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दिल्ली के अस्पतालों में स्टाफ की कमी से प्रभावित हो रहीं स्वास्थ्य सेवाएं, मरीजों के परिजनों को खींचनी पड़ती है स्ट्रेचर

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Published : Apr 8, 2023, 10:59 PM IST

दिल्ली के अस्पतालों में स्टाफ की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रहीं हैं. अतिरिक्त बोझ के चलते नर्सेज को अतिरिक्त काम करना पड़ता है और उन्हें साप्ताहिक अवकाश भी मुश्किल से मिलता है.

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दिल्ली नर्सेज फेडरेशन के महासचिव लीलाधर रामचंदानी

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के बड़े अस्पतालों में शामिल लोकनायक और जीबी पंत अस्पतालों में लंबे समय से नर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती न होने कारण मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. इससे पेशेंट केयर भी प्रभावित होती है और नर्सेज को अतिरिक्त काम करना पड़ता है. इसके अलावा अस्पतालों में नर्सिंग और अटेंडेंट की भी जगहें खाली होने से इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को एंबुलेंस से स्ट्रेचर पर लिटाकर भर्ती करने के लिए खुद मरीजों के परिजनों को ही स्ट्रेचर खींचने पड़ते हैं. इस काम के लिए अस्पतालों में अटेंडेंट तक की कमी है.

कोरोना संकट के दौरान अस्पतालों में बड़ी संख्या में दैनिक वेतन के आधार पर स्टाफ की भर्ती की गई थी, लेकिन कोरोना की स्थिति नियंत्रण में आने के बाद स्टाफ के अनुबंध को आगे नहीं बढ़ाया गया, जिससे फिर से अस्पतालों में स्टाफ की कमी हो गई है. जून 2022 में लोकनायक अस्पताल ने कोरोना संकट के दौरान भर्ती की गई 93 नर्सेज को भी निकाल दिया था. अभी बीते जनवरी माह में ही लोकनायक अस्पताल ने कोरोना काल में भर्ती किए गए 303 नर्सिंग अर्दली और 20 सुपरवाइजरों का अनुबंध खत्म होने के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया था. इसके चलते अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों की कमी चल रही है.

इन निकाले गए स्वास्थ्य कर्मियों ने काफी दिन तक अस्पताल के गेट पर बैठकर धरना प्रदर्शन भी किया था. इसके साथ ही अस्पताल में नर्सिंग कर्मियों के कुल 1578 पद स्वीकृत हैं. इनमें से भी 100 से ज्यादा पद खाली हैं. कुछ नर्सेज को दूसरे अस्पताल में भी भेजा गया है, जबकि अस्पताल की कुल क्षमता 2010 बेड की है. इसके अलावा कई साल से नर्सिंग कर्मचारियों की कई साल से पदोन्नति न होने के चलते ये लोग भी अक्सर धरना प्रदर्शन करते हैं. साथ ही काम के अतिरिक्त बोझ के चलते इन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है. नर्सिंग कर्मियों को अपना साप्ताहिक अवकाश भी मुश्किल से मिलता है.

दिल्ली नर्सेज फेडरेशन के महासचिव लीलाधर रामचंदानी ने बताया कि मानक के अनुसार सामान्य अस्पताल में छह बेड पर एक नर्स और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में चार बेड पर एक नर्स की तैनाती होनी चाहिए. लेकिन, मौजूदा समय में दिल्ली सरकार के विभिन्न अस्पतालों में सिर्फ कुल छह हजार नर्सेज की कार्यरत हैं. जबकि नर्सेज के स्वीकृत पदों की संख्या आठ हजार है. रामचंदानी ने बताया कि कई सालों से दिल्ली सरकार ने नर्सेज के खाली स्ठाई पदों पर भर्ती नहीं की है, जबकि कई अस्पतालों में 100-100 बेड बढ़ा दिए गए हैं.

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इसके साथ ही कोरोना के चलते आनन-फानन में शुरू किए गए इंदिरा गांधी अस्पताल , बुराड़ी अस्पताल और अंबेडकर नगर अस्पताल में भी जीबी पंत, जीटीबी, लोकनायक, लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल सहित अन्य कई अस्पतालों से नर्सेज की ड्यूटी इन अस्पतालों में लगा दी गई है, जिससे इन अस्पतालों में पहले से ही मरीज और नर्स अनुपात कम था जो और भी कम हो गया है. उन्होंने बताया कि हम अपनी मांगों को लेकर दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल को कई बार पत्र भी लिख चुके हैं और विधानसभा व सचिवालय पर धरना भी दे चुके हैं, लेकिन इस मामले में सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही है.

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने तीन अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया था. इस दौरान भारद्वाज को मरीजों के तीमारदार स्ट्रेचर खींचते हुए मिले थे. इस पर उन्होंने नाराजगी भी जताई थी.

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दिल्ली नर्सेज फेडरेशन के महासचिव लीलाधर रामचंदानी

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के बड़े अस्पतालों में शामिल लोकनायक और जीबी पंत अस्पतालों में लंबे समय से नर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती न होने कारण मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. इससे पेशेंट केयर भी प्रभावित होती है और नर्सेज को अतिरिक्त काम करना पड़ता है. इसके अलावा अस्पतालों में नर्सिंग और अटेंडेंट की भी जगहें खाली होने से इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को एंबुलेंस से स्ट्रेचर पर लिटाकर भर्ती करने के लिए खुद मरीजों के परिजनों को ही स्ट्रेचर खींचने पड़ते हैं. इस काम के लिए अस्पतालों में अटेंडेंट तक की कमी है.

कोरोना संकट के दौरान अस्पतालों में बड़ी संख्या में दैनिक वेतन के आधार पर स्टाफ की भर्ती की गई थी, लेकिन कोरोना की स्थिति नियंत्रण में आने के बाद स्टाफ के अनुबंध को आगे नहीं बढ़ाया गया, जिससे फिर से अस्पतालों में स्टाफ की कमी हो गई है. जून 2022 में लोकनायक अस्पताल ने कोरोना संकट के दौरान भर्ती की गई 93 नर्सेज को भी निकाल दिया था. अभी बीते जनवरी माह में ही लोकनायक अस्पताल ने कोरोना काल में भर्ती किए गए 303 नर्सिंग अर्दली और 20 सुपरवाइजरों का अनुबंध खत्म होने के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया था. इसके चलते अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों की कमी चल रही है.

इन निकाले गए स्वास्थ्य कर्मियों ने काफी दिन तक अस्पताल के गेट पर बैठकर धरना प्रदर्शन भी किया था. इसके साथ ही अस्पताल में नर्सिंग कर्मियों के कुल 1578 पद स्वीकृत हैं. इनमें से भी 100 से ज्यादा पद खाली हैं. कुछ नर्सेज को दूसरे अस्पताल में भी भेजा गया है, जबकि अस्पताल की कुल क्षमता 2010 बेड की है. इसके अलावा कई साल से नर्सिंग कर्मचारियों की कई साल से पदोन्नति न होने के चलते ये लोग भी अक्सर धरना प्रदर्शन करते हैं. साथ ही काम के अतिरिक्त बोझ के चलते इन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है. नर्सिंग कर्मियों को अपना साप्ताहिक अवकाश भी मुश्किल से मिलता है.

दिल्ली नर्सेज फेडरेशन के महासचिव लीलाधर रामचंदानी ने बताया कि मानक के अनुसार सामान्य अस्पताल में छह बेड पर एक नर्स और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में चार बेड पर एक नर्स की तैनाती होनी चाहिए. लेकिन, मौजूदा समय में दिल्ली सरकार के विभिन्न अस्पतालों में सिर्फ कुल छह हजार नर्सेज की कार्यरत हैं. जबकि नर्सेज के स्वीकृत पदों की संख्या आठ हजार है. रामचंदानी ने बताया कि कई सालों से दिल्ली सरकार ने नर्सेज के खाली स्ठाई पदों पर भर्ती नहीं की है, जबकि कई अस्पतालों में 100-100 बेड बढ़ा दिए गए हैं.

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इसके साथ ही कोरोना के चलते आनन-फानन में शुरू किए गए इंदिरा गांधी अस्पताल , बुराड़ी अस्पताल और अंबेडकर नगर अस्पताल में भी जीबी पंत, जीटीबी, लोकनायक, लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल सहित अन्य कई अस्पतालों से नर्सेज की ड्यूटी इन अस्पतालों में लगा दी गई है, जिससे इन अस्पतालों में पहले से ही मरीज और नर्स अनुपात कम था जो और भी कम हो गया है. उन्होंने बताया कि हम अपनी मांगों को लेकर दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल को कई बार पत्र भी लिख चुके हैं और विधानसभा व सचिवालय पर धरना भी दे चुके हैं, लेकिन इस मामले में सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही है.

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने तीन अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया था. इस दौरान भारद्वाज को मरीजों के तीमारदार स्ट्रेचर खींचते हुए मिले थे. इस पर उन्होंने नाराजगी भी जताई थी.

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