नई दिल्ली/नोएडाः नोएडा सिटी सेंटर मामले में वेव समूह को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है. कंपनी की ओर से NCLAT में अपील दायर की गई थी. यह अपील नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी. अब अपीलेट ट्रिब्यूनल ने एनसीएलटी के फैसले को जायज करार दिया है. इतना ही नहीं वेव ग्रुप की कंपनी के खिलाफ नोएडा प्राधिकरण की ओर से की गई कार्यवाही को भी सही माना है. अपीलेट ट्रिब्यूनल ने वेव ग्रुप को कोई भी राहत या रियायत देने से साफ इनकार कर दिया है. गुरुवार की देर शाम नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी ने यह जानकारी दी है. (Appellate Tribunal gives a blow to wave group)
नोएडा प्राधिकरण ने मार्च 2011 में वेव समूह को शहर के सेक्टर-25 और सेक्टर-32 में 6,14,000 वर्गमीटर जमीन का आवंटन किया था. इस जमीन पर वेब समूह की कंपनियों ने आवासीय और वाणिज्यिक योजनाएं लांच की. इसे ही वेव सिटी सेंटर का नाम दिया गया. 2016 में बिल्डर ने प्राधिकरण को आवेदन देकर जमीन लौटाने की बात कही. इसके बाद बिल्डर ने प्रोजेक्ट सेटेलमेंट पॉलिसी के तहत एक आवेदन किया, जिसमें 4.50 लाख वर्ग मीटर जमीन वापस लेने की बात कही. इस दौरान बिल्डर ने प्राधिकरण को जमीन के बदले पैसा चुकाना बंद कर दिया.
वही. नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी ने वेव समूह की कंपनी को डिफॉल्टर घोषित कर दिया. प्राधिकरण की ओर से अपना बकाया पैसा वसूल करने के लिए लगातार डिमांड नोट भेजे गए, जिन पर कंपनी की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया. पैसा भी जमा नहीं किया गया. सीईओ ने मार्च 2021 में नोएडा सिटी सेंटर की जमीन का आवंटन रद्द कर दिया. प्राधिकरण ने 11 मार्च 2021 को जमीन पर कब्जा वापस ले लिया. प्राधिकरण ने घोषणा की कि इस जमीन को नौ टुकड़ों में विभाजित करके दूसरी कंपनियों को आवंटित किया जाएगा, जिससे शहर को करीब 7,000 करोड रुपए की आमदनी होगी.
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एनसीएलटी ने वेव ग्रुप के खिलाफ सुनाया फैसलाः नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने वेव समूह की यह याचिका को 6 जून 2022 को खारिज कर दी. एनसीएलटी ने कंपनी को कड़ी फटकार लगाई. ट्रिब्यूनल ने कहा कि कंपनी धोखाधड़ी और षड्यंत्र के तहत दिवालियापन की प्रक्रिया में शामिल होना चाहती है. कंपनी प्रबंधन जानबूझकर ऐसा कर रहा है. प्रबंधन की मंशा प्रॉपर्टी खरीदारों, बैंकों और नोएडा प्राधिकरण के साथ धोखाधड़ी करने की है.
टर्मिनल ने याचिका को खारिज कर दिया. केंद्र सरकार को कंपनी मैनेजमेंट के खिलाफ जांच करने और कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया था. ट्रिब्यूनल ने बैंको, प्रॉपर्टी खरीदारों और नोएडा प्राधिकरण को अपना पैसा वसूल करने का अधिकार भी दिया.