नई दिल्ली: 7 साल की उम्र में ट्रेजर ऑफ शॉर्ट स्टोरी जैसी पुस्तक लिखने वाली अनंतिनी दिल्ली ही नहीं बल्कि देश की हर युवा लड़की के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं. वे अब तक छह पुस्तकें लिख चुकी हैं. उन्हें अनंतिनी मिश्रा के नाम से भी जाना जाता है. वह एक टेड टॉक स्पीकर, कंटेंट क्रिएटर और पॉडकास्टर भी हैं. कम उम्र में किताब लिखने वाली अनंतिनी को पूर्व उपराष्ट्रपति एम वैंकैया नायडू द्वारा प्रोडिजी लेखक और 'मानद डिप्लोमा' से सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा गुरुग्राम लिटरेचर फेस्टिवल 2019 में उन्हें यंग अचीवर्स अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है.
हाल ही में अनंतिनी ने अपनी नवीनतम किताब क्रॉसफायर की लॉन्चिंग के समय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की थी. अनंतिनी ने बताया कि राष्ट्रपति ने उन्हें बहुत प्रोत्साहित किया. उन्होंने हमेशा लेखन कार्य करते रहने के लिए आशीर्वाद दिया. बता दें कि अनंतिनी की किताब अमेजन पर बेस्ट सेलर रह चुकी है. अनंतिनी कई किताबें अमेजन पर उपलब्ध हैं. उनकी 5वीं किताब अमलगम, जो 2021 में प्रकाशित की गई थी, वह एक समय पर अमेजन पर बेस्ट सेलर किताब चुनी जा चुकी है.
बचपन से ही माता-पिता ने हाथों में थमाई किताब: अनंतिनी बताती हैं कि उन्हें बचपन से ही पढ़ने का बहुत शौक रहा है. उनके घर में आने वाले मेहमान उनके लिए किताब लाते थे. उन्हें फोन, लैपटॉप की बजाय किताबों में ज्यादा रुचि थी. उन्हें पूर्व आधुनिक काल के लेखकों की किताबें पढ़ना अच्छा लगता है. जॉन कीट्स, विलयम बट्लर, जेके रॉलिन, रस्किन बॉन्ड व अन्य लेखकों की किताबों को वह अपने खाली समय में पढ़ती हैं. वह आने वाले समय में समकालीन कथाओं को लिखने का प्रयास करेंगी.
विश्व पुस्तक मेले में रखी गई किताबें: अनंतिनी मिश्रा की किताबों को हाल में संपन्न हुए विश्व पुस्तक मेले में जगह दी गई. 12वीं की परीक्षा देने वाली अनंतिनी तैयारी की वजह से स्वयं वहां नहीं जा पाई थीं. लेकिन वह बताती है कि वहां पहुंचे लेखकों ने भी उन्हें आगे इसी तरह लिखने के लिए प्रोत्साहित किया.
पैनोरमा इंटरनेशलन लिटरेचर फेस्टिवल में भाग लेने वाली सबसे कम उम्र की लेखिका: अनंतिनी मिश्रा पैनोरमा इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल में भाग लेने वाली भारत की सबसे कम उम्र (13 वर्ष) की लेखिका रह चुकी हैं. उन्होंने बताया कि जब वह ठीक से कहानियां पढ़ भी नहीं पाती थीं, तब भी घर के बड़े सदस्य उन्हें कहानियां पढ़कर सुनाते थे. उनके पास ढेर सारे इलस्ट्रेशन से सजी 'कृष्णा की कहानियां' किताब हुआ करती थीं. वह किताब के चित्रों को देखती जाती और अपने सामने बैठे व्यक्ति को कहानियां सुनाने को कहती. बिना कहानियां सुनें वे खाना नहीं खाती थीं. जब वह पढ़ने लायक हुई तो उस किताब के अलावा, छोटे बच्चों की ढेर सारे चित्रों वाली किताबें पढ़ने लगीं. थोड़ी और बड़ी होने के बाद पोएट्री और नॉवेल पढ़ने लगी, फिर वह इंस्पिरेशनल क्लासिक किताबें पढ़ने लगी. हाल में उन्होंने श्रीमद भागवत गीता पढ़नी शुरू की है.
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