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आवारा पशुओं के आतंक से लोग परेशान, अस्पताल में नहीं हैं रेबीज के इंजेक्शन

राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में आवारा पशुओं की वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मॉडल टाउन इलाके के लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं.

आवारा पशुओं ने बढ़ाई परेशानी
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Published : May 11, 2019, 10:31 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में आवारा पशुओं की समस्या बढ़ती जा रही है. जिसकी वजह से लोगों का रास्तों पर चलना दूभर हो गया है. हर गली, हर चौराहे पर आवारा जानवरों का खौफ है.

आवारा पशुओं ने बढ़ाई परेशानी

आवारा पशुओं से परेशान हैं लोग
नई दिल्ली के मॉडल टाउन इलाके में स्थानीय लोगों को आवारा पशुओं से कई परेशानियां हो रही हैं. आए दिन आवारा पशु किसी ना किसी को अपना शिकार बनाते हैं.

इतना ही नहीं आवारा पशुओं की वजह से गंदगी भी काफी बढ़ रही है. लोगों का कहना है कि कई बार विधायक और काउंसलर से शिकायत की गई है लेकिन इसके बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है.

एक महिला ने बताया कि उनकी कॉलोनी में घूमने वाले आवारा कुत्तों ने उनके बेटे को काट लिया और रात के समय जब वो अस्पताल पहुंचे तो वहां इंजेक्शन ही उपलब्ध नहीं था.

अस्पतालों में नहीं इंजेक्शन
इस मुद्दे पर समाजसेवी सौरभ गांधी ने बताया कि आवारा पशुओं की तादाद दिल्ली में बढ़ती जा रही है. जिसके लिए सरकार की तरफ से सिर्फ नाममात्र की योजनाएं चलाई गई हैं.

सौरभ गांधी ने बताया कि दूसरी सबसे बड़ी समस्या ये है कि आवारा पशु के काटने के बाद जो रेबीज का टीका लगाया जाता है, वो भी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है.

सौरभ ने ये भी बताया कि रेबीज का टीका ब्लैक करते हुए मार्केट में बेचा जा रहा है, जो इंजेक्शन 2 से 3 हजार रुपए का आता है, वो मार्केट में 18 से 20 हजार में मिलता है. गरीब इंसान इस तरह का इलाज कराने में समर्थ नहीं है.

रिहायशी इलाके में आती हैं गायें
मॉडल टाउन इलाके में एक ग्रामीण इलाका है राजपुरा गुर मंडी, जहां पर बड़ी तादाद में गाय पालन का काम किया जाता है. जो गाय पालक हैं वह दिन में अपनी गायों को सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं. जिसकी वजह से गायें कालोनियों और रिहायशी इलाकों में आ जाती हैं.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में आवारा पशुओं की समस्या बढ़ती जा रही है. जिसकी वजह से लोगों का रास्तों पर चलना दूभर हो गया है. हर गली, हर चौराहे पर आवारा जानवरों का खौफ है.

आवारा पशुओं ने बढ़ाई परेशानी

आवारा पशुओं से परेशान हैं लोग
नई दिल्ली के मॉडल टाउन इलाके में स्थानीय लोगों को आवारा पशुओं से कई परेशानियां हो रही हैं. आए दिन आवारा पशु किसी ना किसी को अपना शिकार बनाते हैं.

इतना ही नहीं आवारा पशुओं की वजह से गंदगी भी काफी बढ़ रही है. लोगों का कहना है कि कई बार विधायक और काउंसलर से शिकायत की गई है लेकिन इसके बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है.

एक महिला ने बताया कि उनकी कॉलोनी में घूमने वाले आवारा कुत्तों ने उनके बेटे को काट लिया और रात के समय जब वो अस्पताल पहुंचे तो वहां इंजेक्शन ही उपलब्ध नहीं था.

अस्पतालों में नहीं इंजेक्शन
इस मुद्दे पर समाजसेवी सौरभ गांधी ने बताया कि आवारा पशुओं की तादाद दिल्ली में बढ़ती जा रही है. जिसके लिए सरकार की तरफ से सिर्फ नाममात्र की योजनाएं चलाई गई हैं.

सौरभ गांधी ने बताया कि दूसरी सबसे बड़ी समस्या ये है कि आवारा पशु के काटने के बाद जो रेबीज का टीका लगाया जाता है, वो भी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है.

सौरभ ने ये भी बताया कि रेबीज का टीका ब्लैक करते हुए मार्केट में बेचा जा रहा है, जो इंजेक्शन 2 से 3 हजार रुपए का आता है, वो मार्केट में 18 से 20 हजार में मिलता है. गरीब इंसान इस तरह का इलाज कराने में समर्थ नहीं है.

रिहायशी इलाके में आती हैं गायें
मॉडल टाउन इलाके में एक ग्रामीण इलाका है राजपुरा गुर मंडी, जहां पर बड़ी तादाद में गाय पालन का काम किया जाता है. जो गाय पालक हैं वह दिन में अपनी गायों को सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं. जिसकी वजह से गायें कालोनियों और रिहायशी इलाकों में आ जाती हैं.

Intro:दिल्ली में आवारा पशुओं की समस्या किसी से छुपी नहीं है सड़कों पर, घरों में, गलियों में, नुक्कड़ पर जहां देखो आवारा पशु घूमते हुए नज़र आते हैं. जिसके कारण लोगों का रास्ते से निकलना दूभर हो गया है हर गली हर चौराहे पर आवारा जानवरों का खौफ है शाम हुई नहीं कि आवारा कुत्ते झुंड बनाकर अटैक कर देते हैं यहां तक की गायों की बात की जाए तो वह भी झुंड बनाते हुए सड़कों पर घूमते हुई नजर आती हैं.

स्थिति को नजदीक से देखने के लिए ईटीवी की टीम नई दिल्ली के मॉडल टाउन इलाके में पहुंची जहां पर हमने देखा कि स्थानीय को आवारा पशुओं से कई परेशानियां हो रही हैं आए दिन आवारा पशु किसी ना किसी को अपना शिकार बनाते हैं इतना ही नहीं आवारा पशुओं के कारण जो गंदगी है उसका भी अंबार लग जाता है स्थानों का कहना था कि उन्होंने इसकी कई बार अपने विधायक और काउंसलर से शिकायत की है बावजूद इसके कोई भी हाल उन्हें निकाल कर नहीं दिया गया




Body:जब हमें महिलाओं से बात की तो महिलाएं बताते हैं कि जो प्रशासन है वह सिर्फ चुनाव के समय ही जाता है जब चुनाव होते हैं तभी सड़कों पर नेता और घरों में नजर आते हैं गुना तो चुनाव के बाद जनता का हाल जानने आते हैं ना ही कामों का जायजा लेने...

एक स्थानीय बताती हैं कि जब उनके कॉलोनी में घूमने वाला एक आवारा कुत्ता उनके बेटे को काट गया था तो रात के समय उसको डॉक्टर के पास लेकर पहुंची थी हालांकि डॉक्टर और अस्पतालों में किसी के पास जो इंजेक्शन लगाए जाते हैं वह उपलब्ध नहीं थे इस दौरान बात करते हुए बड़ी समस्या यह निकलकर आई कि जिस तरीके से आवारा पशु के काटने के मामले सामने आ रहे हैं लेकिन सरकार की ओर से पशु के काटने के बाद जो इलाज उपलब्ध कराया जाना चाहिए वह भी पूरी तरह से मुहैया नहीं कराया जाता क्योंकि वह सरकारी अस्पताल हो या प्राइवेट अस्पताल किसी भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है.

स्थानीय और से बात करते समय एक बात सामने निकल कर यह भी आई की जानवरों के काटने से परेशानी तो होती हुई है जो लगातार बरकरार है लेकिन मैन आवारा पशु के इस तरीके से आवारा घूमने से गंदगी भी लग जाती है क्योंकि जिस तरीके से जो आवारा गाय घूमती हैं उससे गंदगी फैलती है और उस गंदगी को साफ करने के लिए भी कोई तरीका नहीं होता जिसके लिए उन स्थानों को खुद ही हो गंदगी साफ करनी पड़ती है

इस मुद्दे पर जब हमने समाजसेवी सौरभ गांधी से बात की तो उन्होंने बताया कि जो आवारा पशुओं की तादाद है वह दिल्ली में लगातार बढ़ती जा रही है जिसके लिए सरकार की ओर से सिर्फ नाम मात्र योजनाएं चलाई गई हैं उनका चलाई गई है जिसमें की आवारा जो कुत्ते हैं उन्हें पकड़ कर उनकी नसबंदी की जाती है और उसके बाद उन्हें दोबारा उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है जिसमें की दो चीजें निकल कर सामने आती हैं पहले तो यह कि वह कुत्ता नसबंदी के बाद या तो ज्यादा उग्र हो जाता है या पूरी तरह से शांत हो जाता है और यदि वह उग्र हो जाता है तो उसके कारण वह ज्यादा लोगों पर प्रहार करता है ज्यादा लोगों को काटता है जिसकी वजह से यह लोगों के लिए परेशानी का सबब है
समाजसेवी सौरभ गांधी बताते हैं कि वही दूसरी सबसे बड़ी समस्या जो है वह यह है कि आवारा पशु के काटने के बाद जो रेबीज का टीका लगाया जाता है वह भी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है और उनकी को को ब्लैक करते हुए मार्केट में बेचा जा रहा है जो टीके 2 से 3000 रुपए के आते हैं वह मार्केट में 18 से ₹20000 तक ब्लैक में मिल रहे हैं जिससे कि गरीब इंसान इस तरह के इलाज कराने में असमर्थ है

सौरभ गांधी का कहना था कि जिस तरीके से सरकार ने नए कानून बनाया हुआ है कि यदि कोई पेट किसी को हानि पहुंचाता है तो उस सेट कर दो मालिक होता है उसके लिए दंड का प्रावधान होता है उसी प्रकार यदि इन आवारा पशुओं को कोई पीर करता है कुछ खिलाता है पालता है तो उसके बाद अगर यह पशु किसी को हानि पहुंचाते हैं तो उसके लिए उसको फीड कराने वाला जिम्मेदार है उसको सजा दी जानी चाहिए सरकार की तरफ से कानून में संशोधन होने की आवश्यकता है और इसके लिए कड़े कदम उठाये जाए जाने चाहिए।

बता दे दिल्ली में कुत्तों के काटने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं बीते 1 साल में कुत्तों के काटने के 30,000 से ज्यादा मामले सामने आए लेकिन एमसीडी लाचारी जता रही है कुत्तों की संख्या पर लगाम लगाने और आवारा कुत्तों की नसबंदी करने की जिम्मेदारी एमसीडी की है लेकिन एमसीडी कानून और अदालत का हवाला देकर अपनी मजबूरी जताने में लगी है


Conclusion:स्थानी बताते हैं कि मॉडल टाउन इलाके के सामने एक ग्रामीण इलाका है राजपुरा गुर मंडी जहां पर बड़ी तादाद में गाय पालन का काम किया जाता है और जो गाय पालक हैं वह दिन मैं अपनी गायों को सड़को पर आवारा छोड़ देते हैं जिस कारण वह गाय कालोनियों और रिहायशी इलाकों में आ जाती हैं और वहां पर आतंक मचा दी हैं साथ ही साथ सड़कों पर गोबर करते हुए घूमती हैं
ऐसे दो समस्याएं सामने आती हैं पहली समस्या तो यह कि उन गायों के सड़कों पर आवारा घूमने से उनके लिए भी हानि है क्योंकि उन गायों का एक्सीडेंट हो जाता है और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता और दूसरा यह कि उनका युग की वजह से कई वाहन भी उन की चपेट में आ जाते हैं जिसके लिए उनके जो मालिक हैं उनके लिए दंड का प्रावधान किया जाना चाहिए

क्योंकि यह पशु जो सड़कों पर घूमते हैं सड़कों पर नजर आते हैं इनमें इनका कोई दोष नहीं है क्योंकि यह बेजुबान है लेकिन इनके जो पालक हैं जो मालिक हैं जो इन्हें पालते हैं उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह इन्हें संभाल कर रखें सड़कों पर आवारा ना घुमने दें.
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