नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहने वाले लोगों को मेट्रो रेल की सुविधाएं देने के लिए चल रही 'कवायद' को नवंबर में हरी झंडी मिल सकती है. इसे दो चरणों में विकसित किया जाएगा. मंगलवार को ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो की डीपीआर का प्रजेंटेशन पब्लिक इंवेस्टमेंट बोर्ड (पीआईबी) के सामने पेश किया गया. हालांकि, केंद्र सरकार के साथ बैठक होनी बाकी है. इसके बाद ही वित्त मंत्रालय से अप्रूवल मिलेगा. आखिर में पीएमओ से मंजूरी के बाद परियोजना को हरी झंडी मिलेगी. पहले चरण की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को मंजूरी मिलने के बाद इसके निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा.
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बड़ी संख्या में रहने वाले लोगों को देखते उन्हें सार्वजनिक परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक्वा लाइन मेट्रो रेल फेज-2 (Aqua Line West Metro Rail Phase 2) को शुरू करने का निर्णय लिया गया था. वहीं, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की 113 वीं बैठक में मेट्रो रेल परियोजना को मंजूरी भी दी गई थी.
बैठक में कहा गया था कि परियोजना को दो चरणों में शुरू किया जाएगा, जिसकी कुल लागत 2,602 करोड़ होगी. साथ ही यह भी बताया गया था कि पहले चरण में परियोजना पर 1,521 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड की ओर से एक्वा लाइन मेट्रो रेल फेज-2 कॉरिडोर निर्माण के लिए चौथी बार टेंडर में तीन एजेंसियों का नाम आने के बाद उम्मीद बंधी थी. डीपीआर को अप्रूवल मिलने में देरी होने के कारण टेंडर कैंसिल हो गया. फिलहाल एक बार फिर से बैठकों के होने से उम्मीद है कि परियोजना को मंजूरी मिल जाएगी और टेंडर निकलने के बाद काम शुरू किया जा सकेगा.
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बता दें, ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो रेल फेज-2 कॉरिडोर के विस्तार में सेक्टर 51 मेट्रो स्टेशन से ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क 5 तक मेट्रो ट्रैक और स्टेशनों का निर्माण प्रस्तावित है. इस परियोजना में दो चरणों में काम होगा. पहले चरण में सेक्टर 51 मेट्रो स्टेशन से ग्रेटर नोएडा सेक्टर 2 कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा, जिसमें पांच स्टेशन होंगे.
नोएडा के सेक्टर 122 और सेक्टर 123 के अलावा ग्रेटर नोएडा में सेक्टर 4, इकोटेक 12 और सेक्टर 2 में स्टेशन होंगे. इस कॉरिडोर की लंबाई की लंबाई 9.605 किलोमीटर होगी. इस मेट्रो परियोजना के फेज-2 के प्रथम चरण में खर्च होने वाले 1,521 करोड़ में 151 करोड़ रुपये ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने देने का फैसला किया है. शेष धनराशि एनएमआरसी, भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और नोएडा प्राधिकरण से जुटाई जाएगी.