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आंखों में आंसू लिए जंतर-मंतर पर जेट एयरवेज कर्मियों ने किया प्रदर्शन, बोले- हम सड़कों पर आ गए

केबिन क्रू से लेकर ऑपरेशंस की जिम्मेदारी संभालने वाले और पायलट तक हजारों कर्मचारियों ने गुरुवार को दिल्ली के जंतर मंतर पहुंचकर अपने हक की आवाज बुलंद की है. इनमें ऐसे लोग भी शामिल थे जो 15-20 सालों से इस कंपनी के साथ काम कर रहे थे.

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Published : Apr 18, 2019, 6:27 PM IST

Updated : Apr 18, 2019, 7:23 PM IST

आंखों में आंसू लिए जंतर-मंतर पर जेट एयरवेज कर्मियों ने किया प्रदर्शन, बोले- हम सड़कों पर आ गए

नई दिल्ली: बुधवार को जेट एयरवेज की आखिरी उड़ान के बाद से अस्थाई रूप से इसकी सेवाएं बंद होते ही करीब 20 हजार कर्मचारी अचानक से सड़कों पर आ गए हैं. वहीं लगभग 2 हजार कर्मचारियों ने दिल्ली के जंतर मंतर में प्रदर्शन किया है.

जंतर-मंतर में की आवाज बुलंद
केबिन क्रू से लेकर ऑपरेशंस की जिम्मेदारी संभालने वाले और पायलट तक हजारों कर्मचारियों ने गुरुवार को दिल्ली के जंतर मंतर पहुंचकर अपने हक की आवाज बुलंद की है. इनमें ऐसे लोग भी शामिल थे जो 15-20 सालों से इस कंपनी के साथ काम कर रहे थे.

रोते हुए दास्तां की बयान
प्रदर्शन कर रहे इन कर्मचारियों ने तो रोते हुए भी अपनी दास्तां बयान की. कर्मचारियों का कहना है कि वो अचानक से सड़कों पर आ गए हैं. उनके सामने कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है.

आंखों में आंसू लिए जंतर-मंतर पर जेट एयरवेज कर्मियों ने किया प्रदर्शन

'बेटे की दवा के लिए पैसे नहीं'
जेट एयरवेज के साथ 12 साल से काम कर रहे एक कर्मी ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान भावुक हो गए, यहां तक की उनकी आंखों में आंसू तक आ गए. उन्होंने बताया कि उनका 5 साल का बेटा बीमार है, पिछले महीने की भी सैलरी नहीं मिली, इस महीने से उम्मीद थी, लेकिन अचानक एक रात में ही कंपनी बंद कर दी गई और वो लोग सड़कों पर आ गए. उन्होंने बताया कि बच्चे की दवा की व्यवस्था के लिए पैसे तक नहीं है.

हाथों में तख्तियां लेकर सड़कों पर उतरे
यहां तक की ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभालने वाले ही नहीं, विमान की कमान संभालने वाले पायलट भी जंतर मंतर पर अपनी मांग लिखी तख्तियां लिए नजर आए है. प्रर्दशनकारियों का कहना है कि वो इमानदारी से सालों से अपना काम करते आ रहे हैं, टैक्स भी दिया और विपदा के समय कई बार अपनी सैलरी से पैसे दिए, लेकिन अब अचानक रातों रात उन्हें सड़कों पर ला दिया गया.

'सबने हमारा साथ छोड़ दिया'
ईटीवी से बातचीत में एक पायलट ने बताया कि जिस तरह फ्लाइट में कोई भी परेशानी आने पर, लैंडिंग के वक्त सबसे पहले कैबिन के लोग बाहर निकल जाएं, तो फ्लाइट में सवार लोगों का हाल क्या होगा, ठीक वैसा ही हाल अब हमारा है. सभी डिसीजन मेकर्स हमें इस हाल के छोड़कर निकल चुके हैं.

नई दिल्ली: बुधवार को जेट एयरवेज की आखिरी उड़ान के बाद से अस्थाई रूप से इसकी सेवाएं बंद होते ही करीब 20 हजार कर्मचारी अचानक से सड़कों पर आ गए हैं. वहीं लगभग 2 हजार कर्मचारियों ने दिल्ली के जंतर मंतर में प्रदर्शन किया है.

जंतर-मंतर में की आवाज बुलंद
केबिन क्रू से लेकर ऑपरेशंस की जिम्मेदारी संभालने वाले और पायलट तक हजारों कर्मचारियों ने गुरुवार को दिल्ली के जंतर मंतर पहुंचकर अपने हक की आवाज बुलंद की है. इनमें ऐसे लोग भी शामिल थे जो 15-20 सालों से इस कंपनी के साथ काम कर रहे थे.

रोते हुए दास्तां की बयान
प्रदर्शन कर रहे इन कर्मचारियों ने तो रोते हुए भी अपनी दास्तां बयान की. कर्मचारियों का कहना है कि वो अचानक से सड़कों पर आ गए हैं. उनके सामने कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है.

आंखों में आंसू लिए जंतर-मंतर पर जेट एयरवेज कर्मियों ने किया प्रदर्शन

'बेटे की दवा के लिए पैसे नहीं'
जेट एयरवेज के साथ 12 साल से काम कर रहे एक कर्मी ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान भावुक हो गए, यहां तक की उनकी आंखों में आंसू तक आ गए. उन्होंने बताया कि उनका 5 साल का बेटा बीमार है, पिछले महीने की भी सैलरी नहीं मिली, इस महीने से उम्मीद थी, लेकिन अचानक एक रात में ही कंपनी बंद कर दी गई और वो लोग सड़कों पर आ गए. उन्होंने बताया कि बच्चे की दवा की व्यवस्था के लिए पैसे तक नहीं है.

हाथों में तख्तियां लेकर सड़कों पर उतरे
यहां तक की ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभालने वाले ही नहीं, विमान की कमान संभालने वाले पायलट भी जंतर मंतर पर अपनी मांग लिखी तख्तियां लिए नजर आए है. प्रर्दशनकारियों का कहना है कि वो इमानदारी से सालों से अपना काम करते आ रहे हैं, टैक्स भी दिया और विपदा के समय कई बार अपनी सैलरी से पैसे दिए, लेकिन अब अचानक रातों रात उन्हें सड़कों पर ला दिया गया.

'सबने हमारा साथ छोड़ दिया'
ईटीवी से बातचीत में एक पायलट ने बताया कि जिस तरह फ्लाइट में कोई भी परेशानी आने पर, लैंडिंग के वक्त सबसे पहले कैबिन के लोग बाहर निकल जाएं, तो फ्लाइट में सवार लोगों का हाल क्या होगा, ठीक वैसा ही हाल अब हमारा है. सभी डिसीजन मेकर्स हमें इस हाल के छोड़कर निकल चुके हैं.

Intro:बीती रात जेट एयरवेज की आखिरी उड़ान के बाद ही अस्थाई रूप से इसकी सेवाएं बंद कर दी गईं। उसके बाद करीब 20 हजार कर्मचारी अचानक ही सड़कों पर आ गए। इनमें से हजारों कर्मचारियों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया।


Body:नई दिल्ली: केबिन क्रू से लेकर ऑपरेशंस की जिम्मेदारी संभालने वाले और पायलट तक हजारों कर्मचारी आज दिल्ली के जंतर मंतर पर पहुंचे और अपने हक की आवाज बुलंद की। इनमें ऐसे लोग भी थे जो 15-20 सालों से इस कंपनी के साथ काम कर रहे थे। कई लोग अपना दुख बयां करता करते हुए रो पड़े। उनका कहना था कि जिस तरह अचानक वे सड़कों पर आ गए हैं, अब उनके सामने कोई रास्ता नहीं दिख रहा।

जेट एयरवेज के साथ 12 साल से काम कर रहे एक कर्मी यह कहते हुए भावुक हो गए और उनकी आंखों में आंसू आ गए कि उनका 5 साल का बेटा बीमार है, पिछले महीने की भी सैलरी नहीं मिली, इस महीने से उम्मीद थी, लेकिन अचानक एक रात में ही कंपनी बंद कर दी गई और उन्हें सड़कों पर आ जाना पड़ा। उसके लिए दवा की व्यवस्था के लिए पैसे नहीं हैं।

सिर्फ ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभालने वाले नहीं, पायलट जिनके हाथों में विमान की कमान होती है, वके भी आज जंतर मंतर पर अपनी मांग लिखी तख्तियां लिए नजर आए। इनमें से कई ने ईटीवी भारत से बातचीत की। उनका कहना था कि वे इमानदारी से वर्षों से अपना काम करते आ रहे हैं। उन्होंने टैक्स भी दिया है और विपदा के समय कई बार अपनी सैलरी से पैसे दिए हैं। उनकी क्या गलती है कि रातों-रात उन्हें सड़कों पर ला दिया गया।

इनमें से एक पायलट ने ईटीवी भारत से कुछ इस अंदाज में अपना दुःख बयां किया कि सोचकर देखिए कि अभी जितने डिसीजन मेकर्स हैं, वो हमारी फ्लाइट में सवार हों और अचानक कुछ हो जाए, फिर लैंडिंग के वक्त सबसे पहले हम केविन छोड़कर बाहर निकल जाएं, तो उन्हें कैसा लगेगा। अभी यही हमारे साथ हो रहा है। यह देश एक फ्लाइट की तरह है, जिसके अभी क्रैश होते ही, हमें अपने हाल पर छोड़ कर सारे डिसीजन मेकर्स निकल चुके हैं।


Conclusion:
Last Updated : Apr 18, 2019, 7:23 PM IST
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