नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में पढ़ने-लिखने की उम्र में बच्चे बड़ी-बड़ी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक नाबालिगों ने फायरिंग, लूट और हत्या जैसे अधिकांश मामलों में बड़ी भूमिका अदा की है, जो पुलिस के लिए सिरदर्द साबित हो जा रहा है.
जाफराबाद थाना क्षेत्र के घोंडा इलाके में पिछले माह चार नाबालिगों ने कैब चालक अर्जुन की गला रेतकर हत्या कर दी थी. दिल्ली पुलिस ने चारों आरोपियों को पकड़कर मामले का खुलासा किया. इसी वर्ष मार्च में नेब सराय थाना क्षेत्र में नाबालिग ने एक बुजुर्ग से लूटपाट करने की कोशिश की. विरोध करने पर आरोपी ने उनकी हत्या कर दी. ये कुछ मामले तो बानगी भर हैं.
दरअसल, राजधानी दिल्ली अपराधियों की नर्सरी बनती जा रही है. अपराध के क्षेत्र में नाबालिग अपना दबदबा बनाने के लिए बड़ी-बड़ी वारदातों को अंजाम देने से पीछे नहीं हटते हैं. जिस उम्र में उनके हाथों में किताब कॉपी होनी चाहिए. उस उम्र में वे चाकू और तमंचे से खूनी खेल खेल रहे हैं. पकड़े जाने इन आरोपियों से पुलिस पूछताछ में पता चला है कि उनमें से कुछ बॉलीवुड की फिल्में देखकर भी अपराध में शामिल हुए हैं.
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के स्पेशल कमिश्नर आरएस यादव ने बताया कि कम समय में ज्यादा पैसा कमाने के लालच में नाबालिग आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं. पकड़े जाने पर कानून के मुताबिक उन पर कार्रवाई की जाती है. प्रयास रहता है कि एक बार अपराध करते हुए पकड़े गए नाबालिग दोबारा किसी अपराध में शामिल न हों.
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक: इहबास अस्पताल में मनोचिकित्सा विभाग में प्रोफेसर एवं मेडिकल उपाधीक्षक डॉ. ओम प्रकाश ने बताया कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ नाबालिगों में ही अपराध की प्रवृत्ति बढ़ रही है. हर उम्र के लोगों में ये प्रवृत्ति बढ़ रही है. लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को माता-पिता, समाज और उसके दोस्तों से उसे कैसा माहौल मिल रहा है. बच्चे को शुरू से जैसा माहौल मिलेगा वह उसी माहौल में ढलता जाएगा.
शुरू में छोटे-मोटे अपराध करने वाले बच्चों को यदि अपराधबोध न कराया जाए तो वे संगीन अपराध में शामिल होने लगते हैं. इसके लिए सिर्फ वे ही जिम्मेदार नहीं हैं बल्कि हम सब भी हैं. यही कारण है कि जेजे एक्ट में नाबालिगों के अंदर अपराध की भावना को रिफॉर्म कराने पर फोकस किया गया है. जब बच्चे को यह पता होगा कि उसने गलत काम किया है तो उसे उसका पछतावा भी होगा. अगर उसे अपराध बोध नहीं हुआ तो वह धीरे-धीरे बड़े अपराध में शामिल होता जाएगा. नाबालिगों की मानसिकता को समझने की बहुत ज्यादा जरूरत है. कई बार देखने में आया है कि नाबालिग अपनी बातें अपने परिवार व साथ के लोगों से कह नहीं पाते हैं और चुप रहते हैं. उनका चुप रहना भी खतरनाक होता है, क्योंकि उनके में दिमाग अलग-अलग बातें चल रही होती हैं. अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों की बातों को सुनें.
नाबालिगों द्वारा इस वर्ष अंजाम दिये गए संगीन अपराध:
- 30 जनवरी: कालकाजी में नाबालिग छात्रों ने एक नाबालिग को मार डाला.
- 08 मार्च: गोविंदपुरी में रोडरेज में नाबालिग ने चाकू घोंपकर युवक को मार डाला.
- 10 मार्च: महरौली में मामूली विवाद में तीन नाबालिगों ने एक युवक को मार डाला.
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