नई दिल्ली: आल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन (आईपा) ने स्कूल शिक्षा में सुधार को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखा है. एसोसिएशन के अखिल भारतीय अध्यक्ष और वकील अशोक अग्रवाल ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि निजी स्कूलों की फीस को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाया जाए.
मिड डे मील सभी आयु के बच्चों को देने की मांग
आईपा ने मांग की है कि देशभर के सभी सरकारी स्कूलों को केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर पुनर्गठित किया जाए और सार्वजनिक संपत्ति से चलने वाले विभिन्न स्तरों के स्कूलों के बीच भेदभाव का वर्तमान सिस्टम खत्म किया जाए.
आईपा ने कहा है कि मिड डे मील केवल प्राथमिक स्कूलों में पढ़नेवाले छात्रों तक ही सीमित नहीं किया जाए. बल्कि इसे सभी आयु के छात्रों को उपलब्ध कराया जाए. आईपा ने मांग की है कि सभी स्कूलों की प्रबंधन कमेटी में कम से कम पचास फीसदी अभिभावकों का रखना अनिवार्य किया जाए.
सीएजी के दायरे में लाए जाएं सभी निजी स्कूलों के खाते
सभी निजी स्कूलों को सीएजी के दायरे में लाने की मांग करते हुए उनके खातों का नियमित ऑडिट करने की मांग की गई है. ताकि वे अभिभावकों का शोषण नहीं कर सकें और पारदर्शिता बनी रहे. आईपा ने मांग की है कि कोरोना के संकट के दौरान निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा दूसरी किसी भी फीस की मांग न करें. सरकार ये सुनिश्चित करे कि जिन स्कूलों ने ट्यूशन फीस वसूली है वे अपने शिक्षकों और स्टाफ की सैलरी दें.
कोरोना संकट से उबरने तक स्कूलों को न खोला जाए
शिक्षा के अधिकार कानून का दायरा बढ़ाकर 12वीं कक्षा तक करने की मांग की गई है ताकि वंचित वर्ग के बच्चे भी 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण कर सकें. आईपा ने मांग की है कि सभी अल्पसंख्यक स्कूलों को शिक्षा के अधिकार कानून के दायरे में लाया जाए.
सभी सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और दूसरे स्टाफ के खाली पड़े पदों पर तुरंत नियुक्ति की जाए. प्रधानमंत्री को सौंपे जा रहे मांगों में ये भी कहा गया है कि कोरोना के संकट से उबरने तक स्कूलों को न खोला जाए. सभी छात्रों को अगली क्लास में प्रमोट किया जाए. शैक्षणिक सत्र 2020-21 को जीरो ईयर घोषित किया जाए.