नई दिल्ली: आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक सूर्य एक तारा है और पृथ्वी आदि ग्रह इसके चारों और अपने-अपने अक्ष पर परिक्रमा कर रहे हैं. पृथ्वी पर जीवन है. पृथ्वी सूर्य का परिक्रमा कर रही है. सूर्य की दो गति होती है उत्तरायण और दक्षिणायन. इन्ही दोनों गतियों के कारण पृथ्वी पर मौसम बदलते हैं. इन्ही गति के अनुसार जब सूर्य कर्क राशि में आता है तो दिन की अवधि घटनी आरंभ हो जाती है. आप प्रत्यक्ष देखेंगे कि सूर्य धीरे-धीरे दक्षिण की ओर गति करते हुए बढ़ रहा है. इसी को सूर्य दक्षिणायन कहते हैं.
देवताओं की रात्रि काल: 21 जून को सायन गणना के अनुसार सूर्य कर्क संक्रांति में आएंगे. कर्क सक्रांति से मकर सक्रांति तक देवताओं की रात्रि काल माना गया है. इसमें देवता शयन करते हैं. इस अवधि में सभी देव कार्य वर्जित हो जाते हैं. 21 जून का दिन सबसे बड़ा होता है 21 जून को सूर्योदय 5:27 बजे होगा. और सूर्यास्त 19:07 बजे होगा. यह पूरे वर्ष का सबसे बड़ा दिन अर्थात 13 घंटे 50 मिनट का होगा और रात्रि सबसे छोटी 10 घंटे 10 मिनट की होगी.
सभी धार्मिक कार्य पर विराम: 22 जून से धीरे-धीरे दिन छोटा होता जाएगा और रात बड़ी होती जाएगी. 21 या 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन होगा और रात सबसे बड़ी होती है. कर्क सक्रांति के दिन सूर्य की उपस्थिति और प्रचण्डता सबसे अधिक रहती है. मध्यान्ह के समय व्यक्ति अपनी परछाई से भी वंचित हो जाता है. मतलब व्यक्ति की परछाई भी उसका साथ छोड़ देती है. कर्क में सूर्य आने पर प्रायः सभी शुभ कार्य, शादी, विवाह, मुंडन गृह प्रवेश आदि बंद हो जाते हैं क्योंकि इसके पश्चात देवशयनी एकादशी और चातुर्मास आरंभ हो जाता है. जिस कारण सभी धार्मिक कार्य में विराम लग जाता है.
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भारतीय राष्ट्रीय संवत्सर शक संवत की गणना सूर्य की गति के अनुसार की गई है. सौर वर्ष के अनुसार सूर्य की सक्रांति हर महीने 21 अथवा 22 तारीख को ही होती है. जबकि निरयण गणना के अनुसार सक्रांति 13 तारीख से 15 तारीख के बीच होती है.
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