नई दिल्ली/नोएडाः समावेशी दिव्यांगजन उद्यमी संघ (आईडीईए) ने सहायक प्रतियोगी की ग्लोबल असीस्टिव टेक्नोलॉजी एक्सपो एंड कॉन्फ्रेंस (जीएटीईसी) को बढ़ावा देने के लिए पहला वैश्विक कार्यक्रम आयोजित किया. आयोजन 23 मार्च से 25 मार्च तक ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में होगा. जीएटीईसी 2023 दिव्यांग जनों के लिए सहायक प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित मंच है.
कार्यक्रम की शुरुआत गुरुवार को गोवा के कैबिनेट मंत्री और सामाजिक न्याय व अधिकारिक राज्य मंत्री सुभाष फलदेसाई के उद्घाटन भाषण के साथ हुई. उन्होंने कहा कि दिव्यांगों के सशक्तिकरण के उद्देश्य के साथ हमने इसी साल जनवरी में गोवा में पर्पल फेस्ट आयोजित किया था. जीएटीईसी ने व्यक्ति आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता बढ़ाने की पहल के साथ इस दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाया है. जिसका उद्देश्य दिव्यांग जनों खासकर वित्तीय परेशानी से जूझ रहे लोगों को सहायक तकनीक मुहैया कराना है. ताकि वह सम्मान के साथ जीविका चला सके और सिर्फ समाज का हिस्सा ही नहीं बल्कि उत्पादक भागीदार भी बन सके.
आईडीईए के संस्थापक और सीईओ मल्लिकार्जुन इयथा ने कहा कि समावेशी भारत के निर्माण के लिए देश के प्रधानमंत्री के आह्वान पर एबिलिटी एक्सपो का उद्देश्य दिव्यांग जनों विकलांग व्यक्तियों की क्षमताओं को लेकर उनके विश्वास को और मजबूत करने के लिए प्रेषित करता है. उन्होंने कहा कि कई बार दिव्यांगजन अपनी अक्षमताओं के कारण अपने सपनों और व्यक्तिगत आकांक्षाओं को छोड़ देते हैं. इस एक्सपो के माध्यम से आइडिया सही प्रशिक्षण ऑल संवेदीकरण के माध्यम से सामाजिक समावेश सार्थक करने का प्रयास कर रहा है.
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तीन दिवसीय सम्मेलन में 10 से ज्यादा देशों 250 कंपनियों 100 से अधिक और 3000 से अधिक वैश्विक प्रतिभागी हिस्सा लेंगे. आइकॉनेक्स एग्जिबीशंस प्राइवेट लिमिटेड के निर्देशक राजीव बंसल ने कहा कि दिव्यांग व्यक्ति की कार्यात्मक क्षमताओं को बढ़ाने बनाने या सुधारने के लिए उपयोग की जाने वाली कोई भी चीज सहायक तकनीक मानी जाती है. इनमें कृत्रिम अंग ब्रसीज, वॉकर खास तरह के स्विच विशेष कंप्यूटर जैसे उपकरण स्क्रीन रीडर और विशेष शैक्षिक सॉफ्टवेयर के साथ-साथ तकनीकी की भी एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है.
इंडिया एक्सपो मार्ट में किए जा रहे इस कार्यक्रम के पहले दिन 100 दिव्यांगों को व्यवसाय स्थापित करने के लिए प्रति व्यक्ति 25,000 रुपए का बीज अनुदान दिया गया. साथ ही 200 उद्यमियों को दिव्यांगजन हुनर आत्मनिर्भर किट बांटे गए. कार्यक्रम में औपचारिक रूप से दिव्यांगजन होना आत्मनिर्भर नेटवर्क (डीएचएएन) भी लांच किया गया.
सहायक प्रौद्योगिकी पर तैयार की गई एक वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, 2.5 अरब लोगों को कम से कम 1 सहायक उत्पाद की आवश्यकता है. 2050 तक ऐसे उत्पादकों की मांग 3.5 बिलियन तक जाने की उम्मीद है. इस दिशा में आवश्यकता एक चश्मे से लेकर आधुनिक उन्नत माय इलेक्ट्रिक हाथ या फिर रोबोटिक एक्सोस्केलेटिन तक की हो सकती है. हालांकि, सहायक प्रतियोगीकी की आवश्यकता वाले 10 में से लगभग 9 लोगों के पास इसकी पहुंच नहीं है, ऐसे में इनका व्यक्तियों परिवारों समुदायों और समाजों की शिक्षा आजीविका स्वस्थ और कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.