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Bhadrapada Poornima 2023: इस दिन मनाई जाएगी भाद्रपद पूर्णिमा, जानें भगवान विष्णु को कैसे करें प्रसन्न - भाद्रपद पूर्णिमा

भाद्रपद माह की पूर्णिमा का बहुत महत्व बताया गया है. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के पूजन से व्यक्ति को उनकी कृपा प्राप्त होती है. साथ ही इस दिन व्रत करने व सत्यनारायण भगवान की कथा सुनना भी विशेष फलदाई होता है. पढ़ें पूरी खबर..

Bhadrapada Poornima 2023
Bhadrapada Poornima 2023
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 28, 2023, 5:20 PM IST

Updated : Sep 28, 2023, 6:33 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भाद्रपद पूर्णिमा कहा जाता है. इस दिन से पितृपक्ष की शुरुआत होती है. पूर्णिमा तिथि 28 सितंबर से ही लग जाएगी, जो 29 सितंबर दोपहर तक रहेगी. हालांकि, उदयातिथि के कारण पूर्णिमा 29 सितंबर को मनाई जाएगी.

ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा ने बताया कि भाद्रपद पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना फलदाई होता है. यदि ऐसा करने में व्यक्ति असमर्थ हैं तो घर में ही पानी में गंगाजल मिलकर स्नान करना चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजन अर्चना करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही इस दिन गरीबों को अन्न और वस्त्र दान करने से घर में संपन्नता और आर्थिक स्थिरता का स्थाई वास होता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है. हो सके तो भाद्रपद पूर्णिमा के दिन परिवार के साथ भगवान सत्यनारायण की कथा जरूर सुनें.

गंग नहर में करते हैं स्नान: दिल्ली एनसीआर के लोग गाजियाबाद में मुरादनगर की गंग नहर में स्नान करने जाते हैं. इसे छोटा भी हरिद्वार कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि यहां हरिद्वार में मां गंगा आईं थीं. ऐसे में पूर्णिमा के दिन यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दिखाई देती है. लोगों का मानना है कि यहां स्नान करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं.

  1. भाद्रपद पूर्णिमा तिथि 28 सितंबर, गुरुवार शाम 06:50 बजे से लगेगी.
  2. पूर्णिमा तिथि का समापन 29 सितंबर, शुक्रवार दोपहर 03:28 बजे होगा.

व्रत-पूजन विधि: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान सत्यनारायण और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को को स्नान कराकर सिंहासन पर बिठाएं और पुष्प चढ़ाकर मिष्ठान का भोग लगाएं. इसके बाद धूप-दीप जलाएं और आरती कर प्रसाद वितरण करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई जानकारी एक्सपर्ट से बातचीत पर आधारित है. इसकी सटीकता और सत्यता की ईटीवी भारत पुष्टि नहीं करता है. खबर में दी गई जानकारी मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित हैं. खबर केवल जानकारी के लिए है. किसी भी जानकारी को अमल मिलने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें.

यह भी पढ़ें- Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष में भूलकर भी ना करें ये 8 काम, वरना नाराज हो जाएंगे आपके पितर

यह भी पढ़ें- Pitra Paksha 2023: इस दिन से शुरू होगा पितृ पक्ष, ऐसे करें अपने पितरों को प्रसन्न

नई दिल्ली/गाजियाबाद: भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भाद्रपद पूर्णिमा कहा जाता है. इस दिन से पितृपक्ष की शुरुआत होती है. पूर्णिमा तिथि 28 सितंबर से ही लग जाएगी, जो 29 सितंबर दोपहर तक रहेगी. हालांकि, उदयातिथि के कारण पूर्णिमा 29 सितंबर को मनाई जाएगी.

ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा ने बताया कि भाद्रपद पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना फलदाई होता है. यदि ऐसा करने में व्यक्ति असमर्थ हैं तो घर में ही पानी में गंगाजल मिलकर स्नान करना चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजन अर्चना करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही इस दिन गरीबों को अन्न और वस्त्र दान करने से घर में संपन्नता और आर्थिक स्थिरता का स्थाई वास होता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है. हो सके तो भाद्रपद पूर्णिमा के दिन परिवार के साथ भगवान सत्यनारायण की कथा जरूर सुनें.

गंग नहर में करते हैं स्नान: दिल्ली एनसीआर के लोग गाजियाबाद में मुरादनगर की गंग नहर में स्नान करने जाते हैं. इसे छोटा भी हरिद्वार कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि यहां हरिद्वार में मां गंगा आईं थीं. ऐसे में पूर्णिमा के दिन यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दिखाई देती है. लोगों का मानना है कि यहां स्नान करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं.

  1. भाद्रपद पूर्णिमा तिथि 28 सितंबर, गुरुवार शाम 06:50 बजे से लगेगी.
  2. पूर्णिमा तिथि का समापन 29 सितंबर, शुक्रवार दोपहर 03:28 बजे होगा.

व्रत-पूजन विधि: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान सत्यनारायण और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को को स्नान कराकर सिंहासन पर बिठाएं और पुष्प चढ़ाकर मिष्ठान का भोग लगाएं. इसके बाद धूप-दीप जलाएं और आरती कर प्रसाद वितरण करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई जानकारी एक्सपर्ट से बातचीत पर आधारित है. इसकी सटीकता और सत्यता की ईटीवी भारत पुष्टि नहीं करता है. खबर में दी गई जानकारी मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित हैं. खबर केवल जानकारी के लिए है. किसी भी जानकारी को अमल मिलने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें.

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Last Updated : Sep 28, 2023, 6:33 PM IST
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