ETV Bharat / state

जंतर मंतर पर देशभर से जुटे DMD पीड़ित बच्चों के माता पिता, केंद्र सरकार से इलाज की मांग की

देशभर में ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रोग से पीड़ित बच्चों के पैरेंट्स आज जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया. उनकी मांग थी कि सरकार इस रोग से उनके बच्चों को बचाए. उनके पास विदेशों में इलाज कराने के पैसे नहीं हैं. सरकार इस बीमारी को लेकर जल्दी दवा बनाए.

delhi  news
जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन
author img

By

Published : Mar 24, 2023, 4:00 PM IST

Updated : Mar 25, 2023, 8:52 AM IST

डीएमडी रोग से पीड़ित बच्चों के पैरेंट्स

नई दिल्लीः ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रोग (DMD) की चपेट में आए मासूम बच्चों की जान बचाने के लिए पैरेंट्स ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर मार्च निकाला. सभी पैरेंट्स ने सरकार से इस बीमारी को लेकर दवा और उपाय करने की अपील की. DMD बीमारी से पीड़ित बच्चों के पैरेंट्स दर-दर भटकने को मजबूर हैं. अपने जिगर के टुकड़े की जान बचाने के लिए पैरेंट्स अपना सब कुछ दांव पर लगा चुके हैं. अब जो एक उम्मीद बची है, तो वह केंद्र सरकार से है. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी मुक्त भारत का सपना संजोए बैठे देशभर के पैरेंट्स बच्चों को इलाज मुहैया कराने की मांग को लेकर आज दिल्ली के जंतर मंतर पर इकट्ठा हुए और एक मार्च निकाला और सरकार से बच्चों को जीवनदान देने की अपील की.

हरियाणा के गुरुग्राम से आए अमित कुमार ने बताया कि आज देश के अलग-अलग कोने से यहां पर DMD बीमारी से पीड़ित बच्चों के पेरेंट्स आए हैं. इसमें हरियाणा-पंजाब, राजस्थान, यूपी, बंगाल, उड़ीसा समेत सभी राज्यों से बच्चों के साथ पेरेंट्स भी दिल्ली के जंतर मंतर पर पहुंचे हैं. हमारी सरकार से मांग है कि जब सरकार कोरोना को लेकर इतनी जल्दी दवा बना सकती है तो फिर इस बीमारी को लेकर सरकार क्यों नहीं विचार करती? यहां हम लोग अपने-अपने हाथों में स्लोगन की तख्तियां थाम सरकार के जमीर को जगाने आएं हैं और अपने बच्चे को जीवनदान देने की सरकार से भीख मांग रहे हैं.

अमित कुमार ने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक मांसपेशी विकृति रोग है, जिसके लक्षण बच्चे की तीन साल की उम्र के बाद दिखाई देते हैं और उनका बच्चा भी इसकी चपेट में है. बच्चा चलते-चलते गिरने लगता है. धीरे-धीरे बच्चे चलने-फिरने, खाने-पीने में असमर्थ हो जाते हैं. उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से आए वीरभद्र ने बताया कि उनका बेटा भी इस बीमारी से पीड़ित है और इसलिए वह आज यहां पर आए हैं. अपने बच्चे की वजह से ना तो वह कहीं जा पाते हैं और न उसे अकेला छोड़ पाते हैं. इस बीमारी से पूरा घर भी परेशान है.

ये भी पढ़ेंः राहुल गांधी को दोषी ठहराने के खिलाफ 27 से देशव्यापी प्रदर्शन करेगी कांग्रेस

उन्होंने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में डीएमडी एक ऐसी जेनेटिक बीमारी है, जिसका इलाज ही नहीं है. इसे बस आगे बढ़ने से रोका जा सकता है. पर भारत में इस तरह का इलाज भी मुहैया नहीं है, जबकि विदेशों में इस पर सकारात्मक रिसर्च हुए हैं. वहां इलाज में दो से ढाई करोड़ रुपए का खर्चा है. ऐसे में पैरेंट्स अपने बच्चे की जान बचाने के लिए इतना महंगा इलाज नहीं करवा सकते. इसको लेकर सरकार को सोचना चाहिए. हमारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यही गुहार है और उन पर भरोसा भी है जिस तरीके से उन्होंने कोविड के दौरान इतनी जल्दी से भारत सरकार ने दवा बनाई इस पर भी सरकार को सर्च करना चाहिए. डॉक्टरों को रिसर्च करने की जरूरत है.

ये भी पढ़ेंः Rahul Disqualified: राहुल गांधी को झटका, लोकसभा सदस्यता रद्द

डीएमडी रोग से पीड़ित बच्चों के पैरेंट्स

नई दिल्लीः ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रोग (DMD) की चपेट में आए मासूम बच्चों की जान बचाने के लिए पैरेंट्स ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर मार्च निकाला. सभी पैरेंट्स ने सरकार से इस बीमारी को लेकर दवा और उपाय करने की अपील की. DMD बीमारी से पीड़ित बच्चों के पैरेंट्स दर-दर भटकने को मजबूर हैं. अपने जिगर के टुकड़े की जान बचाने के लिए पैरेंट्स अपना सब कुछ दांव पर लगा चुके हैं. अब जो एक उम्मीद बची है, तो वह केंद्र सरकार से है. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी मुक्त भारत का सपना संजोए बैठे देशभर के पैरेंट्स बच्चों को इलाज मुहैया कराने की मांग को लेकर आज दिल्ली के जंतर मंतर पर इकट्ठा हुए और एक मार्च निकाला और सरकार से बच्चों को जीवनदान देने की अपील की.

हरियाणा के गुरुग्राम से आए अमित कुमार ने बताया कि आज देश के अलग-अलग कोने से यहां पर DMD बीमारी से पीड़ित बच्चों के पेरेंट्स आए हैं. इसमें हरियाणा-पंजाब, राजस्थान, यूपी, बंगाल, उड़ीसा समेत सभी राज्यों से बच्चों के साथ पेरेंट्स भी दिल्ली के जंतर मंतर पर पहुंचे हैं. हमारी सरकार से मांग है कि जब सरकार कोरोना को लेकर इतनी जल्दी दवा बना सकती है तो फिर इस बीमारी को लेकर सरकार क्यों नहीं विचार करती? यहां हम लोग अपने-अपने हाथों में स्लोगन की तख्तियां थाम सरकार के जमीर को जगाने आएं हैं और अपने बच्चे को जीवनदान देने की सरकार से भीख मांग रहे हैं.

अमित कुमार ने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक मांसपेशी विकृति रोग है, जिसके लक्षण बच्चे की तीन साल की उम्र के बाद दिखाई देते हैं और उनका बच्चा भी इसकी चपेट में है. बच्चा चलते-चलते गिरने लगता है. धीरे-धीरे बच्चे चलने-फिरने, खाने-पीने में असमर्थ हो जाते हैं. उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से आए वीरभद्र ने बताया कि उनका बेटा भी इस बीमारी से पीड़ित है और इसलिए वह आज यहां पर आए हैं. अपने बच्चे की वजह से ना तो वह कहीं जा पाते हैं और न उसे अकेला छोड़ पाते हैं. इस बीमारी से पूरा घर भी परेशान है.

ये भी पढ़ेंः राहुल गांधी को दोषी ठहराने के खिलाफ 27 से देशव्यापी प्रदर्शन करेगी कांग्रेस

उन्होंने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में डीएमडी एक ऐसी जेनेटिक बीमारी है, जिसका इलाज ही नहीं है. इसे बस आगे बढ़ने से रोका जा सकता है. पर भारत में इस तरह का इलाज भी मुहैया नहीं है, जबकि विदेशों में इस पर सकारात्मक रिसर्च हुए हैं. वहां इलाज में दो से ढाई करोड़ रुपए का खर्चा है. ऐसे में पैरेंट्स अपने बच्चे की जान बचाने के लिए इतना महंगा इलाज नहीं करवा सकते. इसको लेकर सरकार को सोचना चाहिए. हमारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यही गुहार है और उन पर भरोसा भी है जिस तरीके से उन्होंने कोविड के दौरान इतनी जल्दी से भारत सरकार ने दवा बनाई इस पर भी सरकार को सर्च करना चाहिए. डॉक्टरों को रिसर्च करने की जरूरत है.

ये भी पढ़ेंः Rahul Disqualified: राहुल गांधी को झटका, लोकसभा सदस्यता रद्द

Last Updated : Mar 25, 2023, 8:52 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.