नई दिल्ली: रमज़ान का महीना नेकी और इबादत का होता है. इस पाक महीने में मुसलमान जहां एक तरफ नमाज़ पढ़ कर इबादत करते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ गरीबों की मदद कर नेकी कमाते हैं. नेकी का एक ऐसा ही नजारा पुरानी दिल्ली में देखने को मिला.
दिल्ली का चांदनी चौक आज भी अपनी ऐतिहासिक धरोहर के लिए जाना जाता है. देश विदेश से यहां करोड़ों सैलानी मुगलों की बनाई गई आलीशान इमारतों का दीदार करने आते हैं.
रमजान के महीने में इंसानियत का एक पाक नजारा यहां देखने को मिला है. चांदनी चौक का मटिया महल एक मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है. जहां पर रमजान की रौनक देखते ही बनती है.
मटिया महल में खाने के काफी होटल हैं. जिन पर स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटक भी आते हैं. होटलों के आगे एक झुंड में कुछ लोग बैठे दिखे. ये लोग इस उम्मीद में यहां बैठे थे कि कोई नेक इंसान आएगा और इनको एक वक्त की रोटी खिलाएगा.
सड़क के दोनों तरफ खाने के होटल थे और दोनों तरफ एक जैसा ही नजारा था. दोनों तरफ झुंड में लोग बैठे हुए थे. रमज़ान के इस पाक महीने में पर्यटक और स्थानीय लोग इन लोगों को इंसानियत के तौर पर खाना खिलाते हैं.
जब हमने होटल वाले से इस पर बातचीत की तो उन्होंने बताया कि हमारे यहां जो भी लोग होटल में खाना खाने आते हैं उनका अक्सर झुंड में बैठे इन लोगों की तरफ ध्यान जाता है और वो इन्हें खाना खिलाते हैं.
इस महंगाई के दौर में 20 रुपए में भर पेट खाना मिल पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन पुरानी दिल्ली में 20 रुपए में खाना मिल जाता है. ये सुविधा आम तौर पर सभी होटलों पर उपलब्ध है.
होटल पर काम करने वाले लोग बताते हैं कि लोग यहां आते हैं और वो 20 रुपए में दो रोटी और सब्जी खरीदकर इन लोगों को दे देते हैं. जिस-जिस को मिलता जाता है वो यहां से खाना लेकर उठ जाता है.
जिसकी जैसी हैसियत होती है वो उसी हिसाब से इन लोगों को खाना खिलाता है. कोई इंसान 2 लोगों को खाना खिला पाता है तो कोई 50 लोगों को एक बार में खाना खिला कर चला जाता है.
चांदनी चौक के मटिया महल में आज भी इंसानियत जिंदा है आज भी लोग उन लोगों की परवाह करते हैं जिनके पास ना रहने को घर है और ना ही खाने को दो वक्त की रोटी.