नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में विरोध प्रदर्शन करने पर कार्रवाई को लेकर जारी की गई नए प्रावधानों वाली नियमावली के बाद जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष पर जुर्माना लगाया गया है. मुख्य प्राक्टर कार्यालय की ओर से छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष पर 10 हजार का जुर्माना लगाया गया है. आइशी पर जबरन छात्र संघ का दफ्तर खुलवाने का आरोप था. वहीं, दूसरी ओर विश्वविद्यालय के अधिकारी लगातार कह रहे हैं कि नियम पहले से ही थे. इन्हें और मजबूत करने के लिए कार्यकारी परिषद से अनुमोदित कराया गया है.
विश्वविद्यालय परिसर में आए दिन होने वाले विरोध प्रदर्शन को रोकने और माहौल को ठीक करने के लिए यह निर्णय लिया गया है. हालांकि, किसी भी तरह के प्रदर्शन करने और पोस्टर लगाने पर रोक नहीं लगाई गई है. जुर्माना शराब पीने, नशीली दवाओं के उपयोग, अनुशासनहीनता और छात्रावासों में महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार पर है. प्राक्टर कार्यालय इस तरह के मामलों पर 1969 से अनुशासनात्मक कार्रवाई कर रहा है.
जुर्माना लगने के बाद जेएनयूएसयू की वर्तमान अध्यक्ष आइशी घोष ने एक बयान जारी कर कहा है कि नए नियम सीधे तौर पर छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों को प्रभावित करते हैं. उन्होंने कहा कि जेएनयू में छात्रों की सभी समस्याओं के लिए छात्रावास के अध्यक्ष से लेकर छात्रों के प्रतिनिधि तक लगातार सवाल उठाते रहे हैं. छात्र प्रतिनिधि होने के नाते यह उनका दायित्व भी है.
जेएनयू प्रशासन की नई नियमावली लागू करने की पहल विश्वविद्यालय में लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत बातचीत प्रक्रिया को खत्म करने की कोशिश है. नए नियम लाने के बाद छात्र संघ भवन का उपयोग करने के लिए मुझ पर भी 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. प्रशासन पूरी तरह से मूल्यांकन प्रक्रिया की अनदेखी कर रहा है. यह तरीका छात्रों की आवाज को दबा रहा है.
विद्यार्थी परिषद ने भी जताया विरोध: जेएनयू में विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की इकाई भी विश्वविद्यालय प्रशासन के फैसले पर विरोध जता रही है. इकाई मंंत्री विकास पटेल ने कहा कि जुर्माना भरकर कोई भी देश विरोधी बात कर सकता है. ऐसे नियम वापस लिए जाने चाहिए. इसका कड़ा विरोध करेंगे. बता दें कि चीफ प्राक्टर कार्यालय से जो नियमावली जारी की गई है, इसमें 28 प्रकार के कदाचारों की रूपरेखा दी गई है, जिसमें देश विरोधी नारे लगाने पर 10,000 रुपये का जुर्माना, दीवार पर पोस्टर लगाने पर प्रतिबंध और धरना देना भी शामिल है. वहीं, शैक्षणिक भवनों से 100 मीटर की दूरी सहित अन्य दंडनीय कृत्यों के लिए 20,000 रुपये तक का जुर्माना या विश्वविद्यालय से निष्कासन का भी प्रावधान है.