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Delhi Liquor Scam: सिसोदिया ने एक साल में किया 14 मोबाइल का इस्तेमाल, सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहींः कोर्ट - Rouse Avenue Court made several observations

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज की. इस दौरान कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां की. कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया ने एक साल के दरम्यान 14 मोबाइल फोन इस्तेमाल किए थे. कोर्ट ने यह भी कहा कि उनके द्वारा गवाहों और सबूतों से छेड़छाड़ करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

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Published : Apr 29, 2023, 12:27 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को खारिज करते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने कई अहम टिप्पणियां की है. जमानत याचिका खारिज करने के अपने आदेश में न्यायाधीश ने लिखा है कि सिसोदिया द्वारा आबकारी नीति को मंजूरी देने से लागू करने तक एक साल की अवधि में 14 मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था. इन मोबाइल में आईएमईआई नंबर और चार अलग-अलग सिम नंबर थे. इनमें से एक फोन सीबीआई ने जांच के दौरान जब्त किया था. जबकि दो अन्य फोन ही जांच के लिए दिए गए हैं. इसके अलावा चार में से तीन मोबाइल फोन जांच अधिकारी को न देने के तथ्यों से को देखते हुए उनके द्वारा गवाहों और सबूतों से छेड़छाड़ करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.

सिसोदिया ने बतौर उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर आपराधिक और आर्थिक साजिश रचने का काम किया है. इसलिए यह आरोप बहुत ही गंभीर प्रकृति के हैं. ऐसे में जनता और समाज में विशेष प्रभाव डालने वाले आर्थिक अपराध के मामले में सिसोदिया को जमानत देने का आधार नहीं है. मनी लांड्रिंग के मामले में सिसोदिया के खिलाफ आरोप व्यक्तिगत न होकर बल्कि सार्वजनिक पद पर रहते हुए लगे हैं, जो जमानत न देने के लिए मजबूर करते हैं. करोड़ों रूपये की रिश्वत की आय विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से उत्पन्न की गई थी. कोर्ट ने पत्नी की बीमारी और खराब स्थिति को भी जमानत देने के लिए पर्याप्त कारण नहीं माना.

गोवा चुनाव में आबकारी घोटाले की धनराशि का इस्तेमाल : राउज एवेन्यू कोर्ट ने कहा कि यह भी आरोप सामने आबकारी घोटाले में साउथ लॉबी से मिली रिश्वत के रूप में मिली धनराशि का इस्तेमाल गोवा विधानसभा चुनाव अभियान में किया गया था. धनराशि गोवा चुनाव में खर्च के लिए हवाला के माध्यम से स्थानांतरित की गई थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह हस्तांतरण सह आरोपित विजय नायर के निर्देशों पर किया गया था, जोकि न सिर्फ पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का प्रतिनिधि था, बल्कि का मीडिया प्रभारी भी था. विजय नायर ही गोवा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का काम देख रहा था. वह मामले में सह आरोपित राजेश जोशी की स्वामित्य वाली एक कंपनी से भी जुड़ा था. जिसे गोवा चुनाव के प्रचार-प्रसार व अन्य कार्य करने का निर्देश दिया गया था.

ये भी पढे़ंः Wrestlers Protest: प्रियंका गांधी ने की पहलवानों से मुलाकात, कहा- पूरी सरकार एक व्यक्ति को बचाने में जुटी

सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर एक मई को संज्ञान : कोर्ट ने कहा कि आबकारी घोटाले में किए गए पैसे के हेर-फेर में दर्ज मनी लांड्रिंग के केस में ईडी ने तीसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है. Conclusion:इसे रिकार्ड पर लेते हुए कोर्ट ने इसे एक मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली एयरपोर्ट से गायब हुआ बिल्ली का बच्चा, महिला यात्री ने Air India पर लगाया लापरवाही का आरोप

नई दिल्ली: दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को खारिज करते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने कई अहम टिप्पणियां की है. जमानत याचिका खारिज करने के अपने आदेश में न्यायाधीश ने लिखा है कि सिसोदिया द्वारा आबकारी नीति को मंजूरी देने से लागू करने तक एक साल की अवधि में 14 मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था. इन मोबाइल में आईएमईआई नंबर और चार अलग-अलग सिम नंबर थे. इनमें से एक फोन सीबीआई ने जांच के दौरान जब्त किया था. जबकि दो अन्य फोन ही जांच के लिए दिए गए हैं. इसके अलावा चार में से तीन मोबाइल फोन जांच अधिकारी को न देने के तथ्यों से को देखते हुए उनके द्वारा गवाहों और सबूतों से छेड़छाड़ करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.

सिसोदिया ने बतौर उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर आपराधिक और आर्थिक साजिश रचने का काम किया है. इसलिए यह आरोप बहुत ही गंभीर प्रकृति के हैं. ऐसे में जनता और समाज में विशेष प्रभाव डालने वाले आर्थिक अपराध के मामले में सिसोदिया को जमानत देने का आधार नहीं है. मनी लांड्रिंग के मामले में सिसोदिया के खिलाफ आरोप व्यक्तिगत न होकर बल्कि सार्वजनिक पद पर रहते हुए लगे हैं, जो जमानत न देने के लिए मजबूर करते हैं. करोड़ों रूपये की रिश्वत की आय विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से उत्पन्न की गई थी. कोर्ट ने पत्नी की बीमारी और खराब स्थिति को भी जमानत देने के लिए पर्याप्त कारण नहीं माना.

गोवा चुनाव में आबकारी घोटाले की धनराशि का इस्तेमाल : राउज एवेन्यू कोर्ट ने कहा कि यह भी आरोप सामने आबकारी घोटाले में साउथ लॉबी से मिली रिश्वत के रूप में मिली धनराशि का इस्तेमाल गोवा विधानसभा चुनाव अभियान में किया गया था. धनराशि गोवा चुनाव में खर्च के लिए हवाला के माध्यम से स्थानांतरित की गई थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह हस्तांतरण सह आरोपित विजय नायर के निर्देशों पर किया गया था, जोकि न सिर्फ पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का प्रतिनिधि था, बल्कि का मीडिया प्रभारी भी था. विजय नायर ही गोवा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का काम देख रहा था. वह मामले में सह आरोपित राजेश जोशी की स्वामित्य वाली एक कंपनी से भी जुड़ा था. जिसे गोवा चुनाव के प्रचार-प्रसार व अन्य कार्य करने का निर्देश दिया गया था.

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सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर एक मई को संज्ञान : कोर्ट ने कहा कि आबकारी घोटाले में किए गए पैसे के हेर-फेर में दर्ज मनी लांड्रिंग के केस में ईडी ने तीसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है. Conclusion:इसे रिकार्ड पर लेते हुए कोर्ट ने इसे एक मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.

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