नई दिल्ली: राजधानी में पिछले वर्ष सामने आए कंझावला कांड को एक साल पूरा हो चुका है, लेकिन अभी अंजलि के परिजनों को इंसाफ मिलने का इंतजार है. मामले के जांच अधिकारी रजनीश कुमार के अनुसार, घटना की सीसीटीवी फुटेज की अभी फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) रिपोर्ट भी नहीं आई है. 28 फरवरी के पहले यह रिपोर्ट आने की संभावना है.
रिपोर्ट आने के बाद सीसीटीवी फुटेज के आधार पर बनाए गए अन्य गवाहों की भी गवाही होनी बाकी है. उन्होंने बताया कि एक साल में अभी सिर्फ तीन गवाहों की गवाही हो सकी है. जानकारों की मानें तो अभी तक की केस की प्रगति को देखकर लगता है कि यह मामला लंबा खिंच सकता है. अभी तक मामले में मुख्य गवाह और घटना के समय अंजलि के साथ मौजूद रही उसकी सहेली निधि तक की गवाई नहीं हुई है. केस आगे बढ़ने के साथ जैसे जैसे जिस गवाह का नंबर आता है उसी के अनुसार गवाही तय होती है. इस प्रक्रिया में समय लगता है.
मामले में दिल्ली पुलिस और पीड़ित परिवार की ओर से शासकीय अधिवक्ता अतुल श्रीवास्तव पैरवी कर रहे हैं. वहीं, आरोपियों की ओर से भी अलग-अलग वकील हैं. मामले के चार आरोपी अमित खन्ना, मनोज मित्तल, कृष्ण और मिथुन पर धारा 302 लगी है, जो अभी जेल में हैं. वहीं अन्य तीन आरोपी आशुतोष, दीपक और अंकुश अभी जमानत पर हैं.
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एक सीसीटीवी फुटेज ने जोड़ दी धारा 302: जांच के दौरान 200 सीसीटीवी कैमरे खंगालते समय ऐसी सीसीटीवी फुटेज सामने आई, जिसने पुलिस को सोचने पर मजबूर कर दिया. दरअसल फुटेज में घटनास्थल से करीब 500 मीटर की दूरी पर एक कार रुकती हुई दिखती है. इस कार की सीट पर पीछे बैठा एक शख्स शीशा खोलकर नीचे की तरफ झांकता है, फिर पीछे की सीट पर बैठे दो शख्स व चालक कार से बाहर आते हैं. इसके बाद वे नीचे झांककर कार में फंसी हुई युवती को भी देखते हैं और फिर कार में बैठकर आगे निकल जाते हैं. इस सीसीटीवी फुटेज से पुलिस ने यह साबित कर दिया कि यह कोई हादसा नहीं, बल्कि हत्या है, क्योंकि कार सवार चारों आरोपियों ने जानबूझकर युवती की जान ली है. अगर उनका हत्या का इरादा नहीं होता तो वे उसी समय युवती को गाड़ी के नीचे से बाहर निकालते.
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