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लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी नहीं मिला रोजगार, लगा रहे मदद की गुहार - मददूरों को रोजी का संकट

मादीपुर के जेजे कॉलोनी में रहने वाले मजदूर काम न मिलने की वजह से काफी परेशान हैं. उनके सामने भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

labourers facing unemployment problems in modipur
मजदूरों को रोजी का संकट
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Published : Feb 11, 2021, 6:54 PM IST

नई दिल्ली: लॉकडाउन के खत्म होने के बाद भी रोजाना कमाने खाने वाले मजदूरों की समस्या दूर नहीं हुई है. कुछ ऐसा ही हाल मादीपुर के जेजे कॉलोनी में रहने वाले मजदूरों का है, जो काम न मिलने की वजह से काफी परेशान हैं और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

मजदूरों को रोजी-रोटी का संकट
लेबर चौक पर घंटों खड़े रहकर लौट आते हैं वापस
मजदूरों ने बताया कि पहले लॉकडाउन लगने के कारण उन्हें काम मिलना बंद हो गया था तो वहीं अब लॉकडाउन खुलने के बाद भी उनके कमाने खाने का कोई ठिकाना नहीं है. काम की तलाश में वह लेबर चौक पर जाकर घंटों तक इंतजार करते हैं, लेकिन फिर निराश होकर वापस लौट आते हैं.
आसपास के लोगों द्वारा दिए गए भोजन से होता है गुजारा
उनका कहना है कि न उनके पास रहने के लिए घर है और न दो वक्त की रोटी खाने के लिए रुपये. ऐसे में वह फुटपाथ पर झुग्गियां बनाकर रहने के लिए मजबूर हैं और आसपास के लोगों से उन्हें जो खाना मिलता है. वही खाना वह अपने बच्चों को खिला देते हैं.


भविष्य को खतरे में पड़ने से बचाए सरकार
इसलिए इन मजदूरों की सरकार से यह गुहार है कि सरकार उनकी सहायता के लिए कदम उठाए ताकि उनका भविष्य खतरे में न पड़े और वह अपने बच्चों का पालन-पोषण कर पाएं.

नई दिल्ली: लॉकडाउन के खत्म होने के बाद भी रोजाना कमाने खाने वाले मजदूरों की समस्या दूर नहीं हुई है. कुछ ऐसा ही हाल मादीपुर के जेजे कॉलोनी में रहने वाले मजदूरों का है, जो काम न मिलने की वजह से काफी परेशान हैं और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

मजदूरों को रोजी-रोटी का संकट
लेबर चौक पर घंटों खड़े रहकर लौट आते हैं वापस
मजदूरों ने बताया कि पहले लॉकडाउन लगने के कारण उन्हें काम मिलना बंद हो गया था तो वहीं अब लॉकडाउन खुलने के बाद भी उनके कमाने खाने का कोई ठिकाना नहीं है. काम की तलाश में वह लेबर चौक पर जाकर घंटों तक इंतजार करते हैं, लेकिन फिर निराश होकर वापस लौट आते हैं.
आसपास के लोगों द्वारा दिए गए भोजन से होता है गुजारा
उनका कहना है कि न उनके पास रहने के लिए घर है और न दो वक्त की रोटी खाने के लिए रुपये. ऐसे में वह फुटपाथ पर झुग्गियां बनाकर रहने के लिए मजबूर हैं और आसपास के लोगों से उन्हें जो खाना मिलता है. वही खाना वह अपने बच्चों को खिला देते हैं.


भविष्य को खतरे में पड़ने से बचाए सरकार
इसलिए इन मजदूरों की सरकार से यह गुहार है कि सरकार उनकी सहायता के लिए कदम उठाए ताकि उनका भविष्य खतरे में न पड़े और वह अपने बच्चों का पालन-पोषण कर पाएं.

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