ETV Bharat / state

हॉकी में परचम लहरा रही गाजियाबाद की बेटियां, एक समय स्टेडियम जाने का किराया जुटाना था मुश्किल

Ghaziabad daughters are flying flag in hockey: गाजियाबाद की बेटियां मुश्किलों को पीछे छोड़ हॉकी में परचम लहरा रही है. कई खिलाड़ियों का चयन सीनियर स्टेट लेवल और ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी लेवल पर हुआ है.

हॉकी में परचम लहरा रही गाजियाबाद की बेटियां
हॉकी में परचम लहरा रही गाजियाबाद की बेटियां
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 17, 2023, 5:21 PM IST

हॉकी में परचम लहरा रही गाजियाबाद की बेटियां

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के महामाया स्टेडियम में खेलो इंडिया के तहत 'एक जिला एक खेल' के अंतर्गत युवाओं को हॉकी सिखाया जा रहा है. स्टेडियम में कई ऐसे युवा खिलाड़ी भी हैं जिन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति को चुनौती देते हुए प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाई है. कई हॉकी खिलाड़ियों का चयन सीनियर स्टेट लेवल और ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी लेवल पर हुआ है. खास बात है कि किसी खिलाड़ी के पिता मजदूरी करते हैं तो किसी के पिता की किराने की दुकान है.

लाल कुआं इलाके के रहने वाली पूजा चौहान के पिता मजदूरी करते हैं, लेकिन पूजा को हर तरह से सपोर्ट करने की पूरी कोशिश करते हैं. पूजा बताती हैं कि पिता चाहते हैं कि वह हॉकी में खूब आगे बढ़े और देश का नाम रोशन करें. पूजा जब सुशीला इंटर कॉलेज में कक्षा आठ में पढ़ती थी तब उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया था. जिला और प्रदेश स्तर पर आयोजित विभिन्न हॉकी प्रतियोगिता में भाग ले चुकी हैं. अब ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी लेवल पर उनका चयन हुआ है.

लंबे समय से पूजा गाजियाबाद के महामाया स्टेडियम में हॉकी की प्रैक्टिस कर रही है. पूजा बताती है कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. कई बार ऐसा होता है कि घर से स्टेडियम आने का किराया तक नहीं होता. वह अपने सीनियर्स, परिवार और कोच के सहयोग से ही यहां तक पहुंच पाई हैं.

वहीं, खुशी जैसवाल बीते पांच सालों से हॉकी खेल रही है. हाल ही में उनका सीनियर स्टेट लेवल के लिए चयन हुआ है. खुशी के पिता भी मजदूरी करते हैं. खुशी बताती हैं कि सबसे ज्यादा मुश्किल हॉकी के इक्विपमेंट खरीदना होता है. ऐसे में कई लोगों के सहयोग से इक्विपमेंट आदि खरीदना संभव हो पता है. उनके पिता उन्हें बेहद सपोर्ट करते हैं. खुशी का ख्वाब भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल होकर खेलना है.

गाजियाबाद की शैली गुप्ता का हाल ही में सीनियर स्टेट लेवल के लिए चयन हुआ है. शैली बताती है कि जीते 4 साल से वह हॉकी की प्रैक्टिस कर रही हैं. प्रैक्टिस के दौरान उन्हें कोच और महामाया स्टेडियम का पूर्ण सहयोग मिला. जिसकी वजह से उनका गेम निखर सका. इक्विपमेंट्स, डाइट आदि स्टेडियम से मुहैया कराई जाती है. शैली का ख्वाब भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल होकर देश के लिए खेलना हैं.

जिला उप क्रीड़ा अधिकारी पूनम बिश्नोई के मुताबिक, भारत सरकार की खेलो इंडिया योजना के तहत एक जिला एक खेल में गजियाबाद में हॉकी को लिया गया है. खेलो इंडिया के माध्यम से हॉकी के क्षेत्र में गाजियाबाद में खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं. खिलाड़ियों को हॉकी किट आदि उपलब्ध हो रही है. सामान्य तौर पर हॉकी किट तकरीबन ₹35000 की आती है, जो खेलो इंडिया के तहत निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है. खेलो इंडिया के तहत गाजियाबाद में 9 कोच मौजूद है. खेलो इंडिया योजना आर्थिक रूप से कमजोर खिलाड़ियों के लिए काफी कारगर साबित हो रही है.

हॉकी में परचम लहरा रही गाजियाबाद की बेटियां

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के महामाया स्टेडियम में खेलो इंडिया के तहत 'एक जिला एक खेल' के अंतर्गत युवाओं को हॉकी सिखाया जा रहा है. स्टेडियम में कई ऐसे युवा खिलाड़ी भी हैं जिन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति को चुनौती देते हुए प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाई है. कई हॉकी खिलाड़ियों का चयन सीनियर स्टेट लेवल और ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी लेवल पर हुआ है. खास बात है कि किसी खिलाड़ी के पिता मजदूरी करते हैं तो किसी के पिता की किराने की दुकान है.

लाल कुआं इलाके के रहने वाली पूजा चौहान के पिता मजदूरी करते हैं, लेकिन पूजा को हर तरह से सपोर्ट करने की पूरी कोशिश करते हैं. पूजा बताती हैं कि पिता चाहते हैं कि वह हॉकी में खूब आगे बढ़े और देश का नाम रोशन करें. पूजा जब सुशीला इंटर कॉलेज में कक्षा आठ में पढ़ती थी तब उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया था. जिला और प्रदेश स्तर पर आयोजित विभिन्न हॉकी प्रतियोगिता में भाग ले चुकी हैं. अब ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी लेवल पर उनका चयन हुआ है.

लंबे समय से पूजा गाजियाबाद के महामाया स्टेडियम में हॉकी की प्रैक्टिस कर रही है. पूजा बताती है कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. कई बार ऐसा होता है कि घर से स्टेडियम आने का किराया तक नहीं होता. वह अपने सीनियर्स, परिवार और कोच के सहयोग से ही यहां तक पहुंच पाई हैं.

वहीं, खुशी जैसवाल बीते पांच सालों से हॉकी खेल रही है. हाल ही में उनका सीनियर स्टेट लेवल के लिए चयन हुआ है. खुशी के पिता भी मजदूरी करते हैं. खुशी बताती हैं कि सबसे ज्यादा मुश्किल हॉकी के इक्विपमेंट खरीदना होता है. ऐसे में कई लोगों के सहयोग से इक्विपमेंट आदि खरीदना संभव हो पता है. उनके पिता उन्हें बेहद सपोर्ट करते हैं. खुशी का ख्वाब भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल होकर खेलना है.

गाजियाबाद की शैली गुप्ता का हाल ही में सीनियर स्टेट लेवल के लिए चयन हुआ है. शैली बताती है कि जीते 4 साल से वह हॉकी की प्रैक्टिस कर रही हैं. प्रैक्टिस के दौरान उन्हें कोच और महामाया स्टेडियम का पूर्ण सहयोग मिला. जिसकी वजह से उनका गेम निखर सका. इक्विपमेंट्स, डाइट आदि स्टेडियम से मुहैया कराई जाती है. शैली का ख्वाब भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल होकर देश के लिए खेलना हैं.

जिला उप क्रीड़ा अधिकारी पूनम बिश्नोई के मुताबिक, भारत सरकार की खेलो इंडिया योजना के तहत एक जिला एक खेल में गजियाबाद में हॉकी को लिया गया है. खेलो इंडिया के माध्यम से हॉकी के क्षेत्र में गाजियाबाद में खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं. खिलाड़ियों को हॉकी किट आदि उपलब्ध हो रही है. सामान्य तौर पर हॉकी किट तकरीबन ₹35000 की आती है, जो खेलो इंडिया के तहत निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है. खेलो इंडिया के तहत गाजियाबाद में 9 कोच मौजूद है. खेलो इंडिया योजना आर्थिक रूप से कमजोर खिलाड़ियों के लिए काफी कारगर साबित हो रही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.