ETV Bharat / state

उद्योगों को 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करें सरकार: सुरेंद्र सिंह नाहटा - एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा

एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा के जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने कहा कि हमारी सरकार से निवेदन है कि उद्योगों को निर्बाध बिजली आपूर्ति उपलब्ध कराई जाए. इससे प्रदेश का औद्योगिक विकास प्रभावित नहीं होगा और प्रदेश को वन ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में गौतमबुद्ध नगर के उद्यमी सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकेंगे.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Apr 25, 2023, 6:29 PM IST

एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा

नई दिल्ली/नोएडा: एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा की तरफ से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री को बिजली समस्या को लेकर पत्र लिखा है. पत्र में जिले में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति की व्यवस्था को सुनिश्चित करने की अपील की गई है. पत्र में लिखा है कि 15 मई से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में डीजल से चलने वाले जनरेटरों पर पूर्ण प्रतिबंध लगने जा रहा है. नो पावर कट जोन होने के बावजूद नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक क्षेत्र आदि के उद्योग अघोषित बिजली कटौती से जूझ रहे हैं. औद्योगिक इकाइयों के सामने रोजाना पांच से छह घंटे कटौती का विकल्प सिर्फ जनरेटर सेट ही हैं.

ऐसे में फैसला लागू होने पर 20 हजार से ज्यादा उद्योग प्रभावित होंगे. नोएडा-ग्रेटर नोएडा के उद्योगों के अलावा व्यापारिक प्रतिष्ठानों में 40 से 50 हजार जनरेटर सेट लगे होने का अनुमान है. ऐसी बहुत इकाइयां हैं, जिनमें आज भी पुराने डीजल जनरेट सेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. छोटी औद्योगिक इकाइयों में कम से कम 17 केवीए क्षमता तो बड़ी इकाइयों में 4,000 केवीए क्षमता तक के एक या इससे अधिक जनरेटर सेट चल रहे हैं.

एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने कहा कि हर साल अक्तूबर में प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू होता है. इस बार वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के आदेशानुसार 15 मई के बाद दोहरे ईंधन से चलने वाले जनरेटरों का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा. डीजी सेट में 70 प्रतिशत प्राकृतिक गैस और 30 प्रतिशत डीजल के प्रयोग की स्वीकृति होगी. तय समयसीमा के बाद डीजल जनरेटर चालू हालत में मिलने पर 50 से अधिक टीमें जनरेटरों को सील करने और उद्योगों को बंद कराने की कार्रवाई करेंगी.

साथ ही दोहरे ईंधन की व्यवस्था करने तक पांच हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा. हजारों की संख्या में उद्यमी-व्यापारियों के लिए इतने कम समय में पीएनजी से चलने वाले जनरेटर खरीदना और पुराने जनरेटरों को दोहरे ईंधन में तब्दील करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.

उद्योगों को 24 घंटे बिजली आपूर्ति करने की अपीलः एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा ने मांग की है कि जिले में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति की व्यवस्था को सुनिश्चित किया जाए. कोई उद्यमी जनरेटर चलाकर महंगी बिजली लेना नहीं चाहता, लेकिन गर्मियों में चार से छह घंटे की बिजली कटौती के बीच मजबूरी में जनरेटर चलाने पड़ते हैं. अधिकांश औद्योगिक सेक्टरों में गैस की आपूर्ति है, लेकिन उद्यमियों को पुरानी व्यवस्था बदलने में समय लगेगा. दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा को स्वच्छ बनाने में उद्यमी तैयार हैं. कम से कम क्षमता के डीजी सेट को डीजल से गैस बदलने में 4 से 5 लाख रुपये खर्च आता है. अधिक क्षमता पर यह खर्च कई गुना बढ़ जाता है.

गैस आधारित जनरेटर को बढ़ावा देने के लिए सरकार को योजना बनानी चाहिए. हर साल जनरेटर चलाने पर पाबंदी से उद्योगों को भारी आर्थिक क्षति की शिकायत की जाती रही हैं. इसके बावजूद पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. अगर समय रहते विद्युत निगम अपनी ढांचागत सुविधाओं में सुधार कर लेता तो उद्योगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता.

इसे भी पढ़ें: Delhi Govt Website: अब एक क्लिक में उपलब्ध होंगी सारी जानकारियां, केजरीवाल ने की 180 नई वेबसाइट लॉन्च

एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा

नई दिल्ली/नोएडा: एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा की तरफ से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री को बिजली समस्या को लेकर पत्र लिखा है. पत्र में जिले में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति की व्यवस्था को सुनिश्चित करने की अपील की गई है. पत्र में लिखा है कि 15 मई से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में डीजल से चलने वाले जनरेटरों पर पूर्ण प्रतिबंध लगने जा रहा है. नो पावर कट जोन होने के बावजूद नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक क्षेत्र आदि के उद्योग अघोषित बिजली कटौती से जूझ रहे हैं. औद्योगिक इकाइयों के सामने रोजाना पांच से छह घंटे कटौती का विकल्प सिर्फ जनरेटर सेट ही हैं.

ऐसे में फैसला लागू होने पर 20 हजार से ज्यादा उद्योग प्रभावित होंगे. नोएडा-ग्रेटर नोएडा के उद्योगों के अलावा व्यापारिक प्रतिष्ठानों में 40 से 50 हजार जनरेटर सेट लगे होने का अनुमान है. ऐसी बहुत इकाइयां हैं, जिनमें आज भी पुराने डीजल जनरेट सेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. छोटी औद्योगिक इकाइयों में कम से कम 17 केवीए क्षमता तो बड़ी इकाइयों में 4,000 केवीए क्षमता तक के एक या इससे अधिक जनरेटर सेट चल रहे हैं.

एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने कहा कि हर साल अक्तूबर में प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू होता है. इस बार वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के आदेशानुसार 15 मई के बाद दोहरे ईंधन से चलने वाले जनरेटरों का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा. डीजी सेट में 70 प्रतिशत प्राकृतिक गैस और 30 प्रतिशत डीजल के प्रयोग की स्वीकृति होगी. तय समयसीमा के बाद डीजल जनरेटर चालू हालत में मिलने पर 50 से अधिक टीमें जनरेटरों को सील करने और उद्योगों को बंद कराने की कार्रवाई करेंगी.

साथ ही दोहरे ईंधन की व्यवस्था करने तक पांच हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा. हजारों की संख्या में उद्यमी-व्यापारियों के लिए इतने कम समय में पीएनजी से चलने वाले जनरेटर खरीदना और पुराने जनरेटरों को दोहरे ईंधन में तब्दील करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.

उद्योगों को 24 घंटे बिजली आपूर्ति करने की अपीलः एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा ने मांग की है कि जिले में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति की व्यवस्था को सुनिश्चित किया जाए. कोई उद्यमी जनरेटर चलाकर महंगी बिजली लेना नहीं चाहता, लेकिन गर्मियों में चार से छह घंटे की बिजली कटौती के बीच मजबूरी में जनरेटर चलाने पड़ते हैं. अधिकांश औद्योगिक सेक्टरों में गैस की आपूर्ति है, लेकिन उद्यमियों को पुरानी व्यवस्था बदलने में समय लगेगा. दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा को स्वच्छ बनाने में उद्यमी तैयार हैं. कम से कम क्षमता के डीजी सेट को डीजल से गैस बदलने में 4 से 5 लाख रुपये खर्च आता है. अधिक क्षमता पर यह खर्च कई गुना बढ़ जाता है.

गैस आधारित जनरेटर को बढ़ावा देने के लिए सरकार को योजना बनानी चाहिए. हर साल जनरेटर चलाने पर पाबंदी से उद्योगों को भारी आर्थिक क्षति की शिकायत की जाती रही हैं. इसके बावजूद पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. अगर समय रहते विद्युत निगम अपनी ढांचागत सुविधाओं में सुधार कर लेता तो उद्योगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता.

इसे भी पढ़ें: Delhi Govt Website: अब एक क्लिक में उपलब्ध होंगी सारी जानकारियां, केजरीवाल ने की 180 नई वेबसाइट लॉन्च

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.