नई दिल्ली: देश की आजादी में गाजियाबाद के मोदीनगर स्थित सीकरी खुर्द गांव का अहम योगदान रहा है. इतिहासकारों के मुताबिक सन् 1857 की क्रांति के दौरान मोदीनगर का नाम बेगमाबाद था. यहां के सिकरी खुर्द गांव में महामाया देवी मंदिर है, जहां के बरगद के पेड़ पर बहुत से क्रांतिकारियों को फांसी पर लटका दिया गया था.
मंदिर के प्रमुख महंत देवेंद्र शास्त्री ने बताया कि अंगेजों ने इस बरगद के पेड़ पर करीब 100 से अधिक क्रांतिकारियों को फांसी दे दी थी. इसलिए इस पेड़ की काफी मान्यता है. शहीद दिवस, स्वतंत्रता दिवस आदि अवसरों पर यहां क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी जाती है और विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. लोग पेड़ पर कलावा बांधकर क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देते हैं. उन्होंने बताया कि इस पेड़ का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते इसे कई जगह पर सपोर्ट दिया गया है. यह पेड़ लगभग 400-500 साल पुराना है.
इस बारे में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर डॉ. कृष्ण कांत शर्मा ने बताया कि 10 मई 1857 में मेरठ की क्रांति प्रारंभ हुई थी. तब क्रांतिकारी दो मार्ग, बागपत और मोदीनगर से होते हुए दिल्ली पहुंचे थे. उनके साथ सिकरी खुर्द गांव के लोगों ने भी क्रांतिकारियों के साथ दिल्ली पहुंचकर इस क्षेत्र पर अंग्रेजों के अधिकार का विरोध किया. दूसरी तरफ मोदीनगर (पहले बेगमाबाद) पुलिस चौकी में स्थानीय लोगों ने आग लगा दी थी, क्योंकि तब पुलिस चौकियां अंग्रेजों द्वारा लोगों के शोषण का केंद्र मानी जाती थी.
यह भी पढ़ें-UN Report : तरक्की का अमृतकाल ! पानी-बिजली-घर से वंचित लोगों की संख्या हुई कम
उन्होंने बताया कि क्रांतिकारियों द्वारा पुलिस स्टेशन को आग के हवाले करने के बाद इसका बदला लेने के लिए अंग्रेजों ने सीकरी खुर्द गांव पर आक्रमण कर दिया था. आक्रमण के दौरान क्रांतिकारियों और अंग्रेजों की भिड़ंत भी हुई और ग्रामीण एक हवेली में इकट्ठा हो गए. इस पर अंग्रेजों ने हवेली पर तोप से हमला कर दिया था.
हालांकि, इसके बाद कुछ क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गई थी. बताया जाता है कि कुछ क्रांतिकारी महामाया देवी मंदिर के तहखाने में छुप गए थे. अंग्रेजों को जब इसकी भनक लगी तो उन्होंने क्रांतिकारियों को तहखाने से निकालकर फांसी पर लटका दिया था. यह मंदिर आज भी उनके बलिदान की कहानी को समेटे हुए है, जहां लोग भगवान के साथ क्रांतिकारियों को शीश नवाते हैं.