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जामा मस्जिद के पास ये शख्स फुटपाथ पर तीसों दिन गरीबों को कराता है रोज़ा इफ्तार - delhinews

नेकी का नजारा जामा मस्जिद के पास कबूतर मार्केट में देखने को मिला जहां एक नेक इंसान रमजान के 30 दिन उन लोगों को रोज़ा इफ्तार कराता है, जो इफ्तारी का सामान खरीदने में सक्षम नहीं होते हैं.

यहां होता है तीसों दिन रोज़ा इफ्तार
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Published : May 16, 2019, 8:46 AM IST

नई दिल्ली: रमजान का महीना बेहद ही पाक और नेकी का महीना होता है. रमजान में मुसलमान पांच वक्त की नमाज और रोज़ा रखते हैं. दूसरी तरफ लोगों की मदद कर नेकी कमाते हैं.

यहां होता है तीसों दिन रोज़ा इफ्तार

ऐसा ही एक नेकी का नजारा जामा मस्जिद के पास कबूतर मार्केट में देखने को मिला जहां एक नेक इंसान रमजान के 30 दिन उन लोगों को रोज़ा इफ्तार कराता है, जो इफ्तारी का सामान खरीदने में सक्षम नहीं होते हैं.

शाम 6:30 बजे कबूतर मार्केट के पास फुटपाथ पर कुछ लोग चटाई बिछाकर इफ्तारी का सामान तैयार करते हैं. आबाद अली एक ट्रैवल कंपनी चलाते हैं. रोज शाम लगभग 6:00 बजे के आसपास यहीं कबूतर मार्केट के पास कुर्सी डाल कर बैठ जाते हैं और वहीं मौजूद कुछ लोगों को पैसे देकर इफ्तारी के लिए फ़ल, खजूर, जूस और खाने का सामान मंगा लेते हैं.

वहां मौजूद लोग इफ्तारी के सामान को फुटपाथ पर सजा देते हैं, फुटपाथ पर इफ्तार का सामान लगा देख वहां से गुजरने वाले जरूरतमंद उस फुटपाथ पर आकर बैठ जाते हैं कुछ ही देर में यहां 20-25 लोग हो जाते हैं जो कि साथ बैठकर इफ्तार करते हैं और यह सिलसिला रमजान भर चलता रहता है.

नई दिल्ली: रमजान का महीना बेहद ही पाक और नेकी का महीना होता है. रमजान में मुसलमान पांच वक्त की नमाज और रोज़ा रखते हैं. दूसरी तरफ लोगों की मदद कर नेकी कमाते हैं.

यहां होता है तीसों दिन रोज़ा इफ्तार

ऐसा ही एक नेकी का नजारा जामा मस्जिद के पास कबूतर मार्केट में देखने को मिला जहां एक नेक इंसान रमजान के 30 दिन उन लोगों को रोज़ा इफ्तार कराता है, जो इफ्तारी का सामान खरीदने में सक्षम नहीं होते हैं.

शाम 6:30 बजे कबूतर मार्केट के पास फुटपाथ पर कुछ लोग चटाई बिछाकर इफ्तारी का सामान तैयार करते हैं. आबाद अली एक ट्रैवल कंपनी चलाते हैं. रोज शाम लगभग 6:00 बजे के आसपास यहीं कबूतर मार्केट के पास कुर्सी डाल कर बैठ जाते हैं और वहीं मौजूद कुछ लोगों को पैसे देकर इफ्तारी के लिए फ़ल, खजूर, जूस और खाने का सामान मंगा लेते हैं.

वहां मौजूद लोग इफ्तारी के सामान को फुटपाथ पर सजा देते हैं, फुटपाथ पर इफ्तार का सामान लगा देख वहां से गुजरने वाले जरूरतमंद उस फुटपाथ पर आकर बैठ जाते हैं कुछ ही देर में यहां 20-25 लोग हो जाते हैं जो कि साथ बैठकर इफ्तार करते हैं और यह सिलसिला रमजान भर चलता रहता है.

Intro:आज भी इस भागती दौड़ती जिंदगी में लोगों के अंदर इंसानियत देखने को मिलती है, रमजान के पाक महीने नेकी के नजारे अक्सर पुरानी दिल्ली में देखने को मिल जाते हैं. नेगी का ऐसा ही एक नजारा पुरानी दिल्ली में जामा मस्जिद के पास देखने को मिला.


Body:रमजान का महीना नेकी का महीना कहलाता है इस महीने में मुसलमान जहां एक तरफ पांच वक्त की नमाज और रोजा रखते हैं तो दूसरी तरफ लोगों की मदद कर नेकी कमाते हैं.

ऐसा ही एक नेकी का नजारा जामा मस्जिद के पास कबूतर मार्केट में देखने को मिला जहां एक नेक इंसान रमजान के 30 दिन उन लोगों को रोज़ा इफ्तार कराता है जो कि इफ्तारी का सामान खरीदने में सक्षम नहीं है.

शाम 6:30 बजे कबूतर मार्केट के पास फुटपाथ पर कुछ लोग चटाई बिछाकर इफ्तारी का सामान तैयार करते दिखे, फुटपाथ पर बन रही इफ्तारी को देख ईटीवी भारत की टीम उनके पास पहुंची और उनसे बातचीत की.

आबाद अली जोकि एक ट्रैवल कंपनी चलाते हैं रोज शाम लगभग 6:00 बजे के आसपास यही कबूतर मार्केट के पास कुर्सी डाल कर बैठ जाते हैं और वहीं मौजूद कुछ लोगों को पैसे देकर इफ्तारी के लिए फ़ल, खजूर, जूस और खाने का सामान मंगा लेते हैं.

वहीं मौजूद लोग इफ्तारी के सामान को फुटपाथ पर सजा देते हैं, फुटपाथ पर इफ्तार का सामान लगा देख वहां से गुजरने वाले जरूरतमंद उस फुटपाथ पर आकर बैठ जाते हैं कुछ ही देर में यहां पर 20-25 लोग हो जाते हैं जो कि साथ बैठकर इफ्तार करते हैं.

ईटीवी से बातचीत में आबाद अली ने बताया कि वह रमजान के पहले रोज़े से इसी फुटपाथ पर जरूरतमंदों को इफ्तार कराते हैं और यह सिलसिला रमजान भर चलता रहता है.






Conclusion:रमजान के महीने में विभिन्न तरह से लोग एक दूसरे की मदद करते हैं और इस पाक महीने में अपने आप को खुशनसीब समझते हैं कि ऊपर वाले ने उनको किसी की मदद करने का मौका दिया.
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