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PMLA की धारा 50 के तहत समन जारी करने की ईडी की शक्ति में गिरफ्तारी का अधिकार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पीएमएलए की धारा 50 के तहत ईडी को किसी व्यक्ति को समन जारी करने का अधिकार है, लेकिन गिरफ्तारी का नहीं. ईडी को किसी व्यक्ति को समन जारी करने, डॉक्यूमेंट की जांच करने और बयान दर्ज करने का अधिकार है

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 20, 2023, 6:44 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत ईडी को किसी व्यक्ति को समन जारी करने का अधिकार है, लेकिन गिरफ्तारी का नहीं. जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि पीएमएलए की धारा 50 के तहत ईडी को किसी व्यक्ति को समन जारी करने, डॉक्यूमेंट की जांच करने और बयान दर्ज करने का अधिकार है. जिसका अधिकार किसी भी सिविल कोर्ट को होता है. वहीं, पीएमएलए की धारा 19 के तहत किसी शख्स को रफ्तार करने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि अगर ईडी किसी शख्स को धारा 50 के तहत समन जारी करती है और बाद में गिरफ्तार कर लेती है तो ऐसी स्थिति में जब शख्स कोर्ट को बताएगा कि एजेंसी ने मुझे पूछताछ के लिए बुलाया था. लेकिन, गिरफ्तार कर लिया तो कोर्ट उसे आसानी से बरी कर देगा.

बता दें कि ईडी ने वर्ष 2020 में आशीष मित्तल नाम के एक व्यक्ति के खिलाफ ईसीआईआर के तहत केस दर्ज किया था. आशीष ने ईडी की ओर से दर्ज केस को खत्म करने के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. आशीष ने ईसीआईआर के तहत ईडी की ओर से केस में किसी भी कार्रवाई को रोकने की मांग की थी. ईडी ने याचिकाकर्ता को 21 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया था. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 50 के तहत ईडी को मिले अधिकारों का जिक्र किया.

आशीष मित्तल ने कोर्ट में बताया कि उनके खिलाफ ईडी ने ईसीआईआर के तहत केस दर्ज किया था, लेकिन उन्हें इसकी कॉपी नहीं दी. जबकि कानून के अनुसार उन्हें कॉपी दिए जाने का अधिकार है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट भी पीएमएलए को लेकर दाखिल की गई एक रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई कर रहा है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के कई प्रावधानों को गैर संवैधानिक बताकर चुनौती दी गई थी.

याचिकाकर्ता ने कहा कि पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी, जमानत, संपत्ति की जब्ती या कुर्की करने का अधिकार क्रिमिनल प्रोसीजर एक्ट के दायरे से बाहर है. पिटीशन में मांग की गई कि पीएमएलए के कई प्रावधान गैर संवैधानिक हैं, क्योंकि इनमें संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में पूरी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है. कोर्ट ने जुलाई 2022 में मामले पर सुनवाई करते हुए पीएमएलए को सही ठहराया. इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने रिव्यू पिटीशन दाखिल कर कोर्ट से मामले पर दोबारा विचार करने की अपील की.

रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माना कि पीएमएलए के दो नियम ईडी की तरफ से दर्ज एफआईआर की रिपोर्ट आरोपी को न देने के प्रावधान और खुद को निर्दोष साबित करने का जिम्मा आरोपी पर होने के प्रावधान पर विचार करने की जरूरत है. मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी.

ये भी पढ़ें : Delhi High Court ने आईआईटी के फेस्ट में डीयू की छात्राओं के कपड़े बदलते हुए वीडियो बनाने पर स्वत: संज्ञान लिया

ये भी पढ़ें : Delhi liquor Policy: आप सांसद संजय सिंह की गिरफ़्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत ईडी को किसी व्यक्ति को समन जारी करने का अधिकार है, लेकिन गिरफ्तारी का नहीं. जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि पीएमएलए की धारा 50 के तहत ईडी को किसी व्यक्ति को समन जारी करने, डॉक्यूमेंट की जांच करने और बयान दर्ज करने का अधिकार है. जिसका अधिकार किसी भी सिविल कोर्ट को होता है. वहीं, पीएमएलए की धारा 19 के तहत किसी शख्स को रफ्तार करने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि अगर ईडी किसी शख्स को धारा 50 के तहत समन जारी करती है और बाद में गिरफ्तार कर लेती है तो ऐसी स्थिति में जब शख्स कोर्ट को बताएगा कि एजेंसी ने मुझे पूछताछ के लिए बुलाया था. लेकिन, गिरफ्तार कर लिया तो कोर्ट उसे आसानी से बरी कर देगा.

बता दें कि ईडी ने वर्ष 2020 में आशीष मित्तल नाम के एक व्यक्ति के खिलाफ ईसीआईआर के तहत केस दर्ज किया था. आशीष ने ईडी की ओर से दर्ज केस को खत्म करने के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. आशीष ने ईसीआईआर के तहत ईडी की ओर से केस में किसी भी कार्रवाई को रोकने की मांग की थी. ईडी ने याचिकाकर्ता को 21 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया था. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 50 के तहत ईडी को मिले अधिकारों का जिक्र किया.

आशीष मित्तल ने कोर्ट में बताया कि उनके खिलाफ ईडी ने ईसीआईआर के तहत केस दर्ज किया था, लेकिन उन्हें इसकी कॉपी नहीं दी. जबकि कानून के अनुसार उन्हें कॉपी दिए जाने का अधिकार है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट भी पीएमएलए को लेकर दाखिल की गई एक रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई कर रहा है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के कई प्रावधानों को गैर संवैधानिक बताकर चुनौती दी गई थी.

याचिकाकर्ता ने कहा कि पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी, जमानत, संपत्ति की जब्ती या कुर्की करने का अधिकार क्रिमिनल प्रोसीजर एक्ट के दायरे से बाहर है. पिटीशन में मांग की गई कि पीएमएलए के कई प्रावधान गैर संवैधानिक हैं, क्योंकि इनमें संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में पूरी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है. कोर्ट ने जुलाई 2022 में मामले पर सुनवाई करते हुए पीएमएलए को सही ठहराया. इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने रिव्यू पिटीशन दाखिल कर कोर्ट से मामले पर दोबारा विचार करने की अपील की.

रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माना कि पीएमएलए के दो नियम ईडी की तरफ से दर्ज एफआईआर की रिपोर्ट आरोपी को न देने के प्रावधान और खुद को निर्दोष साबित करने का जिम्मा आरोपी पर होने के प्रावधान पर विचार करने की जरूरत है. मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी.

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