नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना के नए वेरिएंट जेएन.1 का एक नया मामला सामने आने के बाद अब अन्य कोरोना पॉजिटिव आने वाले मरीजों की जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच होने लगी है. जीनोम सीक्वेंसिंग जांच में कोरोना के वेरिएंट का पता लगाया जाता है. आईएलबीएस अस्पताल स्थित वायरोलॉजी लैब की इंचार्ज डॉ एकता गुप्ता ने बताया कि जब किसी मरीज का आरटीपीसीआर टेस्ट पॉजिटिव आता है तो उसमें कोरोना संक्रमण की पुष्टि होती है. इसके बाद जब हमें उस मरीज में कोरोना का कौन सा वेरिएंट है, इसकी जांच करनी होती है. तब हम एक साथ कई सारे सैंपल को सीक्वेंसर में रखकर उसकी सीक्वेंसिंग करते हैं. इसी जांच को जीनोम सीक्वंसिंग कहते हैं.
डॉ एकता गुप्ता ने बताया कि इसमें हम देखते हैं कि उन सैंपल के जीनोम में न्यूक्लियोटाइड पोजीशन कैसी है. इसके बाद हम उसका आरएनए निकालते हैं. फिर आरएनए की लाइब्रेरी प्रिपरेशन करके उसको एलुमिना सीक्वेंसर में लगाते हैं. फिर इसका पूरा डेटा दो से तीन दिन में एनालाइज होता है. फिर अन्य कई सॉफ्टवेयर की मदद से इस डेटा की क्वालिटी चेक की जाती है. फिर इस डेटा को अलग अलग पोर्टल पर अपलोड करके वेरिएंट का पता लगाते हैं.
उन्होंने बताया कि हमारी लैब में सीक्वेंसिंग के लिए बड़ा सीक्वंसर है, जिसमें एक साथ 48 सैंपल की सीक्वंसिंग की जाती है. अभी सरकार की जो गाइडलाइंस जारी की गई है. उनके अनुसार इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस आईएलआई और सीवर एक्यूट रेस्पीरेटरी इंफेक्शंस के लक्षण वाले मरीजों की आरटीपीसीआर जांच की जा रही है. इनमें से जिन मरीजों के सैंपल पॉजीटिव आते हैं, उनकी फिर जीनोम सीक्वेंसिंग की जाती है. अभी हमारे यहां बहुत कम ही सैंपल पॉजिटिव आ रहे हैं.
दिल्ली में जीनोम सीक्वंसिंग के लिए चार लैब: मौजूदा समय में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए एम्स, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी), आईएलबीएस और लोकनायक अस्पताल में स्थित चार लैब में जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच सुविधा उपलब्ध है. देश के किसी भी राज्य की तुलना में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए दिल्ली में सर्वाधिक लैब है. साथ ही दिल्ली सरकार ने अभी अपने सभी अस्पतालों में कोरोना के आरटीपीसीआर जांच शुरू करा दी है.