नई दिल्ली/नोएडा : ग्रेटर नोएडा को इलेक्ट्रॉनिक्स वेस्ट से निजात दिलाने के लिए प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने एक बड़ी पहल की है. सीईओ ने ई-वेस्ट प्रोसेस करने वाली एजेंसी का शीघ्र चयन करने के निर्देश दिए हैं. सीईओ ने जलपुरा की गोशाला में गोवंशों के लिए एक और शेड जल्द बनाने को कहा है.
प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने बुधवार को जन स्वास्थ्य विभाग के कार्यों की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि सॉलिड वेस्ट को प्रोसेस कराना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी ई-वेस्ट का निस्तारण करना भी है. इसलिए ई-वेस्ट को प्रोसेस करने वाली एजेंसी का चयन जल्द कर काम शुरू कर देना चाहिए. जन सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए ग्रेटर नोएडा में 30 और टॉयलेट बनाने के निर्देश दिए हैं.
बता दें कि इससे पहले भी 30 टॉयलेट बनाए गए हैं, जिनमें से 19 का उपयोग शुरू हो चुका है. 11 टॉयलेट लगभग बनकर तैयार हैं. इनको जल्द ही उपयोग में लाने की योजना है. सीईओ ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट के डी पार्क में प्रस्तावित वेस्ट टू वंडर बनाने वाली एजेंसी का चयन कर कार्य जल्द शुरू कराने के निर्देश दिए हैं. जलपुरा स्थित गोशाला में गोवंश रखने की क्षमता बढ़ाने के लिए एक और शेड बनाने को कहा है, जिससे करीब 1200 गोवंशों को रखने की सुविधा हो जाएगी. ग्रेटर नोएडा के सार्वजनिक जगहों पर 600 नए डस्टबिन रखे जाएंगे.
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सीईओ ने निवासियों से डस्टबिन में ही कूड़ा फेंकने की अपील की है. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की टीम को पालतू जानवरों के पंजीकरण के लिए ऐप को शीघ्र तैयार करने के निर्देश दिए हैं. ऐप तैयार होते ही पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. सीईओ ने सफाई से जुड़ी टीम को वॉकी-टॉकी से लैस करने को कहा है, ताकि बेहतर हो सके. काम में और तेजी आ सके. बैठक में एसीईओ प्रेरणा शर्मा, ओएसडी रजनीकांत समेत कई अधिकारीगण मौजूद रहे.
किसानों को छह फीसदी आवासीय भूखंड
किसानों को छह फीसदी आवासीय भूखंड जल्द उपलब्ध कराने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने बुधवार को समीक्षा बैठक की. लीज प्लान जारी करने और किसानों के नाम लीज डीड कराने में धीमी गति पर सीईओ ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई. साथ ही लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी.
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ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को जमीन देने वाले किसानों को विकसित एरिया में छह फीसदी रिहायशी भूखंड दिया जाता है. भूलेख विभाग से पात्रता तय होने के बाद नियोजन विभाग प्लॉट नियोजित करता है. प्रोजेक्ट विभाग उसे विकसित कर लीज प्लान जारी करता है और फिर किसानों के नाम लीज डीड होती है. सीईओ रितु माहेश्वरी ने बुधवार को छह फीसदी आवासीय भूखंड से जुड़े सभी विभागों की समीक्षा की. पूर्व में दिए गए निर्देश पर धीमी प्रगति से नाराज सीईओ ने अधिकारियों को फटकार लगाई.