नई दिल्ली: आईएनएक्स मीडिया डील केस में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्वि वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, ईडी ने कोर्ट से एक दिन की हिरासत की मांग की थी. चिदंबरम ने हाईकोर्ट में अंतरिम जमानत याचिका दायर की है जिस पर कोर्ट कल यानि 31 अक्टूबर को सुनवाई करेगा.
आज चिदंबरम की ईडी हिरासत खत्म हो रही थी जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, पिछले 24 अक्टूबर को कोर्ट ने आज तक की ईडी हिरासत में भेजा था.
पिछले 24 अक्टूबर को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा था कि कुछ नए दस्तावेज मिले हैं जिनके बारे में चिदंबरम से पूछताछ करनी है. वहीं चिदंबरम की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने ईडी हिरासत का विरोध करते हुए कहा था कि चिदंबरम की तबीयत खराब है और उन्हें हैदराबाद में पहले से उनका इलाज कर रहे डॉक्टर से दिखाया जाना चाहिए उसके बाद ईडी को पूछताछ की इजाजत दी जानी चाहिए.
पिछले 17 अक्टूबर को कोर्ट ने चिदंबरम की 24 अक्टूबर तक की ईडी हिरासत में भेजने का आदेश दिया था. चिदंबरम ने ईडी के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया है.
पिछले 16 अक्टूबर को कोर्ट ने पी चिदरंबरम के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी किया था, ईडी ने कोर्ट को बताया था कि उसने चिदंबरम से पूछताछ की है और उन्हें गिरफ्तार किया है. उसके बाद कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वो चिदंबरम को 17 अक्टूबर को कोर्ट में पेश करें.
ईडी की ओर से वकील अमित महाजन ने कोर्ट को बताया था कि ईडी के अधिकारियों ने चिदंबरम के बयान भी दर्ज किए हैं. बता दें कि ईडी के तीन अधिकारी आज सुबह तिहाड़ जेल चिदंबरम से पूछताछ के लिए पहुंचे. ईडी ने चिदंबरम से पूछताछ करने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया. लेकिन तिहाड़ जेल प्रशासन ने बिना कोर्ट के आदेश के चिदंबरम को ले जाने की अनुमति नहीं दी थी.
पिछले 15 अक्टूबर को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी को चिदंबरम से पूछताछ के बाद गिरफ्तार करने की अनुमति दे दी थी. चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने विरोध करते हुए कहा था कि ईडी चिदंबरम की गिरफ्तारी और हिरासत की मांग नहीं कर सकती है. सिब्बल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने जब गिरफ्तार करने के लिए कहा तो ईडी ने उस समय गिरफ्तार नहीं किया. 15 दिन बीतने के बाद भी उन्हें हिरासत में नहीं लिया जा सकता है क्योंकि ईडी भी उसी लेन देन की बात कर रही है जो सीबीआई कर रही है.
सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की था और उस एफआईआर के आधार पर ईडी ने ईसीआईआर दर्ज किया था. दोनों अलग-अलग नहीं हैं. जब लेनदेन समान है तो भले ही अपराध अलग-अलग हों लेकिन 15 दिन से ज्यादा की रिमांड नहीं बढ़ाई जा सकती है.
ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जब गलत सवाल से शुरुआत होगी तो दलीलें भी गलत दी जाएंगी. उन्होंने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग स्वतंत्र अपराध है. अगर किसी ने अपराध किया है, उसे छिपाया है या उसे छिपाने की कोशिश की है वो अपराधी है.
मेहता ने कहा था कि अगर आप 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते हैं और कोई इसे इस्तेमाल करता है और निवेश करता है तो जांच एजेंसी का काम है कि उसका खुलासा करें. उन्होंने कहा था कि एक जांच एजेंसी की तरह ही दूसरी एजेंसी की जांच नहीं हो सकती है. मेहता ने कहा था कि इस कोर्ट को प्रोडक्शन वारंट के फैसले पर पुनर्विचार का अधिकार नहीं है. तब सिब्बल ने कहा था कि जब न्यायिक हिरासत पहले से है तो ईडी हिरासत की मांग नहीं कर सकती है.
याचिका में ईडी ने कहा है कि चिदंबरम से 17 खातों और विदेशी संपत्तियों की जानकारी लेनी है.
पिछले 30 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के मामले में चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. जस्टिस सुरेश कैत ने कहा था कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. उसके बाद 3 अक्टूबर को चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जमानत की मांग की.
बता दें कि पी चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया डील के सीबीआई से जुड़े मामले में पिछले 21 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था. आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई ने 15 मई 2017 को एफआईआर दर्ज की थी, इसमें आरोप लगाया गया है कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपये की विदेशी धनराशि प्राप्त करने के लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड से मंजूरी देने में गड़बड़ी की गई. इसके बाद ईडी ने 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था.