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Bike Bot Scam: घोटाले के सालों बाद भी तीन डायरेक्टर पुलिस की गिरफ्त से बाहर, सरकार ने घोषित किया है पांच लाख का इनाम

बाइक बोट घोटाले के मास्टरमाइंड संजय भाटी सहित इसके कई डायरेक्टरों सहित अन्य आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. पिछले कई सालों से वे जेल में हैं लेकिन पुलिस अब तक तीन डायरेक्टरों- दीप्ति बहल, भूदेव और बिजेंद्र सिंह हुड्डा को गिरफ्तार नहीं कर सकी है.

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Published : Apr 24, 2023, 7:24 PM IST

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: बाइक बोट घोटाले के फरार तीन आरोपियों पर पांच-पांच लाख का इनाम घोषित किया गया है. कई साल बीत जाने के बाद भी बाइक बोट के ये तीनों डायरेक्टर दीप्ति बहल, भूदेव और बिजेंद्र सिंह हुड्डा पुलिस की पकड़ से दूर हैं. देश के बड़े घोटालों में शामिल इस घोटाले से पीड़ित पिछले 4 साल से धरना देकर आरोपियों की गिरफ्तारी और अपने पैसों की मांग कर रहे हैं.

दरअसल, पूरे भारत में 5 लाख से 7 लाख लोगों के साथ बाइक बोट के नाम पर धोखाधड़ी की गई. गौतम बुद्ध नगर के चीती गांव के रहने वाले संजय भाटी ने बाइक बोट के नाम पर बाइक टैक्सी की स्कीम चलाई. इस स्कीम में लोगों को ज्यादा मुनाफा देने के नाम पर निवेश कराया और फिर उनके साथ धोखाधड़ी की गई. देश में यह घोटाला लगभग 5 हजार करोड़ का बताया गया है.

बाइक बोट घोटाले से पीड़ित मुजफ्फरनगर के सिसौली के रहने वाले मुन्ना ने बताया कि इस घोटाले के मुख्य आरोपी संजय भाटी सहित अन्य कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. लेकिन संजय भाटी की पत्नी दीप्ति बहल अभी भी इस मामले में फरार है. दीप्ति बहल पर यूपी सरकार ने पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया है. उसके साथ ही बाइक बोट के दो अन्य डायरेक्टरों भूदेव और विजेंद्र सिंह हुड्डा पर भी सरकार ने पांच-पांच लाख का इनाम घोषित किया है. ये तीनों आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.

ये भी पढ़ें: Free Bus Pass: दिल्ली में मजदूर DTC बस में करेंगे फ्री यात्रा, सरकार देगी पास, जानें और क्या हुआ ऐलान

बाइक बोट ऑफिस पर धरना दे रहे मुन्ना ने बताया कि वह दादरी थाना क्षेत्र के कोट गांव स्थित बाइक बोर्ड ऑफिस पर अपनी मांगों को लेकर 1 जून 2019 से धरना दे रहे हैं. धरने की शुरुआत में उनके साथ हजारों लोग शामिल थे. लेकिन जब देश में कोविड-19 आया तो उसकी गाइडलाइन को देखते हुए वहां पर लोगों की संख्या कम कर दी गई. तब से अब तक 4 से 5 लोग अभी भी अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं. बीच-बीच में पूरे देश से पीड़ित वहां पर आते हैं और धरने में शामिल होते हैं. बाइक बोर्ड घोटाले की जांच आर्थिक अपराध शाखा मेरठ द्वारा की जा रही है.

भारतीय सैनिकों के साथ हुआ घोटाला
बाइक बोट घोटाले के पीड़ित लोगों में लगभग 80% लोग भारतीय सेनाओं से रिटायर्ड हैं. बाइक बोट की शुरुआत में इसके कई डायरेक्टर सेना से रिटायर्ड थे. उन्होंने लोगों को अपने विश्वास में लेकर बाइक बोट में निवेश कराया. पूरे देश से लाखों सैनिकों ने बाइक बोट में निवेश किया और निवेश के बाद ऑफिस बंद कर फरार हो गए. जिसके बाद पूरे देश में इनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए. पुलिस ने इसके मुख्य आरोपी संजय भाटी सहित कई अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: बाइक बोट घोटाले के फरार तीन आरोपियों पर पांच-पांच लाख का इनाम घोषित किया गया है. कई साल बीत जाने के बाद भी बाइक बोट के ये तीनों डायरेक्टर दीप्ति बहल, भूदेव और बिजेंद्र सिंह हुड्डा पुलिस की पकड़ से दूर हैं. देश के बड़े घोटालों में शामिल इस घोटाले से पीड़ित पिछले 4 साल से धरना देकर आरोपियों की गिरफ्तारी और अपने पैसों की मांग कर रहे हैं.

दरअसल, पूरे भारत में 5 लाख से 7 लाख लोगों के साथ बाइक बोट के नाम पर धोखाधड़ी की गई. गौतम बुद्ध नगर के चीती गांव के रहने वाले संजय भाटी ने बाइक बोट के नाम पर बाइक टैक्सी की स्कीम चलाई. इस स्कीम में लोगों को ज्यादा मुनाफा देने के नाम पर निवेश कराया और फिर उनके साथ धोखाधड़ी की गई. देश में यह घोटाला लगभग 5 हजार करोड़ का बताया गया है.

बाइक बोट घोटाले से पीड़ित मुजफ्फरनगर के सिसौली के रहने वाले मुन्ना ने बताया कि इस घोटाले के मुख्य आरोपी संजय भाटी सहित अन्य कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. लेकिन संजय भाटी की पत्नी दीप्ति बहल अभी भी इस मामले में फरार है. दीप्ति बहल पर यूपी सरकार ने पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया है. उसके साथ ही बाइक बोट के दो अन्य डायरेक्टरों भूदेव और विजेंद्र सिंह हुड्डा पर भी सरकार ने पांच-पांच लाख का इनाम घोषित किया है. ये तीनों आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.

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बाइक बोट ऑफिस पर धरना दे रहे मुन्ना ने बताया कि वह दादरी थाना क्षेत्र के कोट गांव स्थित बाइक बोर्ड ऑफिस पर अपनी मांगों को लेकर 1 जून 2019 से धरना दे रहे हैं. धरने की शुरुआत में उनके साथ हजारों लोग शामिल थे. लेकिन जब देश में कोविड-19 आया तो उसकी गाइडलाइन को देखते हुए वहां पर लोगों की संख्या कम कर दी गई. तब से अब तक 4 से 5 लोग अभी भी अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं. बीच-बीच में पूरे देश से पीड़ित वहां पर आते हैं और धरने में शामिल होते हैं. बाइक बोर्ड घोटाले की जांच आर्थिक अपराध शाखा मेरठ द्वारा की जा रही है.

भारतीय सैनिकों के साथ हुआ घोटाला
बाइक बोट घोटाले के पीड़ित लोगों में लगभग 80% लोग भारतीय सेनाओं से रिटायर्ड हैं. बाइक बोट की शुरुआत में इसके कई डायरेक्टर सेना से रिटायर्ड थे. उन्होंने लोगों को अपने विश्वास में लेकर बाइक बोट में निवेश कराया. पूरे देश से लाखों सैनिकों ने बाइक बोट में निवेश किया और निवेश के बाद ऑफिस बंद कर फरार हो गए. जिसके बाद पूरे देश में इनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए. पुलिस ने इसके मुख्य आरोपी संजय भाटी सहित कई अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

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