नई दिल्ली: ज्येष्ठ मास का आखिरी प्रदोष व्रत एक जून को रखा जाएगा. गुरुवार को पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है. यह व्रत करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं और श्रद्धा भाव से प्रदोष व्रत रखने से व्रती की सभी समस्याओं का निस्तारण होता है. साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य और स्थिरता की प्राप्ति होने के साथ कष्टों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि गुरु प्रदोष का व्रत करने से दो गायों के दान करने का पुण्य मिलता है और कार्य क्षेत्र में सफलता मिलती है.
ऐसे करें व्रत: प्रदोष व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें. इसके बाद स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनें और गुरु प्रदोष व्रत का संकल्प लें. फिर घर के मंदिर को साफ करें और फिर भगवान शिव का जलाभिषेक करें. ध्यान रखें कि प्रदोष व्रत के दौरान शाम की पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन शाम के समय पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
पूजा का मुहूर्त-
- पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि एक जून 2023 को दोपहर 01:39 से शुरू हो रही है.
- त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 2 जून 2023 को रात 12 बजकर 48 मिनट पर होगी.
- गुरु प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त - शाम 07:14 - रात 09:16 (1 जून 2023)
प्रदोष व्रत के दिन ओम नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें. ऐसा करने से शरीर और मन शांत रहता है. साथ ही महादेव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन रूद्र मंत्र का जाप करना भी बेहद फलदाई माना गया है.
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