नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में इस वर्ष दाखिले के लिए ओबीसी कैटेगरी के उम्मीदवारों को 27 फीसदी आरक्षण देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दिया है. सुनवाई के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोर्ट को बताया कि ऐसी ही एक याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है, जिस पर 8 जुलाई को सुनवाई होनी है. उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर 10 जुलाई को सुनवाई का आदेश दिया.
याचिका नेशनल युनियन ऑफ बैकवर्ड क्लासेज के सचिव एस गीता ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि पिछले दो शैक्षणिक सत्रों में ओबीसी कैटेगरी के छात्रों की 5530 सीटें सामान्य वर्ग के छात्रों को आवंटित कर दी गईं. याचिका में कहा गया है कि नीट का रिजल्ट घोषित होने के बाद ये खबरें आ रही हैं कि इस वर्ष भी दाखिला देने में ओबीसी वर्ग के छात्रों को 27 फीसदी आरक्षण देने के प्रावधान का पालन नहीं किया जा रहा है.
साथ ही याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय केवल एससी-एसटी वर्ग और आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग के छात्रों को आरक्षण का लाभ दे रही है. ओबीसी के छात्रों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है.
'संविधान की धारा 14 का उल्लंघन'
याचिका में कहा गया है कि ओबीसी के छात्रों को आरक्षण का लाभ नहीं देकर संविधान की धारा 14 का उल्लंघन किया गया है. हर वर्ष एमबीबीएस और बीडीएस के अंडरग्रेजुएट कोर्सेस की सीटों का 15 फीसदी और एमडी, एमएस, एमडीएस इत्यादि की पीजी सीटों का 50 फीसदी आल इंडिया कोटे के तहत केंद्र सरकार को दिया जाता है. इन सीटों पर केंद्र सरकार अपनी प्रक्रियाओं के तहत दाखिला देगी.
ओबीसी छात्रों के साथ भेदभाव का आरोप
याचिका में कहा गया है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के मेडिकल काउंसलिंग कमेटी के महानिदेशक ओबीसी छात्रों के साथ भेदभाव करते हैं. याचिकाकर्ता ने पिछले 17 मई को इस संबंध में एक ज्ञापन दिया था और मेडिकल दाखिले में ओबीसी कैटेगरी के छात्रों को 27 फीसदी आरक्षण देने की मांग की थी लेकिन उस ज्ञापन का कोई जवाब नहीं मिला.