नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. लोक अदालत मामले में ढ़ाई लाख मामलों के निस्तारण का लक्ष्य रखा गया था. लोक अदालत में प्री लिटिगेशन, बैंक संबंधित मामले, लघु एवं अति लघुवाद, परिवार न्यायालय वाद, दीवानी एवं फौजदारी वाद, मोटर व्हीकल एक्ट सभी चालान सहित सभी तरह के प्रशासनिक मामलों का निस्तारण किया गया. इन मामलों के निस्तारण से शनिवार 8 करोड़ 23 लाख 41 हजार 668 रुपए की धनराशि एकत्रित हुई.
पारिवारिक मामलों के निस्तारण: लोक अदालत में कई पारिवारिक मामलों का आपसी समझौते के माध्यम से निस्तारण कराया गया. इसके बाद टूटने की कगार पर आकर खड़े हो चुके कई परिवार एक बार फिर से जुड़ गए. आइये पढ़तें हैं कुछ ऐसे मामले जिनका निस्तारण परिवार न्यायालय में हुआ.
तलाक के फैसले के बाद साथ आए दंपति: गाजियाबाद के प्रताप विहार के रहने वाली युवती और खोड़ा निवासी युवक की शादी 3 दिसंबर 2017 को हुई थी. शादी में तकरीबन सात लाख रुपए का खर्च आया. शादी के बाद दोनों का एक बेटा हुआ. शादी के बाद पति अक्सर शराब पीकर लड़ाई झगड़ा करता जिसके चलते पत्नी अपने बेटे को 28 अक्टूबर,2019 को लेकर मायके वापस चली गई. इसके बाद पति ने तलाक का मुकदमा परिवार न्यायालय में दायर किया. मामले की सुनवाई परिवार न्यायालय में हुई, जिसके बाद पति ने अपनी गलती मानी और दोनों ने गिले शिकवे खत्म करते हुए एक बार फिर साथ रहने का निर्णय लिया.
विवाद के बाद हुए थे अलग: गाजियाबाद के नंदग्राम इलाके के रहने वाले युवक की शादी मयूर विहार दिल्ली की रहने वाली लड़की से वर्ष 2011 में हुई थी. शादी के बाद दोनों को दो बेटे हुए, लेकिन परिवार में जायदाद को लेकर अक्सर हो रहे विवाद के बाद 4 फरवरी,2021 को अपना सभी सामान लेकर अपने दोनों बेटों के साथ मायके लौट आई. युवक ने अदालत में तलाक का मुकदमा दायर कर दिया मामले की सुनवाई लोक अदालत में किया और इसके बाद दोनों बच्चों के भविष्य को देखते हुए दोनों साथ रहने को राजी हो गए और अदालत से ही अपने घर के लिए निकल गए.
ये भी पढ़ें: फरिश्ते योजना में फंड की कमी को लेकर दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एलजी से मांगा जवाब
साथ रहने लगा परिवार: गाजियाबाद के लोनी निवासी की शादी गौतम बुद्ध नगर निवासी से 13 दिसंबर,2020 को हुई थी. पिंकी के अधिक पढ़े लिखे होने के कारण पति-पत्नी में शादी के बाद विवाद होने लगा. पति का कहना था कि पत्नी घर की जिम्मेदारियां नहीं उठाती है, वहीं पत्नी का कहना था कि मुझ पर परिवार और पति का नाजायज दबाव था,जिसकी वजह से घर में अक्सर लड़ाई होती थी. हार कर युवती शादी के कुछ महीने बाद मायके चली गई. पति ने पत्नी को घर वापस लाने के लिए बाद याचिका दायर की जिसके बाद लोक अदालत में मामले की सुनवाई हुई. अदालत के समझाने के बाद दोनों साथ रहने को तैयार हो गए.
ये भी पढ़ें: 11 महीने में लाखों लोगों ने उठाया निशुल्क कानूनी सहायता का लाभ, जानें किस श्रेणी के रहे कितने पात्र