नई दिल्ली: मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार सतीश साना बाबू को राउज एवेन्यू कोर्ट ने जमानत दे दी है. कोर्ट ने पांच लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी. पिछले 17 अगस्त को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सुनवाई के दौरान ईडी ने सतीश साना बाबू की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा था कि 60 में से 20 दिन बीत गए हैं और हमें चार्जशीट भी दाखिल करना है, हमें समय दिया जाए ताकि हम चार्जशीट दाखिल कर सकें.
ईडी ने चार्जशीट दाखिल करने से पहले सतीश साना बाबू को जमानत देने का विरोध किया था. ईडी ने कहा था कि इस मामले में पहले हमने सतीश साना बाबू को गवाह बनाया लेकिन जांच में पता चला कि वो मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में लिप्त है. उसके खिलाफ जांच चल रही है और जमानत देने से जांच प्रभावित होने का अंदेशा है.
सतीश साना बाबू की ओर से वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने कहा था कि हमारे बयानों की वजह से सतीश साना बाबू को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, सतीश साना बाबू एक गवाह था और गवाह को सुरक्षा मिली होती है.
सतीश साना बाबू की ओर से वकील मोहित माथुर ने कहा था कि 2017 में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 50 के तहत बयान दर्ज कराया गया जिसमें हमें गवाह बनाया गया. क्या ईडी ये कह सकती है कि सतीश साना बाबू के बयान भरोसे लायक नहीं हैं?
पिछले 9 अगस्त को कोर्ट ने सतीश साना बाबू को 23 अगस्त तक की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. 9 अगस्त को ही सतीश साना बाबू ने अपनी जमानत याचिका दायर की थी. पिछले 1 अगस्त को कोर्ट ने 9 अगस्त तक की ईडी हिरासत में भेज दिया था.
पिछले 27 जुलाई को कोर्ट ने सतीश साना बाबू को 1 अगस्त तक की ईडी हिरासत में भेजा था. ईडी ने उसे 26 जुलाई को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था. साना का नाम आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को रिश्वत देने के आरोप में सामने आया है. साना के मुताबिक उससे रिश्वत की मांग की गई थी.
FIR के मुताबिक मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद सतीश साना से दुबई में मिले और उसका मामला रफा-दफा कराने का आश्वासन दिलाया. साना दुबई का कारोबारी है, सीबीआई उसके खिलाफ मीट कारोबारी से संबंध को लेकर जांच कर रही है. कुरैशी साल 2014 के बाद से भ्रष्टाचार के केस में कई एजेंसियों के निशाने पर हैं.
सीबीआई के मुताबिक 2 करोड़ रुपये की घूस सतीश ने खुद को 25 अक्टूबर 2018 तक बचाए रखने के लिए दी थी.10 अक्टूबर 2018 को 25 लाख रुपये चुकाए गए और बाकी के पैसे 16 अक्टूबर 2018 तक चुकाने की बात हुई. सीबीआई ने 16 अक्टूबर को बिचौलिए मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया, जब वो बाकी के पौने दो करोड़ रुपये लेने भारत आया था.