नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव की हलचल तेज हो गई है. इस बार मुकाबला ABVP और लेफ्ट यूनिटी के बीच देखने को मिल सकता है.
बता दें कि ABVP ने मनीष जांगिड़ को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया है. उन्होंने कहा कि ABVP छात्रों के मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है. जिसमें हॉस्टल फीस बढ़ोत्तरी, पुस्तकालय, खेल सुविधा और हेल्थ केयर सेंटर में सुधार करना प्राथमिकता होगी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि की राष्ट्र हित में जो होगा उसे हम करेंगे.
'छात्रों को कहा जाता है एंटी नेशनल'
एबीवीपी के अध्यक्ष उम्मीदवार मनीष जांगिड़ ने कहा कि छात्रसंघ छात्रों के लिए होता है. लेकिन यहां वामपंथ के लोगों ने इस विश्वविद्यालय के छात्र संघ को राजनीति में जाने के लिए लॉन्चिंग पैड के रूप में उपयोग किया और देश और विश्वविद्यालय पर गलत बयान बाजी कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकी हैं.
जिसके चलते जेएनयू के आम छात्रों को इन वामपंथी लोगों की वजह से जब कहीं इंटरव्यू के लिए जाते हैं तो उन्हें एंटी नेशनल कह दिया जाता है.
इसके चलते छात्रों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. मनीष ने कहा कि एबीवीपी इन विरोधी ताकतों से शुरू से लड़ता आया है. उन्होंने कहा कि इन वामपंथियों के मंसूबे पर एबीवीपी कभी कामयाब नहीं होने देगी.
'ABVP करती है छात्रों के हित में काम'
मनीष ने कहा कि जब भी विश्वविद्यालय में एबीवीपी सत्ता में आई है. उसने छात्रों के हितों के लिए काम किया है.
उन्होंने कहा कि 2015 में संयुक्त सचिव के पद जीतने के बाद विश्वविद्यालय में किए गए कार्यों को लेकर एबीवीपी का 32 पेज का रिपोर्ट कार्ड पेश किया था. लेकिन वामपंथी दल का रिपोर्ट कार्ड केवल दो पेज का ही था. इससे साफ पता चलता है कि कौन छात्र हितों के लिए काम करता है.
मनीष ने कहा कि एबीवीपी का हर साल नया एजेंडा होता है लेफ्ट की तरह कोई कट-पेस्ट एजेंडा नहीं होता है.
उन्होंने कहा कि 2015 में जब सत्ता में आई थी उस समय कैंपस, प्लेसमेंट और वाईफाई का नारा दिया था. जिसमें से आज विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट सेल बन गया है. साथ ही कहा कि हर हॉस्टल में वाईफाई की सुविधा उपलब्ध है.
'कैंपस में ई-रिक्शा और ई साईकिल की सुविधा'
इसके अलावा उन्होंने कहा कि हॉस्टल की समस्या को दूर करने के लिए दो हॉस्टल की स्वीकृति मिली थी. लेकिन दोबारा यूनियन में आने का मौका नहीं मिला. जिसके चलते उसका फंड अभी तक रुका हुआ है. जिसको लेकर लगातार विद्यार्थी परिषद संघर्ष कर रहा है.
मनीष ने कहा कि साल 2017 में एबीवीपी के ही संघर्ष से कैंपस में ई रिक्शा और ई सायकिल चल रही है. उन्होंने कहा कि जब कैंपस में छात्रों को छात्रसंघ की जरूरत थी तो वह चुनाव प्रचार या तो देश दुनिया की राजनीति में व्यस्त रहते थे.
'स्पोर्ट्स कोटे से भी छात्रों का एडमिशन हो'
मनीष ने कहा कि एबीवीपी छात्रसंघ चुनाव जीतकर आती है तो वह सबसे पहला एजेंडा होगा नए हॉस्टल का निर्माण, पुराने हॉस्टल का पुनर्निर्माण करना और दूसरा एजेंडा होगा छात्राओं के लिए एक सिंगल सीटर बड़ा हॉस्टल होने चाहिए.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि जेएनयू का नाम राजनीतिक गतिविधियों के लिए बहुत आगे है. साथ ही कहा कि देश और दुनिया में जेएनयू अपने रिसर्च कार्य के लिए जाना जाता है.
इसी को आगे बढ़ते हुए एबीवीपी की मांग होगी कि कैंपस में स्पोर्ट्स कोटे से भी छात्रों का एडमिशन हो, जिसे जेएनयू का खेल जगत में भी बड़ा नाम हो, इसके लिए एबीवीपी का प्रयास होगा कि स्पोर्ट्स की सुविधा भी उपलब्ध हो जिसमें स्विमिंग पूल, ओपन जिम आदि बने.
इंजीनियरिंग और मैनजेमेंट छात्रों के लिए एक स्कूल
इसके अलावा मनीष ने कहा कि एबीवीपी की मांग है कि इंजीनियरिंग और मैनजेमेंट के छात्रों के लिए एक स्कूल हो और उनकी शिक्षा आईआईएम और अन्य संस्थाओं से बेहतर हो इसको लेकर हमें चाहे प्रशासन से संघर्ष करना पड़ते तो हम तैयार हैं. साथ ही इन छात्रों को भी हॉस्टल की सही सुविधा मिले.
4 सितंबर को होगा प्रेसीडेंशियल डिबेट
बता दें कि जेएनयू छात्र संघ के लिए 4 सितंबर को प्रेसीडेंशियल डिबेट आयोजित किया जाएगा. वहीं इलेक्शन 6 तारीख को होंगे और उसी दिन से वोट की गिनती भी शुरू हो जाएगी और अनुमान है कि अगले दिन देर शाम तक परिणाम भी घोषित कर दिया जाएगा.