नई दिल्ली: दिल्ली वक्फ बोर्ड में दारुल इफ्ता विभाग के गठन पर बोर्ड के एक पूर्व सदस्य मुफ्ती एजाज अरशद कासमी ने ऐतराज जताया है. उन्होंने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि बोर्ड के इस कदम से फतवे का राजनीतिकरण हो सकता है.
दारुल इफ्ता के गठन से शरई अमूर का हो सकता है सियासी इस्तमाल
उन्होंने कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड का काम गरीब, यतीम बेवाओं की मदद करना है. जिन लोगों ने अपनी जायदादें वक्फ की उनकी भी यही मंशा रही थी. लेकिन मैं समझता हूं कि दारुल इफ्ता वक्फ बोर्ड के दायरे अमल में नहीं आता है. दारुल इफ्ता जहां शरई अमूर की रहनुमाई की जाती है. ये काम पहले से मदारिसे इस्लामी अंजाम दे रहे हैं.
मुफ्ती एजाज ने कहा कि लेकिन अब वक्फ बोर्ड में दारुल इफ्ता के गठन के बाद शरई अमूर का सियासी इस्तमाल हो सकता है. मुमकिन है कि इलेक्शन के जमाने में मुफ्तीयान हुकूमत के असर में आकर ऐसे बयान दे दें जिसे मिल्लत का वकार को ठेस पहुंचे.
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वक्फ बोर्ड में दारुल इफ्ता के गठन से होगा लोगों को फायदा
वहीं दूसरी ओर मुस्लिम सहर फॉउंडेशन के अध्यक्ष एडवोकेट मसरूर सिद्दीकी ने दिल्ली वक्फ बोर्ड में दारुल इफ्ता के गठन का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि विरासत और शादी ब्याह के मामलों मे मुसलमानों को शरई रहनुमाई की जरूरत पड़ती है. जिसके लिए मदारिस मे दारुल इफ्ता मौजूद है लेकिन वक्फ बोर्ड में दारुल इफ्ता के गठन से लोगों को फायदा होगा. वो आसानी से अब वक्फ बोर्ड में आकर अपना मसला हल करा सकते हैं.