नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई टाल दी है. मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी.
वहीं, 22 नवंबर 2018 को केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अंशु प्रकाश को नोटिस जारी किया था. याचिका में केजरीवाल और सिसोदिया ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें कोर्ट ने अंशु प्रकाश मामले की जांच एसीपी रैंक से नीचे के अधिकारी से न करने के निर्देश दिए थे. याचिका में ट्रायल कोर्ट के उस निर्देश को भी चुनौती दी गई है, जिसमें कोर्ट ने अंशु प्रकाश की मांग पर दिल्ली सरकार द्वारा उन्हें उपलब्ध कराए गए वकील के बजाय दिल्ली पुलिस द्वारा नियुक्त किए गए दो वकीलों को अभियोजक बनाने का निर्देश दिया था.
22 अक्टूबर 2018 को पटियाला हाउस कोर्ट ने वकील सिद्धार्थ अग्रवाल और एक अन्य को स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के तौर पर पेश होने की इजाजत दी थी. पटियाला हाउस कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया था कि 19-20 फरवरी की आधी रात को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में बुलाई गई बैठक में, उनके साथ आम आदमी पार्टी के विधायकों ने कथित तौर पर मारपीट और बदसलूकी की थी.
इन 11 विधायकों पर है आरोप
इस मामले में दायर आरोप पत्र में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के 11 विधायकों को आरोपी बनाया गया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और सिसोदिया के अलावा दिल्ली पुलिस ने जिन विधायकों को आरोपी बनाया है. उनमें संजीव झा, अमानतुल्लाह खान, दिनेश मोहनिया, राजेश गुप्ता, राजेश ऋषि, मदनलाल, प्रकाश जारवाल, नितिन त्यागी,ऋतुराज झा, अजय दत्त और प्रवीण कुमार शामिल हैं.
तीन सीट वाले सोफे पर बैठाया
आरोप पत्र में पुलिस ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के तत्कालीन सलाहकार वीके जैन को मुख्य चश्मदीद गवाह बनाया है. इस मामले पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि मुख्य सचिव को तीन सीटों वाले सोफे में अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जारवाल के बीच में बैठने को कहा गया. आमतौर पर ऐसा नहीं होता है. सुनवाई के दौरान उत्तरी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त ने कोर्ट में बताया था कि उन्होंने अंशु प्रकाश के चेहरे पर लगी चोटें देखी हैं.