नई दिल्ली/गाजियाबाद: सनातन धर्म में चुतुर्थी का विशेष महत्व है. बुधवार (7 जून, 2023) को आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन व्रत रखना बेहद फलदाई बताया गया है. आषाढ़ विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, शांति, ज्ञान, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से जीवन की सभी समस्याओं और संकटों से छुटकारा मिलता है. साथ ही यह भी मान्यता है कि भगवान गणेश को चतुर्थी तिथि और बुधवार का दिन बेहद प्रिय है.
पूजन विधि: आषाढ़ विनायक चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें. स्नान के दौरान कि गंगाजल युक्त पानी का इस्तेमाल करें. फिर मंदिर की सफाई कर दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान गणेश को चंदन और दूर्वा अर्पित कर मोदक या लड्डू का भोग लगाएं. फिर धूप लाकर ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें. अंत में भगवान गणेश की आरती करें.
आषाढ़ विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त-
- आषाढ़ विनायक चतुर्थी प्रारंभ: तिथि 06 जून (मंगलवार) देर रात 12 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी.
- आषाढ़ विनायक चतुर्थी समाप्त: 07 जून (बुधवार) सुबह 09:50 बजे रहेगी.
- आषाढ़ विनायक चतुर्थी का व्रत 07 जून (बुधवार) को रखा जाएगा.
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- भगवान गणेश की खंडित प्रतिमा या फिर फटी-गली फोटो की पूजा न करें.
- मंदिर में भगवान गणेश की दो मूर्तियों का एक साथ पूजन न करें. न ही मंदिर में एक साथ दो मूर्तियां रखें.
- आषाढ़ विनायक चतुर्थी पर तामसिक भोजन जैसे मांस, प्याज और लहसुन का सेवन न करें. साथ ही किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि से भी पूर्णता दूर रहें.
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाना चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है.
- आषाढ़ विनायक चतुर्थी पर विशेष तौर पर ख्याल रखें कि किसी के लिए गलत वाणी का प्रयोग न करें, न ही किसी पर गुस्सा करें.
- इस दिन भगवान गणेश की सवारी यानि चूहों को भूलकर भी परेशान न करें.
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