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सिविल सर्वेंट का विजन ही विकास के लिए काफी नहीं, हमें एक्सपर्ट्स की जरूरत: विनीता हरिहरन - Public Policy Making

सेंट्रल दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशनल क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद मशहूर पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट विनीता हरिहरन ने ईटीवी भारत से बात करते हुए इस मुद्दे पर अपनी राय साझा की.

पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट विनीता हरिहरन
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Published : May 25, 2019, 8:50 PM IST

नई दिल्ली: भारत में पब्लिक पॉलिसी मेकिंग अमूमन नौकरशाही के हाथ में होती है. बीते सालों से ये विषय भी एक मुद्दा बन गया है, जिसमें किसी एक सिविल सर्वेंट को सभी क्षेत्रों का एक्सपर्ट मान लेने पर सवाल उठते रहे हैं. इसी बीच तंत्र में अब नौकरशाही से अलग विषयों के जानकारों को जनता से जुड़ी नीतियों के लिए सहायक बनाने पर जोर दिया जा रहा है.

पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट विनीता हरिहरन ने ईटीवी भारत से बातचीत की

विनीता हरिहरन ने ईटीवी भारत से की बात
सेंट्रल दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशनल क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद मशहूर पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट विनीता हरिहरन ने ईटीवी भारत से बात करते हुए इस मुद्दे पर अपनी राय साझा की. उन्होंने बताया कि कैसे एक लोकतंत्र को सिर्फ IAS के भरोसे आगे बढ़ाना कठिन है. यहां उन्होंने सरकार में निजी क्षेत्रों के धुरंधरों की सहभागिता बढ़ाने पर भी जोर दिया.

'निजी क्षेत्रों के लोगों को साथ लाना होगा'
विनीता कहती हैं कि पिछले 5 सालों में देश ने बहुत से बदलाव देखे हैं. बहुत सी नई चीज़ें शुरू हुई हैं, जिनके दूरगामी परिणाम हैं. इस बीच पब्लिक पॉलिसी प्रोफेशनल्स का सरकार पर चेक और बैलेंस रखने का काम बढ़ गया है. इसमें न सिर्फ एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज से जुड़े लोग बल्कि निजी क्षेत्रों के लोगों को भी साथ लाना होगा.

Public Policy Expert Vineeta Hariharan talks with ETV bharat
पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट विनीता हरिहरन


लेटरल एंट्रीज के सरकार के फैसले की सराहना करते हुए वो कहती हैं कि यह बहुत ही अच्छा कदम है लेकिन यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि जो लोग बाहर से आ रहे हैं उनका ध्यान भी ठीक उसी तरह रखा जाए जैसे कि सिविल सर्वेंट्स का रखा जाता है.


विनीता कहती हैं कि नौकरशाही बहुत ऊपर है और इसमें कोई शक नहीं है लेकिन देश को आगे बढ़ाने के लिए हमें पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट्स की जरूरत है. जो शायद IAS न हों. ऐसे में राजनेताओं का भी इसमें अहम किरदार होगा.

9 लोगों को जॉइंट सेक्रेटरी पद पर तैनात किया गया
बता दें कि लेटरल इंट्रेंट्स के नाम पर इसी साल अप्रैल महीने में 9 लोगों को जॉइंट सेक्रेटरी पद पर तैनात किया गया है. सरकार के लिए ये एक मील का पत्थर तो था लेकिन दूसरी ओर इसकी बहुत आलोचनाएं भी हुईं. अब यहां तंत्र में बाहरी एक्सपर्ट्स के आने पर न सिर्फ बहस छिड़ी हुई है बल्कि इस पर धड़े भी बंट गए हैं. साल 2019 में भाजपा की जीत इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है.


जबकि उम्मीद की जा रही है कि सरकार एसएस लेटरल एंट्री को बढ़ावा देगी. बल्कि पब्लिक पॉलिसी मेकिंग में सरकारी और निजी क्षेत्रों के लोगों की सहभागिता भी बढ़ाएगी.

नई दिल्ली: भारत में पब्लिक पॉलिसी मेकिंग अमूमन नौकरशाही के हाथ में होती है. बीते सालों से ये विषय भी एक मुद्दा बन गया है, जिसमें किसी एक सिविल सर्वेंट को सभी क्षेत्रों का एक्सपर्ट मान लेने पर सवाल उठते रहे हैं. इसी बीच तंत्र में अब नौकरशाही से अलग विषयों के जानकारों को जनता से जुड़ी नीतियों के लिए सहायक बनाने पर जोर दिया जा रहा है.

पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट विनीता हरिहरन ने ईटीवी भारत से बातचीत की

विनीता हरिहरन ने ईटीवी भारत से की बात
सेंट्रल दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशनल क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद मशहूर पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट विनीता हरिहरन ने ईटीवी भारत से बात करते हुए इस मुद्दे पर अपनी राय साझा की. उन्होंने बताया कि कैसे एक लोकतंत्र को सिर्फ IAS के भरोसे आगे बढ़ाना कठिन है. यहां उन्होंने सरकार में निजी क्षेत्रों के धुरंधरों की सहभागिता बढ़ाने पर भी जोर दिया.

'निजी क्षेत्रों के लोगों को साथ लाना होगा'
विनीता कहती हैं कि पिछले 5 सालों में देश ने बहुत से बदलाव देखे हैं. बहुत सी नई चीज़ें शुरू हुई हैं, जिनके दूरगामी परिणाम हैं. इस बीच पब्लिक पॉलिसी प्रोफेशनल्स का सरकार पर चेक और बैलेंस रखने का काम बढ़ गया है. इसमें न सिर्फ एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज से जुड़े लोग बल्कि निजी क्षेत्रों के लोगों को भी साथ लाना होगा.

Public Policy Expert Vineeta Hariharan talks with ETV bharat
पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट विनीता हरिहरन


लेटरल एंट्रीज के सरकार के फैसले की सराहना करते हुए वो कहती हैं कि यह बहुत ही अच्छा कदम है लेकिन यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि जो लोग बाहर से आ रहे हैं उनका ध्यान भी ठीक उसी तरह रखा जाए जैसे कि सिविल सर्वेंट्स का रखा जाता है.


विनीता कहती हैं कि नौकरशाही बहुत ऊपर है और इसमें कोई शक नहीं है लेकिन देश को आगे बढ़ाने के लिए हमें पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट्स की जरूरत है. जो शायद IAS न हों. ऐसे में राजनेताओं का भी इसमें अहम किरदार होगा.

9 लोगों को जॉइंट सेक्रेटरी पद पर तैनात किया गया
बता दें कि लेटरल इंट्रेंट्स के नाम पर इसी साल अप्रैल महीने में 9 लोगों को जॉइंट सेक्रेटरी पद पर तैनात किया गया है. सरकार के लिए ये एक मील का पत्थर तो था लेकिन दूसरी ओर इसकी बहुत आलोचनाएं भी हुईं. अब यहां तंत्र में बाहरी एक्सपर्ट्स के आने पर न सिर्फ बहस छिड़ी हुई है बल्कि इस पर धड़े भी बंट गए हैं. साल 2019 में भाजपा की जीत इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है.


जबकि उम्मीद की जा रही है कि सरकार एसएस लेटरल एंट्री को बढ़ावा देगी. बल्कि पब्लिक पॉलिसी मेकिंग में सरकारी और निजी क्षेत्रों के लोगों की सहभागिता भी बढ़ाएगी.

Intro:नई दिल्ली:
भारत में पब्लिक पॉलिसी मेकिंग अमूमन नौकरशाही के हाथ में होती हैं. बीते सालों में ये विषय एक मुद्दा भी बन गया है जिसमें किसी एक सिविल सर्वेंट को सभी क्षेत्रों का एक्सपर्ट मान लेने पर सवाल उठते रहे हैं. इसी बीच तंत्र में अब नौकरशाही से अलग विषयों के जानकारों को जनता से जुड़ी नीतियों के लिए सहायक बनाने पर जोर दिया जा रहा है.


Body:शनिवार को सेंट्रल दिल्ली स्थिति कांस्टीट्यूशनल क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद मशहूर पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट विनीता हरिहरन ने ईटीवी भारत से इस मुद्दे पर अपनी राय साझा की. उन्होंने बताया कि कैसे एक लोकतंत्र को सिर्फ IAS अधिकारों के भरोसे आगे बढ़ाना कठिन है. यहां उन्होंने सरकार में निजी क्षेत्रों के धुरंधरों की सहभागिता बढ़ाने पर भी जोर दिया.

विनीता कहती है कि पिछले 5 सालों में देश ने बहुत से बदलाव देखे हैं. बहुत सी नई चीज़ें शुरू हुई हैं जिनके दूरगामी परिणाम हैं. इस बीच पब्लिक पॉलिसी प्रोफेशनल्स का सरकार पर चेक और बैलेंस रखने का काम बढ़ गया है. इसमें न सिर्फ एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज से जुड़े लोग बल्कि निजी क्षेत्रों के लोगों को भी साथ लाना होगा.

लेटरल एंट्रीज के सरकार के फैसले की सराहना करते हुए वो कहती हैं कि यह बहुत ही अच्छा कदम है लेकिन यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि जो लोग बाहर से आ रहे हैं उनका ध्यान भी ठीक उसी तरह रखा जाए जैसे कि सिविल सर्वेंट्स का रखा जाता है. विनीता कहती हैं कि नौकरशाही बहुत ऊपर है और इसमें कोई शक नहीं है लेकिन देश को आगे बढ़ाने के लिए हमें पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट्स की जरूरत है जो शायद IAS न हो. ऐसे में राजनेताओं का भी इसमें अहम किरदार होगा.


Conclusion:बता दें कि लेटरल इंट्रेंट्स के नाम पर इसी साल अप्रैल महीने में 9 लोगों को जॉइंट सेक्रेटरी पद पर तैनात किया गया है. सरकार के लिए ये एक मील का पत्थर तो था लेकिन दूसरी ओर इसकी बहुत आलोचनाएं भी हुईं. अब यहां तंत्र में बाहरी एक्सपर्ट्स के आने पर न सिर्फ बहस छिड़ी हुई है बल्कि इस पर धड़े भी बंट गए हैं. साल 2019 में भाजपा की जीत इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है जबकि उम्मीद की जा रही है कि सरकार एसएस लेटरल एंट्री को बढ़ावा देगी बल्कि पब्लिक पॉलिसी मेकिंग में सरकारी और निजी क्षेत्रों के लोगों की सहभागिता भी बढ़ाएगी.
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