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'कोरोना बुलेटिन में निजामुद्दीन मरकज का जिक्र ना करे दिल्ली सरकार' - dmc letter to health department delhi

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग(DMC) ने दिल्ली स्वास्थ विभाग के सचिव को पत्र लिखा है. पत्र में कोरोना के डेली बुलेटिन में निजामुद्दीन मरकज का जिक्र न करने की अपील की गई है. इस खबर में जानिए आखिरकार आयोग ने पत्र में क्या-क्या शामिल किया है.

Dr. Zafarul Islam Khan, Chairman of DMC
डीएमसी के चेयरमैन डॉ. जफरुल इस्लाम खान
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Published : Apr 10, 2020, 12:31 PM IST

नई दिल्ली: कोरोना के आंकड़ों में अलग से निजामुद्दीन मरकज के आंकड़े बताये जाने पर आपत्ति जताते हुए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर इसे बंद करने की अपील की है. डीएमसी के चेयरमैन डॉ. जफरुल इस्लाम खान ने अपने पत्र में लिखा है कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी कोविड 19 के डेली हेल्थ बुलेटिन में मरकज मस्जिद के नाम से एक अलग कॉलम बना होता है.

दिल्ली माइनॉरिटी कमिशन ने लिखा पत्र

हेल्थ बुलेटिन से जमात का जिक्र हटाया जाए

दिल्ली माइनॉरिटी कमिशन (DMC) ने दिल्ली स्वास्थ विभाग को पत्र लिखकर दिल्ली में कोरोना वायरस के पीड़ितों के बारे में जारी किए जाने वाले हेल्थ बुलेटिन से तब्लीगी जमात का जिक्र हटाया जाने की अपील की है. गौरतलब है कि दिल्ली में कोरोना वायरस पीड़ितों की जानकारी के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार हेल्थ बुलेटिन जारी कर रहा है, जिसमें तबलीगी जमात के नाम से एक अलग कॉलम लिखा जा रहा है. कमीशन ने साफ कहा कि धार्मिक आधार पर बीमारी और मरीजों का जिक्र करने से माहौल खराब हो रहा है जोकि ठीक नहीं है.

WHO का दिया हवाला
दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन के चेयरमैन डॉ.जफरुल इस्लाम खान ने विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन(WHO) का हवाला देते हुए कोरोना से जुड़े मामलों का धार्मिक आधार पर वर्गीकरण किये जाने पर ऐतराज जताया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवायजरी का हवाला देते हुए ये भी लिखा है कि केंद्र सरकार ने भी ये कहा है कि तमाम एतिहातों को बरतने के बावजूद अगर कोई संक्रमित हो जाता है तो ये उसकी गलती नहीं है. मरीज और उसके परिवार को ऐसे समय में सहयोग और मदद की जरूरत होती है.

इस्लामोफोबिया के एजेंडे को मिल रहा बढ़ावा
उन्होंने कहा कि इस तरह का वर्गीकरण गलत है और इससे इस्लामोफोबिया के एजेंडे को बढ़ावा मिल रहा है. पत्र में ये भी लिखा गया है कि इसकी वजह से देश के कई हिस्सों में मुसलमानों पर हमले किये जा रहे हैं और उनके सामाजिक बहिष्कार की बातें कही जा रही हैं. दरअसल इस तरह के आंकड़े देशभर में मुसलमानों पर अटैक को बढ़ावा दे रहे हैं. इतना ही नहीं विभिन्न इलाकों में इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं. इसी के चलते उत्तर पश्चिमी दिल्ली के एक गांव में युवक के साथ लिंचिंग कि घटना भी हो चुकी है.

WHO के निदेशक का दिया हवाला
दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन के स्वास्थ्य विभाग को लिखे पत्र में डब्ल्यूएचओ का भी हवाला दिया गया है जिसमें 6 अप्रैल को इमरजेंसी प्रोग्राम के डायरेक्टर माइक रेयान ने कहा है कि किसी भी देश को नोवल कोरोना वायरस (कोविड 19) बीमारी धर्म या फिर किसी और चीज के आधार पर प्रोफ़ाइल नहीं करना चाहिए. डब्ल्यूएचओ के पत्र में इसके साथ ही इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करने और धर्म के आधार पर लोगों का वर्गीकरण नहीं करने को कहा गया है.

पीड़ितों के नाम का खुलासा न करने का आह्वान
इसके साथ ही नागरिकों से भी आह्वान किया गया है कि कोरोना बीमारी से पीड़ित या फिर क्वारंटाइन में रहने वाली किसी भी शख्स का नाम और उसके इलाके के बारे में सोशल मीडिया पर कोई खुलासा नहीं करें.

नई दिल्ली: कोरोना के आंकड़ों में अलग से निजामुद्दीन मरकज के आंकड़े बताये जाने पर आपत्ति जताते हुए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर इसे बंद करने की अपील की है. डीएमसी के चेयरमैन डॉ. जफरुल इस्लाम खान ने अपने पत्र में लिखा है कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी कोविड 19 के डेली हेल्थ बुलेटिन में मरकज मस्जिद के नाम से एक अलग कॉलम बना होता है.

दिल्ली माइनॉरिटी कमिशन ने लिखा पत्र

हेल्थ बुलेटिन से जमात का जिक्र हटाया जाए

दिल्ली माइनॉरिटी कमिशन (DMC) ने दिल्ली स्वास्थ विभाग को पत्र लिखकर दिल्ली में कोरोना वायरस के पीड़ितों के बारे में जारी किए जाने वाले हेल्थ बुलेटिन से तब्लीगी जमात का जिक्र हटाया जाने की अपील की है. गौरतलब है कि दिल्ली में कोरोना वायरस पीड़ितों की जानकारी के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार हेल्थ बुलेटिन जारी कर रहा है, जिसमें तबलीगी जमात के नाम से एक अलग कॉलम लिखा जा रहा है. कमीशन ने साफ कहा कि धार्मिक आधार पर बीमारी और मरीजों का जिक्र करने से माहौल खराब हो रहा है जोकि ठीक नहीं है.

WHO का दिया हवाला
दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन के चेयरमैन डॉ.जफरुल इस्लाम खान ने विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन(WHO) का हवाला देते हुए कोरोना से जुड़े मामलों का धार्मिक आधार पर वर्गीकरण किये जाने पर ऐतराज जताया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवायजरी का हवाला देते हुए ये भी लिखा है कि केंद्र सरकार ने भी ये कहा है कि तमाम एतिहातों को बरतने के बावजूद अगर कोई संक्रमित हो जाता है तो ये उसकी गलती नहीं है. मरीज और उसके परिवार को ऐसे समय में सहयोग और मदद की जरूरत होती है.

इस्लामोफोबिया के एजेंडे को मिल रहा बढ़ावा
उन्होंने कहा कि इस तरह का वर्गीकरण गलत है और इससे इस्लामोफोबिया के एजेंडे को बढ़ावा मिल रहा है. पत्र में ये भी लिखा गया है कि इसकी वजह से देश के कई हिस्सों में मुसलमानों पर हमले किये जा रहे हैं और उनके सामाजिक बहिष्कार की बातें कही जा रही हैं. दरअसल इस तरह के आंकड़े देशभर में मुसलमानों पर अटैक को बढ़ावा दे रहे हैं. इतना ही नहीं विभिन्न इलाकों में इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं. इसी के चलते उत्तर पश्चिमी दिल्ली के एक गांव में युवक के साथ लिंचिंग कि घटना भी हो चुकी है.

WHO के निदेशक का दिया हवाला
दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन के स्वास्थ्य विभाग को लिखे पत्र में डब्ल्यूएचओ का भी हवाला दिया गया है जिसमें 6 अप्रैल को इमरजेंसी प्रोग्राम के डायरेक्टर माइक रेयान ने कहा है कि किसी भी देश को नोवल कोरोना वायरस (कोविड 19) बीमारी धर्म या फिर किसी और चीज के आधार पर प्रोफ़ाइल नहीं करना चाहिए. डब्ल्यूएचओ के पत्र में इसके साथ ही इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करने और धर्म के आधार पर लोगों का वर्गीकरण नहीं करने को कहा गया है.

पीड़ितों के नाम का खुलासा न करने का आह्वान
इसके साथ ही नागरिकों से भी आह्वान किया गया है कि कोरोना बीमारी से पीड़ित या फिर क्वारंटाइन में रहने वाली किसी भी शख्स का नाम और उसके इलाके के बारे में सोशल मीडिया पर कोई खुलासा नहीं करें.

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