नई दिल्ली: भारत में कई इलाकों में शुक्रवार को ईद का चांद नजर आ गया है. उलमाओं ने शनिवार को ईद का ऐलान कर दिया है. मुस्लिम समुदाय में ईद का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. रमजान के पवित्र महीने के आखिरी दिन जब चांद नजर आता है तो अगले दिन ईद मनाई जाती है. रमजान की शुरुआत चांद के दिखने से होती है और इसका अंत भी चांद के दिखने पर निर्भर करता है. ईद को रमजान के महीने का अंत भी माना जाता है. ईद को Mithi Eid (मीठी ईद) के नाम से भी जाना जाता है. मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन परोपकारी कार्य करते हैं, जैसे गरीबों को दान देना, भूखों को खाना खिलाना आदि.... साथ ही अल्लाह की इबादत करने के बाद नमाज अदा करते हैं.
ईद के दिन मस्जिदों और ईदगाहों में मुसलमान सामूहिक तौर पर नमाज अदा करते हैं. नमाज के बाद आपस में गले मिलकर एक दूसरे को मुबारकबाद देते हैं. एक दूसरे के घरों में भी जाकर मुबारकबाद देते हैं और सवैया खाई जाती है. ईद की नमाज से पहले फितरा और जकात (दान) करने की भी परंपरा है, मुस्लिम समाज के लोग अपनी हैसियत के मुताबिक दान करते हैं. शुक्रवार को चांद निकलते ही मुस्लिम समाज के लोग ईद की आखिरी तैयारी में जुट गए हैं. बाजारों में भीड़ लग गई है और खरीदारी करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.
हर साल एक ही तारीख को क्यों नहीं पड़ती ईद-उल-फितर?: होली, दिवाली की तरह ईद-उल-फितर मनाने की तारीख भी हर साल बदलती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हिजरी कैलेंडर एक चंद्र कैलेंडर है और यह चंद्रमा के विभिन्न चरणों पर निर्भर करता है. मुसलमानों के लिए एक नया महीना अर्धचंद्र के दर्शन के बाद ही शुरू होता है और यह हर साल चंद्रमा की स्थिति के आधार पर बदल सकता है.
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