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Chandrayan-3 की थीम पर गाजियाबाद में तैयार हो रहा दुर्गा पूजा पंडाल, तीन हफ्ते में बनकर होगा तैयार

गाजियाबाद के क्रॉसिंग रिपब्लिक इलाके में चंद्रयान की थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल बनाया जा रहा है. चंद्रयान की थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल बनाने के लिए कई महीनों से कल्चरल सोसायटी के सदस्य मेहनत कर रहे हैं. एसोसिएशन के सचिव पार्थव चटर्जी ने बताया कि इसे बनाने में तीन हफ्ते से अधिक का समय लग सकता है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 11, 2023, 1:48 PM IST

चंद्रयान की थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल

नई दिल्ली/गाजियाबादः जिले के क्रॉसिंग रिपब्लिक इलाके में चंद्रयान की थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल बनाया जा रहा है. क्रॉसिंग रिपब्लिक बंगाली कल्चरल एसोसिएशन द्वारा इसे 'मून कॉलिंग अर्थ' नाम दिया गया है. आसपास से जो भी गुजरता है, वह पंडाल को देखकर चौंक जाता है. हालांकि अभी पंडाल पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है.

क्रॉसिंग रिपब्लिक बंगाली कल्चरल एसोसिएशन के सदस्य अमिताभ घोष के मुताबिक 2010 से क्रॉसिंग रिपब्लिक में भव्य रूप से दुर्गा पूजा का आयोजन होता आ रहा है. चंद्रयान थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल तैयार किया जा रहा है. घोष ने कहा कि हमारा मकसद दुर्गा पूजा पंडाल में साइंस एंड टेक्नोलॉजी से युवाओं को प्रोत्साहित करना है. चंद्रयान की थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल बनाने के लिए कई महीनों से कल्चरल सोसायटी के सदस्य मेहनत कर रहे हैं. चंद्रयान की थीम पर बन रहे दुर्गा पूजा पंडाल के नीचे आर्टिफिशियल स्मोक और लाइटिंग लगाई जाएगी, जिसे देखकर चंद्रयान की लॉन्च जैसा प्रतीत होगा.

पंडाल बनाने में 35 कारीगर जुटे हैंः एसोसिएशन के सचिव पार्थव चटर्जी के मुताबिक चंद्रयान की थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल तैयार होने में तकरीबन तीन हफ्ते से अधिक का वक्त लगने का अनुमान है. 22 सितंबर से दुर्गा पूजा पंडाल बनाने की तैयारी शुरू हो गई थी. दुर्गा पूजा पंडाल को बनाने में तकरीबन 35 कारीगर और आर्टिस्ट लगे हुए हैं. दुर्गा पूजा पंडाल पूरी तरह से इको फ्रेंडली है. इसमें लोहे और प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. कर्नाटक, बंगाल और अरुणाचल से बांस और अन्य सामान मंगाया गया है. बांस को बांधने के लिए भी प्लास्टिक की रस्सी का नहीं, बल्कि कपड़े का इस्तेमाल किया जा रहा है.

पंडाल के आसपास रोवर भी घूमेगाः एसोसिएशन के सदस्य सुजाय घोष के मुताबिक दुर्गा पूजा पंडाल में केवल चंद्रयान का मॉडल ही नहीं बल्कि रोवर भी दिखाई देगा. करीब दो हफ्ते की मेहनत और रिसर्च के बाद रोवर जैसा मॉडल तैयार किया गया है. जो कि पंडाल के आसपास घूमेगा और लोगों से बातचीत करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना भारत को स्पेस और टेक्नोलॉजी में भारत को नंबर वन बनाने का है. हमारा मकसद युवाओं को चंद्रयान थीम पर बने दुर्गा पूजा पंडाल से स्पेस और टेक्नोलॉजी के बारे में जागरूक करना और उनकी रूचि बढ़ाना है. इसरो के जो प्रमुख साइंटिस्ट है, उनके बारे में भी दुर्गा पूजा पंडाल में तमाम जानकारियां दी जाएगी. इसके साथ ही चंद्रयान मिशन के बारे में भी तमाम जानकारियां को पंडाल में प्रदर्शित किया जाएगा.

15 अक्टूबर तक यह दुर्गा पूजा पंडाल बनकर तैयार हो जाएगा. क्रॉसिंग रिपब्लिक में बंगाली समुदाय के तकरीबन पांच से अधिक परिवार रहते हैं. हर साल बड़े स्तर पर क्रॉसिंग रिपब्लिक में दुर्गा पूजा का आयोजन होता है. विजयादशमी के दिन दुर्गा पूजा पंडाल में विवाहित महिलाएं सिंदूर खेला खेलती हैं.

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चंद्रयान की थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल

नई दिल्ली/गाजियाबादः जिले के क्रॉसिंग रिपब्लिक इलाके में चंद्रयान की थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल बनाया जा रहा है. क्रॉसिंग रिपब्लिक बंगाली कल्चरल एसोसिएशन द्वारा इसे 'मून कॉलिंग अर्थ' नाम दिया गया है. आसपास से जो भी गुजरता है, वह पंडाल को देखकर चौंक जाता है. हालांकि अभी पंडाल पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है.

क्रॉसिंग रिपब्लिक बंगाली कल्चरल एसोसिएशन के सदस्य अमिताभ घोष के मुताबिक 2010 से क्रॉसिंग रिपब्लिक में भव्य रूप से दुर्गा पूजा का आयोजन होता आ रहा है. चंद्रयान थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल तैयार किया जा रहा है. घोष ने कहा कि हमारा मकसद दुर्गा पूजा पंडाल में साइंस एंड टेक्नोलॉजी से युवाओं को प्रोत्साहित करना है. चंद्रयान की थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल बनाने के लिए कई महीनों से कल्चरल सोसायटी के सदस्य मेहनत कर रहे हैं. चंद्रयान की थीम पर बन रहे दुर्गा पूजा पंडाल के नीचे आर्टिफिशियल स्मोक और लाइटिंग लगाई जाएगी, जिसे देखकर चंद्रयान की लॉन्च जैसा प्रतीत होगा.

पंडाल बनाने में 35 कारीगर जुटे हैंः एसोसिएशन के सचिव पार्थव चटर्जी के मुताबिक चंद्रयान की थीम पर दुर्गा पूजा पंडाल तैयार होने में तकरीबन तीन हफ्ते से अधिक का वक्त लगने का अनुमान है. 22 सितंबर से दुर्गा पूजा पंडाल बनाने की तैयारी शुरू हो गई थी. दुर्गा पूजा पंडाल को बनाने में तकरीबन 35 कारीगर और आर्टिस्ट लगे हुए हैं. दुर्गा पूजा पंडाल पूरी तरह से इको फ्रेंडली है. इसमें लोहे और प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. कर्नाटक, बंगाल और अरुणाचल से बांस और अन्य सामान मंगाया गया है. बांस को बांधने के लिए भी प्लास्टिक की रस्सी का नहीं, बल्कि कपड़े का इस्तेमाल किया जा रहा है.

पंडाल के आसपास रोवर भी घूमेगाः एसोसिएशन के सदस्य सुजाय घोष के मुताबिक दुर्गा पूजा पंडाल में केवल चंद्रयान का मॉडल ही नहीं बल्कि रोवर भी दिखाई देगा. करीब दो हफ्ते की मेहनत और रिसर्च के बाद रोवर जैसा मॉडल तैयार किया गया है. जो कि पंडाल के आसपास घूमेगा और लोगों से बातचीत करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना भारत को स्पेस और टेक्नोलॉजी में भारत को नंबर वन बनाने का है. हमारा मकसद युवाओं को चंद्रयान थीम पर बने दुर्गा पूजा पंडाल से स्पेस और टेक्नोलॉजी के बारे में जागरूक करना और उनकी रूचि बढ़ाना है. इसरो के जो प्रमुख साइंटिस्ट है, उनके बारे में भी दुर्गा पूजा पंडाल में तमाम जानकारियां दी जाएगी. इसके साथ ही चंद्रयान मिशन के बारे में भी तमाम जानकारियां को पंडाल में प्रदर्शित किया जाएगा.

15 अक्टूबर तक यह दुर्गा पूजा पंडाल बनकर तैयार हो जाएगा. क्रॉसिंग रिपब्लिक में बंगाली समुदाय के तकरीबन पांच से अधिक परिवार रहते हैं. हर साल बड़े स्तर पर क्रॉसिंग रिपब्लिक में दुर्गा पूजा का आयोजन होता है. विजयादशमी के दिन दुर्गा पूजा पंडाल में विवाहित महिलाएं सिंदूर खेला खेलती हैं.

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