवार को रखा जाता है, इसलिए पहला मंगला गौरी व्रत चार जुलाई को रखा जाएगा. इस बार अधिक मास होने के चलते श्रावण मास दो महीने का रहेगा. इसलिए चार जुलाई के बाद 11 जुलाई, 18 जुलाई, 25 जुलाई, एक अगस्त, आठ अगस्त, 15 अगस्त, 22 अगस्त और 29 अगस्त को मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा. इसके कम से कम पांच या नौ व्रत किए जा सकते हैं.
ऐसे करें पूजन: इस दिन व्रती को प्रात: काल उठकर माता मंगला गौरी और भगवान शिव का ध्यान और पूजन करना चाहिए. पूजन के समय माता मंगला गौरी को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं, मिष्ठान, पुष्पमाला, नैवैद्य आदि अर्पित करें और भगवान शिव को वस्त्र आदि अर्पित करें. इसके साथ मंदिर अथवा घर में कथा भी सुन सकते हैं.
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जानें व्रत का फल: इस व्रत को करने से महिलाओं के पति की आयु बढ़ती है और दुर्भाग्य का नाश होता है. इसके अलावा कुंडली में अशुभ योग का नाश होता है. मंगला गौरी व्रत को विवाहित महिलाओं के साथ अविवाहित युवतियां भी कर सकती हैं. वहीं इस व्रत को संतान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है.