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ठंड व बदलते मौसम से बढ़ा निमोनिया का खतरा, ऐसे रखें ख्याल

नवंबर के आखिरी सप्ताह में बारिश होने से दिल्ली एनसीआर में ठंड बढ़ने लगी है. बढ़ती सर्दी के चलते बच्चों और बुजुर्गों में निमोनिया की शिकायत भी बढ़ रही है. बदलते मौसम में आप सेहत का ख्याल कैसे रखें जानिए वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बी पी त्यागी से.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 29, 2023, 12:53 PM IST

Updated : Nov 30, 2023, 6:15 AM IST

ठंड व बदलते मौसम से बढ़ा निमोनिया का खतरा,

नई दिल्ली/गाजियाबाद: बारिश के बाद तापमान लुढ़कने से सर्दी का सितम बढ़ने लगा है. बढ़ती सर्दी के चलते बच्चों और बुजुर्गों में निमोनिया की शिकायत भी बढ़ रही है. जिला एमएमजी अस्पताल की ओपीडी में हर दिन तकरीबन दो दर्जन से अधिक बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. औसतन हर दिन पांच बच्चों को भर्ती किया जा रहा है. बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. ऐसे में ठंड बढ़ने से बच्चों में निमोनिया और संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है.

नवंबर के आखिरी हफ्ते में बारिश होने से दिल्ली एनसीआर में ठंड बढ़ने लगी है. अस्पतालों में निमोनिया के मामले बढ़ रहे हैं. वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बी पी त्यागी के मुताबिक ठंड बढ़ने से अस्पताल में निमोनिया के मामले सामने आ रहे हैं. चंद दिनों में इन मामलों में इजाफा देखा गया है. विशेष कर बच्चों और बुजुर्गों में निमोनिया की समस्या अधिक देखी जा रही है. विशेष कर न्यूरो कंप्रोमाइज पेशेंट में निमोनिया की समस्या उत्पन्न हो रही है.

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बी पी त्यागी के मुताबिक ठंड बढ़ने से इन्फ्लूएंजा और निमोनिया के वायरस, बैक्टीरिया और फंगस बहुत ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं. जब यह वाइरस सांस के रास्ते फेफड़ों तक पहुंचता है तो इससे इंफेक्शन होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. कई बार इंफेक्शन होने के चलते पस बन जाता है. जिसको न्यूमाइटिस कहा जाता है. मौसम बदलने के साथ इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.

छोटे बच्चों में निमोनिया के लक्षण

शिशुओं और नवजात शिशुओं में निमोनिया के कोई लक्षण नहीं दिख सकते हैं या उनके लक्षण वयस्कों से भिन्न हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं

  • बुखार, ठंड लगना, सामान्य असुविधा, पसीना आना.
  • खाँसी.
  • सांस लेने में कठिनाई या तेजी से सांस लेना.
  • भूख में कमी.
  • उल्टी करना.
  • शक्ति की कमी.
  • बेचैनी या घबराहट.

शिशुओं और छोटे बच्चों में आप जो लक्षण देख सकते हैं उनमें शामिल हैं:

  • सांस लेने के साथ घुरघुराने की आवाज या सांस लेने में शोर होना.
  • पेशाब या कम गीले डायपर की मात्रा में कमी.
  • पीली त्वचा.
  • लंगड़ापन.
  • सामान्य से अधिक रोना.
  • खिलाने में कठिनाई.

निमोनिया होने पर कैसे रखें ख्याल

  • अपने डॉक्टर से परामर्श लें कि कौन से टीके आपके लिए उपयुक्त है.
  • अपने हाथों को बार-बार धोना, खांसते या छींकते समय अपना मुंह और नाक ढकना और बीमार लोगों के संपर्क से बचना.
  • धूम्रपान आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और आपको निमोनिया सहित श्वसन संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है.
  • एक स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखना, जिसमें पर्याप्त नींद लेना, संतुलित आहार खाना, नियमित व्यायाम करना और तनाव का प्रबंधन करना शामिल है.

Disclaimer: खबर में दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं हो सकती है. खबर केवल जानकारी के लिए है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें.

ठंड व बदलते मौसम से बढ़ा निमोनिया का खतरा,

नई दिल्ली/गाजियाबाद: बारिश के बाद तापमान लुढ़कने से सर्दी का सितम बढ़ने लगा है. बढ़ती सर्दी के चलते बच्चों और बुजुर्गों में निमोनिया की शिकायत भी बढ़ रही है. जिला एमएमजी अस्पताल की ओपीडी में हर दिन तकरीबन दो दर्जन से अधिक बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. औसतन हर दिन पांच बच्चों को भर्ती किया जा रहा है. बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. ऐसे में ठंड बढ़ने से बच्चों में निमोनिया और संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है.

नवंबर के आखिरी हफ्ते में बारिश होने से दिल्ली एनसीआर में ठंड बढ़ने लगी है. अस्पतालों में निमोनिया के मामले बढ़ रहे हैं. वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बी पी त्यागी के मुताबिक ठंड बढ़ने से अस्पताल में निमोनिया के मामले सामने आ रहे हैं. चंद दिनों में इन मामलों में इजाफा देखा गया है. विशेष कर बच्चों और बुजुर्गों में निमोनिया की समस्या अधिक देखी जा रही है. विशेष कर न्यूरो कंप्रोमाइज पेशेंट में निमोनिया की समस्या उत्पन्न हो रही है.

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बी पी त्यागी के मुताबिक ठंड बढ़ने से इन्फ्लूएंजा और निमोनिया के वायरस, बैक्टीरिया और फंगस बहुत ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं. जब यह वाइरस सांस के रास्ते फेफड़ों तक पहुंचता है तो इससे इंफेक्शन होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. कई बार इंफेक्शन होने के चलते पस बन जाता है. जिसको न्यूमाइटिस कहा जाता है. मौसम बदलने के साथ इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.

छोटे बच्चों में निमोनिया के लक्षण

शिशुओं और नवजात शिशुओं में निमोनिया के कोई लक्षण नहीं दिख सकते हैं या उनके लक्षण वयस्कों से भिन्न हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं

  • बुखार, ठंड लगना, सामान्य असुविधा, पसीना आना.
  • खाँसी.
  • सांस लेने में कठिनाई या तेजी से सांस लेना.
  • भूख में कमी.
  • उल्टी करना.
  • शक्ति की कमी.
  • बेचैनी या घबराहट.

शिशुओं और छोटे बच्चों में आप जो लक्षण देख सकते हैं उनमें शामिल हैं:

  • सांस लेने के साथ घुरघुराने की आवाज या सांस लेने में शोर होना.
  • पेशाब या कम गीले डायपर की मात्रा में कमी.
  • पीली त्वचा.
  • लंगड़ापन.
  • सामान्य से अधिक रोना.
  • खिलाने में कठिनाई.

निमोनिया होने पर कैसे रखें ख्याल

  • अपने डॉक्टर से परामर्श लें कि कौन से टीके आपके लिए उपयुक्त है.
  • अपने हाथों को बार-बार धोना, खांसते या छींकते समय अपना मुंह और नाक ढकना और बीमार लोगों के संपर्क से बचना.
  • धूम्रपान आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और आपको निमोनिया सहित श्वसन संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है.
  • एक स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखना, जिसमें पर्याप्त नींद लेना, संतुलित आहार खाना, नियमित व्यायाम करना और तनाव का प्रबंधन करना शामिल है.

Disclaimer: खबर में दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं हो सकती है. खबर केवल जानकारी के लिए है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें.

Last Updated : Nov 30, 2023, 6:15 AM IST
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