नई दिल्ली/गाजियाबाद: ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की शुरुआत शनिवार 20 मई से हो चुकी है. इस माह की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है जो मंगलवार, 23 मई को मनाई जाएगी. इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है. ऐसा करने से जीवन में सुख, शांति, ज्ञान, धन और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है. इसको लेकर यह भी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से जीवन की सभी समस्याओं और संकटों से छुटकारा मिलता है.
पूजन विधि: ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें. स्नान के दौरान गंगाजल युक्त पानी का इस्तेमाल करें. पूजा से पहले मंदिर की सफाई करें. इसके बाद मंदिर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें. फिर भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करें और उन्हें चंदन और दूर्वा अर्पित करें. साथ ही 'ॐ गणेशाय नमः' या 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें. पूजन के बाद भगवान गणेश को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं और उनकी आरती करें.
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त-
- ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी प्रारंभ: 22 मई (सोमवार) 11.18 PM
- ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी समाप्त: 24 मई (बुधवार), 12:57 AM
- ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी का व्रत 23 मई (मगंलवार) को रखा जाएगा.
इन बातों का रखें विशेष ध्यान-
- भगवान गणेश की खंडित प्रतिमा या फिर फटी-गली हुई फोटो की पूजा न करें.
- मंदिर में भगवान गणेश की दो मूर्तियों का एक साथ पूजन न करें और न ही मंदिर में एक साथ दो मूर्तियां रखें.
- ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी पर तामसिक भोजन जैसे मांस, प्याज और लहसुन का सेवन न करें. साथ ही किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि से भी दूर रहें.
- पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है.
- हिंदू धर्म प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान और उससे प्रेम से व्यवहार करना सिखाता है. ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी पर विशेष तौर पर ख्याल रखें कि किसी से गलत वाणी का प्रयोग न करें. न ही किसी पर गुस्सा करें. इसके अलावा अपशब्द का प्रयोग करने से भी बचें.
- ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की सवारी यानि चूहों को भूलकर भी परेशान न करें.
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