नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 8 दिसंबर को पेरनोड रिकॉर्ड इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक बिनॉय बाबू को जमानत दे दी, जिन्हें दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि आरोपी 13 महीने से अधिक समय से हिरासत में है और मामले में उसके खिलाफ मुकदमा अभी भी शुरू नहीं हुआ है.
जमानत की घोषणा के दौरान न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, ''आप लोगों को मुकदमे से पहले लंबे समय तक सलाखों के पीछे नहीं रख सकते. यह उचित नहीं है. हमें अभी भी नहीं पता कि यह कैसे होगा. सीबीआई जो आरोप लगा रहे है और ईडी जो आरोप लगा रही है, उसके बीच विरोधाभास प्रतीत होता है.''
बिनॉय बाबू की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि यह उनके मुवक्किल के खिलाफ पूरी तरह से 'फर्जी मामला' है, जिसकी जांच ईडी कर रही है. वरिष्ठ वकील ने कहा, "ईडी के मामले के अनुसार, बाबू ने 27 मार्च, 2021 को विजय नायर से मुलाकात की थी, लेकिन मसौदा उत्पाद शुल्क नीति की घोषणा 22 मार्च, 2021 को पहले ही कर दी गई थी." न्यायमूर्ति खन्ना ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजू से यह भी कहा कि ईडी मुकदमा शुरू किए बिना इतने लंबे समय तक किसी को भी पीछे नहीं रख सकती और आदेश दिया कि मामले में बाबू को जमानत पर रिहा कर दिया जाए.
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पीठ ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का निर्देश देते हुए कहा, ''यह और कुछ नहीं बल्कि लंबे समय तक सुनवाई से पहले हिरासत है. सीबीआई के मामले में वह अभियोजन पक्ष के गवाह हैं लेकिन ईडी के मामले में उन्हें आरोपी के रूप में नामित किया गया है.'' इससे पहले 4 दिसंबर को दिल्ली की एक अदालत ने बिनॉय बाबू को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था. बाबू पहले इलाज के आधार पर 4 महीने के ज्यादा समय के लिए अंतरिम जमानत पर थे, उनका दावा था कि वह जबड़े की हड्डी और मसूड़ों की बीमारी से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं. बाबू को प्रवर्तन निदेशालय ने 10 नवंबर, 2022 को गिरफ्तार किया था और वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में है.
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