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पुलिसVS वकील: पुलिस की रिव्यू पिटीशन और गृंत्रालय की अर्जी HC में खारिज - HC

दिल्ली पुलिस की वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की याचिका खारिज,दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Nov 6, 2019, 4:27 PM IST

Updated : Nov 6, 2019, 6:40 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट में पुलिस और वकीलों के बीच हुए हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने 3 नवंबर के आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि उसका आदेश साफ है और उसमें कुछ भी स्पष्ट करने की जरुरत नहीं है.

पुलिसVS वकील

हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें साकेत कोर्ट में पुलिस के साथ मारपीट के मामले में वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी.

  • Delhi High Court also dismisses another application of Police seeking permission to lodge FIR against lawyers in Saket District Court incident https://t.co/0YdCuOiNsD

    — ANI (@ANI) November 6, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम जांच में कोई बाधा खड़ी नहीं करेंगे. दरअसल गृह मंत्रालय ने इस आदेश पर स्पष्टीकरण की मांग की थी जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि किसी भी वकील के खिलाफ कोई निरोधात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.

सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से वकील मोहित माथुर ने कहा कि गृह मंत्रालय की ओर से दायर याचिका की कोई जरुरत नहीं है, उन्होंने कहा कि अगर पुलिस ने 4 नवंबर को एफआईआर दर्ज किया है तो उन्हें स्पष्टीकरण के लिए याचिका दायर करने की क्या जरुरत पड़ी। अब पुलिस को ये कहना चाहिए कि वो वकीलों के खिलाफ बेबुनियाद बयान देने वालों पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करें.

सुनवाई के दौरान बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से वकील कीर्ति उप्पल ने कहा कि पुलिस ने साकेत कोर्ट के मामले में वकीलों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 392 यानि डकैती के तहत एफआईआर दर्ज किया। बार काउंसिल ने कहा कि पुलिस को अब एफआईआर दर्ज करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। पुलिस को तीस हजारी कोर्ट में गोली चलानेवाले पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वकील राकेश खन्ना ने कहा कि इस मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन लगाया जाना चाहिए क्योंकि वे वकीलों की खराब छवि पेश कर रहे हैं.

दिल्ली बार काउंसिल की ओर से वकील केसी मित्तल ने कहा कि वकीलों का आंदोलन उसी समय खत्म हो जाएगा जब आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया जाएगा और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के तहत एफआईआर दर्ज किया जाएगा.

पिछले 5 नवंबर को हाईकोर्ट बार काउंसिल ऑफ इंडिया और दिल्ली की अदालतों के बार एसोसिएशंस को नोटिस जारी किया था. पिछले 3 नवंबर को हाईकोर्ट ने उन वकीलों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था जिनके एफआईआर में नाम बतौर आरोपी दर्ज है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने रिटायर्ड जज जस्टिस एसपी गर्ग के नेतृत्व में जांच का आदेश दिया था। कोर्ट ने जांच कमेटी को छह हफ्ते में जांच पूरी करने का निर्देश दिया था.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट में पुलिस और वकीलों के बीच हुए हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने 3 नवंबर के आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि उसका आदेश साफ है और उसमें कुछ भी स्पष्ट करने की जरुरत नहीं है.

पुलिसVS वकील

हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें साकेत कोर्ट में पुलिस के साथ मारपीट के मामले में वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी.

  • Delhi High Court also dismisses another application of Police seeking permission to lodge FIR against lawyers in Saket District Court incident https://t.co/0YdCuOiNsD

    — ANI (@ANI) November 6, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम जांच में कोई बाधा खड़ी नहीं करेंगे. दरअसल गृह मंत्रालय ने इस आदेश पर स्पष्टीकरण की मांग की थी जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि किसी भी वकील के खिलाफ कोई निरोधात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.

सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से वकील मोहित माथुर ने कहा कि गृह मंत्रालय की ओर से दायर याचिका की कोई जरुरत नहीं है, उन्होंने कहा कि अगर पुलिस ने 4 नवंबर को एफआईआर दर्ज किया है तो उन्हें स्पष्टीकरण के लिए याचिका दायर करने की क्या जरुरत पड़ी। अब पुलिस को ये कहना चाहिए कि वो वकीलों के खिलाफ बेबुनियाद बयान देने वालों पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करें.

सुनवाई के दौरान बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से वकील कीर्ति उप्पल ने कहा कि पुलिस ने साकेत कोर्ट के मामले में वकीलों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 392 यानि डकैती के तहत एफआईआर दर्ज किया। बार काउंसिल ने कहा कि पुलिस को अब एफआईआर दर्ज करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। पुलिस को तीस हजारी कोर्ट में गोली चलानेवाले पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वकील राकेश खन्ना ने कहा कि इस मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन लगाया जाना चाहिए क्योंकि वे वकीलों की खराब छवि पेश कर रहे हैं.

दिल्ली बार काउंसिल की ओर से वकील केसी मित्तल ने कहा कि वकीलों का आंदोलन उसी समय खत्म हो जाएगा जब आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया जाएगा और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के तहत एफआईआर दर्ज किया जाएगा.

पिछले 5 नवंबर को हाईकोर्ट बार काउंसिल ऑफ इंडिया और दिल्ली की अदालतों के बार एसोसिएशंस को नोटिस जारी किया था. पिछले 3 नवंबर को हाईकोर्ट ने उन वकीलों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था जिनके एफआईआर में नाम बतौर आरोपी दर्ज है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने रिटायर्ड जज जस्टिस एसपी गर्ग के नेतृत्व में जांच का आदेश दिया था। कोर्ट ने जांच कमेटी को छह हफ्ते में जांच पूरी करने का निर्देश दिया था.

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DELHI HIGHCOURT


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Last Updated : Nov 6, 2019, 6:40 PM IST
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