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NCR Air pollution : गर्भ तक पहुंच रहा प्रदूषण, प्रीमेच्योर डिलीवरी के साथ अंडरवेट पैदा हो रहे बच्चे

प्रदूषण का बुरा असर सिर्फ मानव शरीर पर ही नहीं बल्की गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है. डॉक्टर्स का कहना है कि प्रदूषण की वजह से प्रिमेच्योर डिलिवरी के मामले बढ़ गए हैं. Air pollution, Air Pollution Side Effects

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 11, 2023, 3:46 PM IST

Updated : Nov 11, 2023, 4:58 PM IST

गर्भ तक पहुंच रहा प्रदूषण

नई दिल्ली/गाजियाबाद: वायु प्रदूषण से लोगों की सांसों पर तो संकट है ही, गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों को भी ये प्रभावित कर रहा है. प्रदूषण के कारण हवा में हानिकारक जहर सांस लेने पर सीधे हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है . जो न केवल व्यस्कों के लिए बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए भी खतरनाक है. डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण के कारण प्रीमेच्योर यानी समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है.

9 महीने से पहले हो रही डिलीवरी: गाजियाबाद के महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुमाता तालिब के मुताबिक, "गर्भवती महिलाओं पर प्रदूषण का काफी प्रभाव पड़ रहा है. प्रदूषण के चलते प्रीमेच्योर डिलीवरी के केस सामने आ रहे हैं. 35 हफ्ते से पहले डिलीवरी होने को प्रीमेच्योर डिलीवरी कहते हैं. यानी 9 महीने पूरे होने से पहले ही गर्भवती महिला को लेबर पेन होना शुरू हो जाता है. दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने के दौरान प्रीमेच्योर डिलीवरी केसेस बढ़े हैं.

21 सितंबर से 9 नवंबर तक 187 प्रीमेच्योर डिलीवरी: डॉ तालिब के मुताबिक 21 सितंबर से 9 नवंबर तक कुल 1266 डिलीवरी हुई. जिसमे से 187 प्रीमेच्योर डिलीवरी हुई. 187 प्रीमेच्योर डिलीवरी में से कुल 24 बच्चे जन्म के वक्त low birth weight पाए गए जिनको Special New Born Care Unit में भर्ती कराया गया.

डॉ ने कहा, दो किलो से काम के बच्चे को अंडरवेट माना जाता है. प्रदूषित हवा में गर्भवती महिलाओं को सांस लेने में परेशानी होती है. जिसके कारण पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता. पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न पहुंचने से गर्भ में पल रहे बच्चे को हाइपरक्सिया हो जाता है.

डेटसामान्य डिलीवरीसमय से पहले डिलीवरी
31 अक्टूबर 1310
2 नवंबर232
3 नवंबर191
4 नवंबर 811
5 नवंबर170
6 नवंबर208

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीपी त्यागी के मुताबिक़ प्रदूषण में मौजूद पोल्यूटेंट्स नाक के रास्ते फेफड़ों तक पहुंचाते हैं फिर फेफड़ों की झिल्ली से छनकर शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचते हैं. गर्भनाल के रास्ते पोल्यूटेंट्स गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंच सकते हैं. जिससे कि गर्भ में पल रहे बच्चे के हार्ट, दिमाग और फेफड़ों पर प्रभाव पड़ता है.

कैसे करें बचाव

  • गर्भवती महिलाएं प्रदूषण के दिनों में डाइट का विशेष ख्याल रखें.
  • गर्भवती महिलाएं घर से बाहर निकलने से परहेज करें. बेहद जरूरी हो तो मास्क लगाकर निकलें.
  • निर्धारित समय पर ANC चेकअप जरूर कराएं.

Disclaimer: खबर केवल जानकारी के लिए है. इसमें दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय परामर्श का विकल्प नहीं हो सकती है।

गर्भ तक पहुंच रहा प्रदूषण

नई दिल्ली/गाजियाबाद: वायु प्रदूषण से लोगों की सांसों पर तो संकट है ही, गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों को भी ये प्रभावित कर रहा है. प्रदूषण के कारण हवा में हानिकारक जहर सांस लेने पर सीधे हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है . जो न केवल व्यस्कों के लिए बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए भी खतरनाक है. डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण के कारण प्रीमेच्योर यानी समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है.

9 महीने से पहले हो रही डिलीवरी: गाजियाबाद के महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुमाता तालिब के मुताबिक, "गर्भवती महिलाओं पर प्रदूषण का काफी प्रभाव पड़ रहा है. प्रदूषण के चलते प्रीमेच्योर डिलीवरी के केस सामने आ रहे हैं. 35 हफ्ते से पहले डिलीवरी होने को प्रीमेच्योर डिलीवरी कहते हैं. यानी 9 महीने पूरे होने से पहले ही गर्भवती महिला को लेबर पेन होना शुरू हो जाता है. दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने के दौरान प्रीमेच्योर डिलीवरी केसेस बढ़े हैं.

21 सितंबर से 9 नवंबर तक 187 प्रीमेच्योर डिलीवरी: डॉ तालिब के मुताबिक 21 सितंबर से 9 नवंबर तक कुल 1266 डिलीवरी हुई. जिसमे से 187 प्रीमेच्योर डिलीवरी हुई. 187 प्रीमेच्योर डिलीवरी में से कुल 24 बच्चे जन्म के वक्त low birth weight पाए गए जिनको Special New Born Care Unit में भर्ती कराया गया.

डॉ ने कहा, दो किलो से काम के बच्चे को अंडरवेट माना जाता है. प्रदूषित हवा में गर्भवती महिलाओं को सांस लेने में परेशानी होती है. जिसके कारण पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता. पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न पहुंचने से गर्भ में पल रहे बच्चे को हाइपरक्सिया हो जाता है.

डेटसामान्य डिलीवरीसमय से पहले डिलीवरी
31 अक्टूबर 1310
2 नवंबर232
3 नवंबर191
4 नवंबर 811
5 नवंबर170
6 नवंबर208

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीपी त्यागी के मुताबिक़ प्रदूषण में मौजूद पोल्यूटेंट्स नाक के रास्ते फेफड़ों तक पहुंचाते हैं फिर फेफड़ों की झिल्ली से छनकर शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचते हैं. गर्भनाल के रास्ते पोल्यूटेंट्स गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंच सकते हैं. जिससे कि गर्भ में पल रहे बच्चे के हार्ट, दिमाग और फेफड़ों पर प्रभाव पड़ता है.

कैसे करें बचाव

  • गर्भवती महिलाएं प्रदूषण के दिनों में डाइट का विशेष ख्याल रखें.
  • गर्भवती महिलाएं घर से बाहर निकलने से परहेज करें. बेहद जरूरी हो तो मास्क लगाकर निकलें.
  • निर्धारित समय पर ANC चेकअप जरूर कराएं.

Disclaimer: खबर केवल जानकारी के लिए है. इसमें दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय परामर्श का विकल्प नहीं हो सकती है।

Last Updated : Nov 11, 2023, 4:58 PM IST
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