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NGT से लगी योगी सरकार को कड़ी फटकार, कहा- श्राईन बोर्ड कानून पर मुकर कैसे गई Govt.

पिछले 27 मई को सुनवाई के दौरान श्राईन बोर्ड का कानून बनाने के आदेश में देरी पर यूपी सरकार ने एनजीटी को बताया था कि चुनाव आचार संहिता की वजह से ये कानून पारित नहीं हो पाया था.

NGT से लगी योगी सरकार को कड़ी फटकार etv bharat
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Published : Jul 26, 2019, 9:53 AM IST

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने मथुरा के गोवर्धन में तीन मंदिरों के लिए श्राईन बोर्ड का कानून बनाने के संबंध में गलत हलफनामा दायर करने पर नाराजगी जताई है. एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. जस्टिस एस रघुवेंद्र राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने यूपी के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एके अवस्थी को 31 जुलाई को तलब भी किया है.

NGT से लगी योगी सरकार को कड़ी फटकार


NGT ने लगाई कड़ी फटकार

दरअसल मथुरा के गोवर्धन में तीन मंदिरों के लिए श्राईन बोर्ड का कानून बनाने को लेकर यूपी सरकार के वकील ने एनजीटी को बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने गोवर्धन श्राइन बोर्ड के गठन की अनुमति नहीं दी है. एनजीटी ने यूपी सरकार से पूछा कि जब आपने अपने पहले के हलफनामे में कहा था कि वो श्राईन बोर्ड का कानून बनाने के लिए एनजीटी के आदेशों का पालन करेगी तो, अब इससे मुकर कैसे गई है. बता दें कि यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि वो उत्तरप्रदेश रेलिजियस प्लेसेस प्लानिंग एंड डेवलपमेंट बिल 2019 ला रही है. इसमें कहीं भी श्राईन बोर्ड का कानून बनाने को लेकर जिक्र नहीं है. एनजीटी ने कहा कि यह एक फर्जीवाड़ा है.

पिछले 27 मई को सुनवाई के दौरान श्राईन बोर्ड का कानून बनाने के आदेश में देरी पर यूपी सरकार ने एनजीटी को बताया था कि चुनाव आचार संहिता की वजह से ये कानून पारित नहीं हो पाया था. उन्होंने आगे एनजीटी से कहा कि चुनाव के दौरान इसके लिए निर्वाचन आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन निर्वाचन आयोग ने कहा कि 23 मई के बाद इस पर अमल करें. यूपी सरकार ने एनजीटी को आश्वस्त किया कि श्राईन बोर्ड बनाने का काम जल्द ही पूरा होगा.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने एनजीटी को बताया था कि दानघाटी मंदिर मुखारविंद मंदिर के खाते में दस करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला किया गया है, इस संबंध में मथुरा के कोर्ट में मामला भी चल रहा है. एनजीटी ने कहा था कि गिरिराज पर्वत के प्राचीन मंदिर किसी व्यक्ति या सोसायटी की संपत्ति नहीं हो सकती है. इन मंदिरों पर निजी लोगों का नियंत्रण है और वे उसे अपनी निजी कमाई का जरिया बनाए हुए हैं. चढ़ावे में आ रहे पैसों का मंदिर के रखरखाव और विकास में खर्च करने की बजाय वहां लगातार घोटाले हो रहे हैं.

अगले सत्र में ये कानून पारित : एनजीटी

एनजीटी ने संबंधित राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वे गिरिराज पर्वत के इलाके में पड़नेवाले मंदिरों को अपने नियंत्रण में लें. पिछले 1 फरवरी को एनजीटी ने उत्तरप्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि वो मथुरा के गोवर्धन में तीन मंदिरों के लिए श्राईन बोर्ड का कानून बनाए. एनजीटी ने यूपी के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एके अवस्थी को निर्देश दिया था कि वो 15 दिन में ये कानून यूपी की कैबिनेट से मंजूर कराएं. एनजीटी ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि वो विधासनभा के अगले सत्र में ये कानून पारित कराएं.

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने मथुरा के गोवर्धन में तीन मंदिरों के लिए श्राईन बोर्ड का कानून बनाने के संबंध में गलत हलफनामा दायर करने पर नाराजगी जताई है. एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. जस्टिस एस रघुवेंद्र राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने यूपी के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एके अवस्थी को 31 जुलाई को तलब भी किया है.

NGT से लगी योगी सरकार को कड़ी फटकार


NGT ने लगाई कड़ी फटकार

दरअसल मथुरा के गोवर्धन में तीन मंदिरों के लिए श्राईन बोर्ड का कानून बनाने को लेकर यूपी सरकार के वकील ने एनजीटी को बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने गोवर्धन श्राइन बोर्ड के गठन की अनुमति नहीं दी है. एनजीटी ने यूपी सरकार से पूछा कि जब आपने अपने पहले के हलफनामे में कहा था कि वो श्राईन बोर्ड का कानून बनाने के लिए एनजीटी के आदेशों का पालन करेगी तो, अब इससे मुकर कैसे गई है. बता दें कि यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि वो उत्तरप्रदेश रेलिजियस प्लेसेस प्लानिंग एंड डेवलपमेंट बिल 2019 ला रही है. इसमें कहीं भी श्राईन बोर्ड का कानून बनाने को लेकर जिक्र नहीं है. एनजीटी ने कहा कि यह एक फर्जीवाड़ा है.

पिछले 27 मई को सुनवाई के दौरान श्राईन बोर्ड का कानून बनाने के आदेश में देरी पर यूपी सरकार ने एनजीटी को बताया था कि चुनाव आचार संहिता की वजह से ये कानून पारित नहीं हो पाया था. उन्होंने आगे एनजीटी से कहा कि चुनाव के दौरान इसके लिए निर्वाचन आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन निर्वाचन आयोग ने कहा कि 23 मई के बाद इस पर अमल करें. यूपी सरकार ने एनजीटी को आश्वस्त किया कि श्राईन बोर्ड बनाने का काम जल्द ही पूरा होगा.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने एनजीटी को बताया था कि दानघाटी मंदिर मुखारविंद मंदिर के खाते में दस करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला किया गया है, इस संबंध में मथुरा के कोर्ट में मामला भी चल रहा है. एनजीटी ने कहा था कि गिरिराज पर्वत के प्राचीन मंदिर किसी व्यक्ति या सोसायटी की संपत्ति नहीं हो सकती है. इन मंदिरों पर निजी लोगों का नियंत्रण है और वे उसे अपनी निजी कमाई का जरिया बनाए हुए हैं. चढ़ावे में आ रहे पैसों का मंदिर के रखरखाव और विकास में खर्च करने की बजाय वहां लगातार घोटाले हो रहे हैं.

अगले सत्र में ये कानून पारित : एनजीटी

एनजीटी ने संबंधित राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वे गिरिराज पर्वत के इलाके में पड़नेवाले मंदिरों को अपने नियंत्रण में लें. पिछले 1 फरवरी को एनजीटी ने उत्तरप्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि वो मथुरा के गोवर्धन में तीन मंदिरों के लिए श्राईन बोर्ड का कानून बनाए. एनजीटी ने यूपी के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एके अवस्थी को निर्देश दिया था कि वो 15 दिन में ये कानून यूपी की कैबिनेट से मंजूर कराएं. एनजीटी ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि वो विधासनभा के अगले सत्र में ये कानून पारित कराएं.

Intro:नई दिल्ली । नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने मथुरा के गोवर्धन में तीन मंदिरों के लिए श्राईन बोर्ड का कानून बनाने के संबंध में गलत हलफनामा दायर करने पर नाराजगी जताते हुए उत्तरप्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। जस्टिस एस रघुवेंद्र राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने यूपी के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एके अवस्थी को 31 जुलाई को तलब किया है।


Body:दरअसल मथुरा के गोवर्धन में तीन मंदिरों के लिए श्राईन बोर्ड का कानून बनाने को लेकर यूपी सरकार के वकील ने एनजीटी को बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने गोवर्धन श्राइन बोर्ड के गठन की अनुमति नहीं दी है। एनजीटी ने यूपी सरकार से पूछा कि जब आपने अपने पहले के हलफनामे में कहा था कि वो श्राईन बोर्ड का कानून बनाने के लिए एनजीटी के आदेशों का पालन करेगी तो अब इससे मुकर कैसे गई। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि वो उत्तरप्रदेश रेलिजियस प्लेसेस प्लानिंग एंड डेवलपमेंट बिल 2019 ला रही है। इसमें कही भी श्राईन बोर्ड का कानून बनाने को लेकर का जिक्र नहीं है। एनजीटी ने कहा कि यह एक फर्जीवाड़ा है। पिछले 27 मई को सुनवाई के दौरान श्राईन बोर्ड का कानून बनाने के आदेश में देरी पर यूपी सरकार ने एनजीटी को बताया था कि चुनाव आचार संहिता की वजह से ये कानून पारित नहीं हो पाया । चुनाव के दौरान इसके लिए निर्वाचन आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन निर्वाचन आयोग ने कहा कि 23 मई के बाद इस पर अमल करें। यूपी सरकार ने एनजीटी को आश्वस्त किया कि श्राईन बोर्ड बनाने का काम जल्द ही पूरा होगा। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने एनजीटी को बताया था कि दानघाटी मंदिर मुखारविंद मंदिर के खाते में दस करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला किया गया है। इस संबंध में मथुरा की कोर्ट में मामला भी चल रहा है। एनजीटी ने कहा था कि गिरिराज पर्वत के प्राचीन मंदिर किसी व्यक्ति या सोसायटी की संपत्ति नहीं हो सकते हैं। इन मंदिरों पर निजी लोगों का नियंत्रण है और वे उसे अपनी निजी कमाई का जरिया बनाए हुए हैं। चढ़ावे में आ रहे पैसों का मंदिर के रखरखाव और विकास में खर्च करने की बजाय वहां लगातार घोटाले हो रहे हैं। एनजीटी ने संबंधित राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वे गिरिराज पर्वत के इलाके में पड़नेवाले मंदिरों को अपने नियंत्रण में लें। पिछले 1 फरवरी को एनजीटी ने उत्तरप्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि वो मथुरा के गोवर्धन में तीन मंदिरों के लिए श्राईन बोर्ड का कानून बनाए। एनजीटी ने यूपी के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एके अवस्थी को निर्देश दिया था कि वो 15 दिन में ये कानून यूपी की कैबिनेट से मंजूर कराएं। एनजीटी ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि वो विधासनभा के अगले सत्र में ये कानून पारित कराएं। सुनवाई के दौरान एके अवस्थी ने कहा था कि तीनों मंदिरों के लिए श्राईन बोर्ड गठित करने संबंधी ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया और इसे राज्य की कैबिनेट के समक्ष पेश करना है। अवस्थी ने कहा था कि तीन मंदिरों जैतपुरा, धनघाटी और मानसी गंगा के रिसीवर से मंदिरों की परिसंपत्तियों की जानकारी लेनी है।


Conclusion:एनजीटी ने एनजीओ मुस्कान ज्योति समिति को निर्देश दिया कि वो ठोस कचरे का निस्तारण कानून के मुताबिक करें। एनजीटी ने यूपी और राजस्थान सरकार को निर्देश दिया था कि वो होर्डिंग्स इत्यादि के जरिये लोगों में सॉलिड वेस्ट के बारे में लोगों को जागरुक करें। एनजीटी ने मथुरा जिला प्रशासन को निर्देश दिया था कि वो समय-समय पर रिपोर्ट हासिल करें और अगर एनजीओ की तरफ से कोई कमी रह जाए तो वे जरुरी सहायता उपलब्ध कराई जाए। एनजीटी ने मथुरा के डीएम और मथुरा वृंदावन डेवलपमेंट अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि वे निजी पार्किंग न होने दें । एनजीटी ने राजस्थान के भरतपुर के जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि वे भी सुनिश्चित करें को पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह हो खासकर राजस्थान से आनेवाले पर्यटकों के लिए।
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