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'रिटायरमेंट के 2 दिन बाद PM और गृह मंत्री ने असीम खुराना को बनाया SSC चेयरमैन

युवा हल्ला बोल के बैनर तले स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने पीएम मोदी और राजनाथ सिंह पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि रिटायरमेंट के 2 दिन बाद खुराना को एसएससी के चेयरमैन पद पर फिर से एक्सटेंशन दिया गया.

'रिटायरमेंट के 2 दिन बाद PM और गृह मंत्री ने असीम खुराना को बनाया SSC चेयरमैन
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Published : Apr 1, 2019, 7:49 PM IST

नई दिल्ली: असीम खुराना के एक्सटेंशन को लेकर पीएमओ पर एक बड़ा आरोप लगा है. युवा हल्ला बोल के बैनर तले स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा है कि रिटायरमेंट के 2 दिन बाद खुराना को एसएससी के चेयरमैन पद पर फिर से एक्सटेंशन दिया गया.

योगेंद्र यादव ने कहा कि 12 मई 2018 को असीम खुराना रिटायर हो गए थे, लेकिन 2 दिन बाद 14 मई 2018 को कैबिनेट की नियुक्ति समिति जिसके सदस्य प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह, ने प्रस्ताव जारी किया कि खुराना को एसएससी के चेयरमैन पद पर 1 साल का एक्सटेंशन दिया जाए.

'गैरकानूनी था आदेश'
योगेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी वाली समिति का आदेश अनैतिक होने के साथ-साथ दो मामलों में गैरकानूनी भी था. पहली बात यह है कि आदेश जारी होने के 2 दिन पहले यानी 12 मई को असीम खुराना सेवानिवृत्त हो चुके थे.

'रिटायरमेंट के 2 दिन बाद PM और गृह मंत्री ने असीम खुराना को बनाया SSC चेयरमैन

इसलिए इस परिस्थिति में सेवा विस्तार का प्रावधान बनता ही नहीं है और दूसरी बात यह कि जब यह आदेश जारी किया गया, तो एसएससी नियुक्ति नियम में चेयरमैन पद के 62 साल की अधिकतम आयु सीमा को खुराना पार कर चुके थे लेकिन फिर भी उन्हें सेवा विस्तार दिया गया.

प्रेस कॉन्फ्रेंस को युवा हल्ला बोल के अनुपम ने भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि इस मामले में 15 जून 2018 को यूपीएससी ने कहा कि कोर्ट आदेश के अलावा और किसी भी परिस्थिति में एसएससी की नियुक्ति नियमों में संशोधन को पिछली तारीख यानि पूर्व व्यापी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता है.

इसके बाद विधि और न्याय मंत्रालय के अधिकारियों ने 3 बार, 6 जून, 16 अगस्त और 7 सितंबर को कैबिनेट कमेटी के प्रस्ताव को खारिज किया और कहा कि यह संविधान की धारा 14, 16 और 39 का खुला उल्लंघन है.


'विधि मंत्रालय ने प्रस्ताव किया था खारिज'
मामले में आरटीआई फाइल करने वाले कन्हैया कुमार से ईटीवी भारत ने बातचीत की. वहीं ईटीवी भारत से बातचीत में योगेंद्र यादव ने कहा कि यूपीएससी और विधि और मंत्रालय द्वारा इस प्रस्ताव को खारिज करने के बावजूद प्रधानमंत्री ने अपनी मंजूरी दी.

गौर करने वाली बात यह है कि पीएमओ के नोटिंग पेज को हमें नहीं दिखाया जा रहा है. वे कह रहे हैं कि यह कुछ कॉन्फिडेंशियल मामला है. योगेन्द्र यादव ने कहा कि इसमें क्या कॉन्फिडेंशियल हो सकता है, यह न तो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है और न ही किसी सुरक्षा अधिकारी से.

नई दिल्ली: असीम खुराना के एक्सटेंशन को लेकर पीएमओ पर एक बड़ा आरोप लगा है. युवा हल्ला बोल के बैनर तले स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा है कि रिटायरमेंट के 2 दिन बाद खुराना को एसएससी के चेयरमैन पद पर फिर से एक्सटेंशन दिया गया.

योगेंद्र यादव ने कहा कि 12 मई 2018 को असीम खुराना रिटायर हो गए थे, लेकिन 2 दिन बाद 14 मई 2018 को कैबिनेट की नियुक्ति समिति जिसके सदस्य प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह, ने प्रस्ताव जारी किया कि खुराना को एसएससी के चेयरमैन पद पर 1 साल का एक्सटेंशन दिया जाए.

'गैरकानूनी था आदेश'
योगेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी वाली समिति का आदेश अनैतिक होने के साथ-साथ दो मामलों में गैरकानूनी भी था. पहली बात यह है कि आदेश जारी होने के 2 दिन पहले यानी 12 मई को असीम खुराना सेवानिवृत्त हो चुके थे.

'रिटायरमेंट के 2 दिन बाद PM और गृह मंत्री ने असीम खुराना को बनाया SSC चेयरमैन

इसलिए इस परिस्थिति में सेवा विस्तार का प्रावधान बनता ही नहीं है और दूसरी बात यह कि जब यह आदेश जारी किया गया, तो एसएससी नियुक्ति नियम में चेयरमैन पद के 62 साल की अधिकतम आयु सीमा को खुराना पार कर चुके थे लेकिन फिर भी उन्हें सेवा विस्तार दिया गया.

प्रेस कॉन्फ्रेंस को युवा हल्ला बोल के अनुपम ने भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि इस मामले में 15 जून 2018 को यूपीएससी ने कहा कि कोर्ट आदेश के अलावा और किसी भी परिस्थिति में एसएससी की नियुक्ति नियमों में संशोधन को पिछली तारीख यानि पूर्व व्यापी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता है.

इसके बाद विधि और न्याय मंत्रालय के अधिकारियों ने 3 बार, 6 जून, 16 अगस्त और 7 सितंबर को कैबिनेट कमेटी के प्रस्ताव को खारिज किया और कहा कि यह संविधान की धारा 14, 16 और 39 का खुला उल्लंघन है.


'विधि मंत्रालय ने प्रस्ताव किया था खारिज'
मामले में आरटीआई फाइल करने वाले कन्हैया कुमार से ईटीवी भारत ने बातचीत की. वहीं ईटीवी भारत से बातचीत में योगेंद्र यादव ने कहा कि यूपीएससी और विधि और मंत्रालय द्वारा इस प्रस्ताव को खारिज करने के बावजूद प्रधानमंत्री ने अपनी मंजूरी दी.

गौर करने वाली बात यह है कि पीएमओ के नोटिंग पेज को हमें नहीं दिखाया जा रहा है. वे कह रहे हैं कि यह कुछ कॉन्फिडेंशियल मामला है. योगेन्द्र यादव ने कहा कि इसमें क्या कॉन्फिडेंशियल हो सकता है, यह न तो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है और न ही किसी सुरक्षा अधिकारी से.

Intro:एसएससी में धांधली पिछले साल बड़े आंदोलन का कारण बनी थी और इसे लेकर भारी संख्या में छात्र व सड़कों पर उतरे थे एसएससी के चेयरमैन असीम खुराना फिर से विवादों में हैं।


Body:असीम खुराना के एक्सटेंशन को लेकर पीएमओ पर एक बड़ा आरोप लगा है। युवा हल्ला बोल के बैनर तले स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने दिल्ली के प्रेस क्लब में एक प्रेस वार्ता के दौरान मीडिया के सामने कुछ पत्र रखें और इससे जुड़े कुछ तथ्यों से भी अवगत कराया। योगेंद्र यादव ने कहा कि 12 मई 2018 को असीम खुराना रिटायर हो गए थे, लेकिन 2 दिन बाद 14 मई 2018 को कैबिनेट की नियुक्ति समिति जिसके सदस्य प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह, ने प्रस्ताव जारी किया कि खुराना को एसएससी के चेयरमैन पद पर 1 साल का एक्सटेंशन दिया जाए।

योगेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी वाली समिति का आदेश अनैतिक होने के साथ-साथ दो मामलों में गैरकानूनी भी था। पहली बात यह है कि आदेश जारी होने के 2 दिन पहले यानी 12 मई को इस असीम खुराना सेवानिवृत्त हो चुके थे, इसलिए इस परिस्थिति में सेवा विस्तार का प्रावधान बनता ही नहीं है और दूसरी बात यह कि जब यह आदेश जारी किया गया, तो एसएससी नियुक्ति नियम में चेयरमैन पद के 62 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा को खुराना पार कर चुके थे लेकिन फिर भी उन्हें सेवा विस्तार दिया गया।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को युवा हल्ला बोल के अनुपम ने भी सम्बोधित क़िया। उन्होंने इस पूरे प्रकरण पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस मामले में 15 जून 2018 को यूपीएससी ने कहा कि कोर्ट आदेश के अलावा और किसी भी परिस्थिति में एसएससी की नियुक्ति नियमों में संशोधन को पिछली तारीख यानि पूर्व व्यापी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता है। इसके बाद विधि और न्याय मंत्रालय के अधिकारियों ने 3 बार, 6 जून, 16 अगस्त और 7 सितंबर को कैबिनेट कमेटी के प्रस्ताव को खारिज किया और कहा कि यह संविधान की धारा 14, 16 और 39 का खुला उल्लंघन है।

इस मामले में आरटीआई फाइल करने वाले कन्हैया कुमार से ईटीवी भारत ने इसे लेकर बातचीत की। वहीं ईटीवी भारत से बातचीत में योगेंद्र यादव ने कहा कि यूपीएससी और विधि और मंत्रालय द्वारा इस प्रस्ताव को खारिज करने के बावजूद प्रधानमंत्री ने अपनी मंजूरी दी। गौर करने वाली बात यह है कि पीएमओ के नोटिंग पेज को हमें नहीं दिखाया जा रहा है। वे कह रहे हैं कि यह कुछ कॉन्फिडेंशियल मामला है। योगेन्द्र यादव ने कहा कि इसमें क्या कॉन्फिडेंशियल हो सकता है, यह न तो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है और न ही किसी सुरक्षा अधिकारी से।


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