ETV Bharat / state

Ghaziabad: मॉडर्न फार्मिंग से होगी फलों व फूलों की बेहतर पैदावार, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से किसानों को मिलेंगे पौधे - District Horticulture Officer Nidhi Singh

गाजियाबाद के किसान मॉडर्न फार्मिंग की मदद से फलों व फूलों की बेहतर पैदावार कर सकते हैं. इसके लिए उद्यान विभाग की नर्सरी में तैयार किये गए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से किसानों को पौधे दिये जाएंगे.

Ghaziabad में होगी स्ट्रॉबेरी की खेती
Ghaziabad में होगी स्ट्रॉबेरी की खेती
author img

By

Published : Jul 18, 2023, 6:45 PM IST

Ghaziabad में होगी स्ट्रॉबेरी की खेती

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद में मॉडर्न फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए लगातार उद्यान विभाग की तरफ से कवायद की जा रही है. कविनगर स्थित उद्यान विभाग की नर्सरी में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार किए गए हैं. इन्हें आसान भाषा में हाईटेक नर्सरी भी कह सकते हैं. यहां स्ट्रॉबेरी समेत विभिन्न फलों और फूलों की खेती करने के लिए पॉलीहाउस में सेपलिंग तैयार किए जाएंगे.

जिला उद्यान अधिकारी निधि सिंह के मुताबिक हाईटेक नर्सरी (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) तीन कांसेप्ट पर काम करता है. हाईटेक नर्सरी में सीडर मशीन होती है, जिसके माध्यम से ट्रे में सीडिंग की जाती है. जिसके बाद ट्रे को प्रोडक्शन एरिया में शिफ्ट कर दिया जाता है. प्रोडक्शन एरिया में टेंपरेचर को मेंटेन किया जाता है जिससे कि सीड जर्मिनेट हो सके. तकरीबन 15 दिन तक प्रोडक्शन एरिया में रखा जाता है. जिसके बाद ट्रे को हार्डेनिंग चेंबर में शिफ्ट कर दिया जाता है.

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तैयार हुए पौधे की गुणवत्ता दोगुनीः यहां जर्मिनेट हुए पौधों को दो हफ्ते से महीने भर तक रखा जाता है. इस पूरे प्रोसेस के बाद एकदम स्वस्थ पौधा तैयार होता है. जिसे किसान सीधे अपने खेत में लगा सकता हैं. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तैयार हुए पौधे की गुणवत्ता अन्य पौधों की तुलना में तकरीबन डेढ़ से दोगुना होती है. जिससे कि फसल का प्रोडक्शन भी बेहतर होता है.

कैसे होती है स्ट्रॉबेरी की खेती?
कैसे होती है स्ट्रॉबेरी की खेती?

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तैयार पौधों से होता है बेहतर प्रोडक्शनः सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तैयार पौधों को यदि किसान अपने खेतों में लगाते हैं तो इससे न सिर्फ प्रोडक्शन बेहतर होता है, बल्कि समय की भी काफी बचत होती है. उदाहरण के तौर पर किसान के खेत में कोई फसल खड़ी है और उसको कटने में अभी महीने भर का वक्त बाकी है. ऐसे में किसान महीने भर पहले ही किसी अन्य फसल के बीज लाकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में दे सकता है.

जहां महीने भर में पौधे तैयार होकर किसान को मिल सकते हैं. जब किसान अपनी फसल काट कर जमीन को तैयार करेगा तो उसे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से तैयार हुए पौधे मिल जाएंगे, जो वह सीधे अपने खेत में लगा सकता है. उदाहरण के तौर पर एक साधारण पौधे में 25 से 30 फल आते हैं, जबकि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तैयार हुए पौधे में तकरीबन 40 से 50 फल आते हैं. जिससे सीधे तौर पर किसानों की इनकम में वृद्धि होगी.

भारत में स्ट्राबेरी की इन  किस्मों की होती है खेती
भारत में स्ट्राबेरी की इन किस्मों की होती है खेती

सेंटर से किसानों को सिर्फ 2 रुपए में मिलेगा स्ट्रॉबेरी का पौधाः सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में स्ट्रॉबेरी के पौधे भी तैयार किए जा सकते हैं. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तैयार हुए स्ट्रॉबेरी के पौधों की क्वालिटी सामान्य पौधों की तुलना में काफी अच्छी होती है जिससे कि प्रोडक्शन बेहतर होता है. जिला उद्यान अधिकारी निधि सिंह के मुताबिक किसानों को सिर्फ स्ट्रॉबेरी के बीज उपलब्ध कराने होंगे, जिसके बाद महीने भर में किसानों को स्ट्रॉबेरी के तैयार हुए पौधे मिल जाएंगे. किसान को सिर्फ 2 रुपए प्रति पौधे की कीमत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को चुकानी होगी.

जिले में किसानों की ओर से स्ट्रॉबेरी की खेती करने की काफी डिमांडः जिला उद्यान अधिकारी के मुताबिक गाजियाबाद में किसानों की ओर से स्ट्रॉबेरी की खेती करने की काफी डिमांड आ रही है. मुरादनगर और भोजपुर ब्लॉक के किसानों द्वारा स्ट्रॉबेरी की खेती करने की डिमांड आ रही है. स्ट्रॉबेरी की फ्रूटिंग फरवरी में होती है, ऐसे में सितंबर से सेपलिंग तैयार कर सकते हैं. सितंबर में इसकी शुरुआत होगी, जिसके बाद तैयार हुए सेपलिंग किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे.

फिलहाल पांच हेक्टेयर में स्ट्रॉबेरी की खेती करने का शासन द्वारा टारगेट दिया गया है. गाजियाबाद के कविनगर में उद्यान विभाग की नर्सरी में जो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार किए गए हैं, उनमें प्रतिदिन 15 हजार पौधों की सीडिंग की जा सकती है, जबकि 15 लाख पौधों को एक साल में तैयार किया जा सकता है. किसानों को मॉडर्न फार्मिंग के प्रति जागरूक करने के लिए उद्यान विभाग द्वारा जागरूक किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें: Tomato Price Delhi-NCR: यहां मिल रहा है 70 रुपए किलो टमाटर, सुरक्षाकर्मी भी किए गए तैनात

Ghaziabad में होगी स्ट्रॉबेरी की खेती

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद में मॉडर्न फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए लगातार उद्यान विभाग की तरफ से कवायद की जा रही है. कविनगर स्थित उद्यान विभाग की नर्सरी में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार किए गए हैं. इन्हें आसान भाषा में हाईटेक नर्सरी भी कह सकते हैं. यहां स्ट्रॉबेरी समेत विभिन्न फलों और फूलों की खेती करने के लिए पॉलीहाउस में सेपलिंग तैयार किए जाएंगे.

जिला उद्यान अधिकारी निधि सिंह के मुताबिक हाईटेक नर्सरी (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) तीन कांसेप्ट पर काम करता है. हाईटेक नर्सरी में सीडर मशीन होती है, जिसके माध्यम से ट्रे में सीडिंग की जाती है. जिसके बाद ट्रे को प्रोडक्शन एरिया में शिफ्ट कर दिया जाता है. प्रोडक्शन एरिया में टेंपरेचर को मेंटेन किया जाता है जिससे कि सीड जर्मिनेट हो सके. तकरीबन 15 दिन तक प्रोडक्शन एरिया में रखा जाता है. जिसके बाद ट्रे को हार्डेनिंग चेंबर में शिफ्ट कर दिया जाता है.

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तैयार हुए पौधे की गुणवत्ता दोगुनीः यहां जर्मिनेट हुए पौधों को दो हफ्ते से महीने भर तक रखा जाता है. इस पूरे प्रोसेस के बाद एकदम स्वस्थ पौधा तैयार होता है. जिसे किसान सीधे अपने खेत में लगा सकता हैं. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तैयार हुए पौधे की गुणवत्ता अन्य पौधों की तुलना में तकरीबन डेढ़ से दोगुना होती है. जिससे कि फसल का प्रोडक्शन भी बेहतर होता है.

कैसे होती है स्ट्रॉबेरी की खेती?
कैसे होती है स्ट्रॉबेरी की खेती?

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तैयार पौधों से होता है बेहतर प्रोडक्शनः सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तैयार पौधों को यदि किसान अपने खेतों में लगाते हैं तो इससे न सिर्फ प्रोडक्शन बेहतर होता है, बल्कि समय की भी काफी बचत होती है. उदाहरण के तौर पर किसान के खेत में कोई फसल खड़ी है और उसको कटने में अभी महीने भर का वक्त बाकी है. ऐसे में किसान महीने भर पहले ही किसी अन्य फसल के बीज लाकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में दे सकता है.

जहां महीने भर में पौधे तैयार होकर किसान को मिल सकते हैं. जब किसान अपनी फसल काट कर जमीन को तैयार करेगा तो उसे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से तैयार हुए पौधे मिल जाएंगे, जो वह सीधे अपने खेत में लगा सकता है. उदाहरण के तौर पर एक साधारण पौधे में 25 से 30 फल आते हैं, जबकि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तैयार हुए पौधे में तकरीबन 40 से 50 फल आते हैं. जिससे सीधे तौर पर किसानों की इनकम में वृद्धि होगी.

भारत में स्ट्राबेरी की इन  किस्मों की होती है खेती
भारत में स्ट्राबेरी की इन किस्मों की होती है खेती

सेंटर से किसानों को सिर्फ 2 रुपए में मिलेगा स्ट्रॉबेरी का पौधाः सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में स्ट्रॉबेरी के पौधे भी तैयार किए जा सकते हैं. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तैयार हुए स्ट्रॉबेरी के पौधों की क्वालिटी सामान्य पौधों की तुलना में काफी अच्छी होती है जिससे कि प्रोडक्शन बेहतर होता है. जिला उद्यान अधिकारी निधि सिंह के मुताबिक किसानों को सिर्फ स्ट्रॉबेरी के बीज उपलब्ध कराने होंगे, जिसके बाद महीने भर में किसानों को स्ट्रॉबेरी के तैयार हुए पौधे मिल जाएंगे. किसान को सिर्फ 2 रुपए प्रति पौधे की कीमत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को चुकानी होगी.

जिले में किसानों की ओर से स्ट्रॉबेरी की खेती करने की काफी डिमांडः जिला उद्यान अधिकारी के मुताबिक गाजियाबाद में किसानों की ओर से स्ट्रॉबेरी की खेती करने की काफी डिमांड आ रही है. मुरादनगर और भोजपुर ब्लॉक के किसानों द्वारा स्ट्रॉबेरी की खेती करने की डिमांड आ रही है. स्ट्रॉबेरी की फ्रूटिंग फरवरी में होती है, ऐसे में सितंबर से सेपलिंग तैयार कर सकते हैं. सितंबर में इसकी शुरुआत होगी, जिसके बाद तैयार हुए सेपलिंग किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे.

फिलहाल पांच हेक्टेयर में स्ट्रॉबेरी की खेती करने का शासन द्वारा टारगेट दिया गया है. गाजियाबाद के कविनगर में उद्यान विभाग की नर्सरी में जो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार किए गए हैं, उनमें प्रतिदिन 15 हजार पौधों की सीडिंग की जा सकती है, जबकि 15 लाख पौधों को एक साल में तैयार किया जा सकता है. किसानों को मॉडर्न फार्मिंग के प्रति जागरूक करने के लिए उद्यान विभाग द्वारा जागरूक किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें: Tomato Price Delhi-NCR: यहां मिल रहा है 70 रुपए किलो टमाटर, सुरक्षाकर्मी भी किए गए तैनात

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.