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शाही फतेहपुरी मस्जिद का होगा रिनोवेशन, जानिए रोमांचक इतिहास - फतेहपुरी मस्जिद चांदनी चौक

दिल्ली की ऐतिहासिक फतेहपुरी मस्जिद का रिनोवेशन होने जा रहा है. दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इसके रिनोवेशन के लिए एक कमेटी बनाई है.

Fatehpuri Masjid
फतेहपुरी मस्जिद
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Published : Nov 28, 2019, 1:25 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली वक्फ बोर्ड पुरानी दिल्ली की ऐतिहासिक फतेहपुरी मस्जिद का कायाकल्प करने जा रहा है. दरअसल शाही फतेहपुरी मस्जिद में पिछले काफी समय से रिनोवेशन नहीं हुआ, जिसके चलते इसका बहुत सा हिस्सा जर्जर हालत में है. दिल्ली वक्फ बोर्ड ने फतेहपुरी मस्जिद का रेनोवेशन कराए जाने का ऐलान किया है.

दिल्ली वक्फ बोर्ड फतेहपुरी मस्जिद का रिनोवेशन करेगा

दिल्ली वक्फ बोर्ड के सदस्य हिमाल अख्तर ने बताया कि बोर्ड चेयरमैन ने पिछले दिनों ही फतेहपुरी मस्जिद का निरीक्षण किया था. विचार-विमर्श के बाद आदेश दिया है कि मस्जिद के रिनोवेशन काम को जल्द से जल्द शुरू किया जाए.

374 साल पुरानी मस्जिद

हिमाल अख्तर ने कहा-

मस्जिद फतेहपुरी को बने 374 साल हो गए हैं. ऐसा लगता है तब से अब तक इसका रिनोवेशन नहीं हुआ है. न तो सरकार ने इस तरफ ध्यान दिया और न ही पहले के बोर्ड ही इस तरफ कोई तवज्जो दे पाए. हमने जब मस्जिद जाकर देखा तो बहुत सारी चीजों की हालत खस्ता मिली. इसी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड की तरफ से एक टीम बनाई गई है, जिसमें इंजीनियर भी शामिल हैं.

'जल्द शुरू होगा काम'

हिमाल अख्तर ने बताया कि इस टीम ने मस्जिद जाकर उसका निरीक्षण कर लिया है. जल्द ही रिपोर्ट बनाकर बोर्ड चेयरमैन के समक्ष पेश कर देंगे. उसके बाद टेंडर प्रक्रिया के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि हम फतेहपुरी मस्जिद को पूरी तरह से रिपेयर कराएंगे.

मस्जिद को लेकर गंभीर हैं वक्फ बोर्ड चेयरमैन

बोर्ड के सदस्य हिमाल अख्तर ने बताया कि मस्जिद फतेहपुरी को लेकर बोर्ड चेयरमैन अमानतुल्लाह खान बेहद गंभीर हैं. वो पहले निरीक्षण करते हैं उसके बाद ही आगे कोई कदम उठाते हैं. उन्होंने खुद मस्जिद का दौरा किया और वहां के हालात को देखकर तत्काल एक कमेटी का गठन कर दिया.

फतेहपुरी मस्जिद का इतिहास

फतेहपुरी मस्जिद चांदनी चौक की पुरानी गली के पश्चिमी छोर पर मौजूद है. इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी फतेहपुरी बेगम ने 1650 में करवाया था. क्योंकि फतेहपुरी बेगम फतेहपुर से थी ऐसे में इस मस्जिद का नाम मस्जिद फतेहपुरी पड़ गया.

ताजमहल परिसर में बनी मस्जिद भी इन्हीं बेगम के नाम पर है. लाल पत्थरों से बनी ये मस्जिद मुगल वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है. मस्जिद के दोनों और लाल पत्थर से बने स्तंभों की कतारें हैं और एक हौज (कुंड) भी मौजूद है जोकि सफेद संगमरमर से बनाया गया है.

अंग्रेजों ने कर दिया था नीलाम

अंग्रेजों ने इस मस्जिद को 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद नीलाम कर दिया था, जिसे राय लाला चुन्नीमल ने मात्र ₹19000 में खरीद लिया था. इनके वंशज आज भी चांदनी चौक की चुन्नामल हवेली में रहते हैं, जिन्होंने इस मस्जिद को संभाले रखा था. बाद में 1877 में सरकार ने इसे 4 गांवों के बदले में वापस अधिकृत कर मुसलमानों को दे दिया.

'ठीक से नहीं हुआ रखरखाव'

मस्जिद के रखरखाव की व्यवस्था ठीक ढंग से ना होने के कारण मस्जिद का बहुत सा हिस्सा जर्जर हालत में पहुंच गया है. इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड ने मस्जिद को रेनोवेट करने का निर्णय लिया है.

नई दिल्ली: दिल्ली वक्फ बोर्ड पुरानी दिल्ली की ऐतिहासिक फतेहपुरी मस्जिद का कायाकल्प करने जा रहा है. दरअसल शाही फतेहपुरी मस्जिद में पिछले काफी समय से रिनोवेशन नहीं हुआ, जिसके चलते इसका बहुत सा हिस्सा जर्जर हालत में है. दिल्ली वक्फ बोर्ड ने फतेहपुरी मस्जिद का रेनोवेशन कराए जाने का ऐलान किया है.

दिल्ली वक्फ बोर्ड फतेहपुरी मस्जिद का रिनोवेशन करेगा

दिल्ली वक्फ बोर्ड के सदस्य हिमाल अख्तर ने बताया कि बोर्ड चेयरमैन ने पिछले दिनों ही फतेहपुरी मस्जिद का निरीक्षण किया था. विचार-विमर्श के बाद आदेश दिया है कि मस्जिद के रिनोवेशन काम को जल्द से जल्द शुरू किया जाए.

374 साल पुरानी मस्जिद

हिमाल अख्तर ने कहा-

मस्जिद फतेहपुरी को बने 374 साल हो गए हैं. ऐसा लगता है तब से अब तक इसका रिनोवेशन नहीं हुआ है. न तो सरकार ने इस तरफ ध्यान दिया और न ही पहले के बोर्ड ही इस तरफ कोई तवज्जो दे पाए. हमने जब मस्जिद जाकर देखा तो बहुत सारी चीजों की हालत खस्ता मिली. इसी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड की तरफ से एक टीम बनाई गई है, जिसमें इंजीनियर भी शामिल हैं.

'जल्द शुरू होगा काम'

हिमाल अख्तर ने बताया कि इस टीम ने मस्जिद जाकर उसका निरीक्षण कर लिया है. जल्द ही रिपोर्ट बनाकर बोर्ड चेयरमैन के समक्ष पेश कर देंगे. उसके बाद टेंडर प्रक्रिया के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि हम फतेहपुरी मस्जिद को पूरी तरह से रिपेयर कराएंगे.

मस्जिद को लेकर गंभीर हैं वक्फ बोर्ड चेयरमैन

बोर्ड के सदस्य हिमाल अख्तर ने बताया कि मस्जिद फतेहपुरी को लेकर बोर्ड चेयरमैन अमानतुल्लाह खान बेहद गंभीर हैं. वो पहले निरीक्षण करते हैं उसके बाद ही आगे कोई कदम उठाते हैं. उन्होंने खुद मस्जिद का दौरा किया और वहां के हालात को देखकर तत्काल एक कमेटी का गठन कर दिया.

फतेहपुरी मस्जिद का इतिहास

फतेहपुरी मस्जिद चांदनी चौक की पुरानी गली के पश्चिमी छोर पर मौजूद है. इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी फतेहपुरी बेगम ने 1650 में करवाया था. क्योंकि फतेहपुरी बेगम फतेहपुर से थी ऐसे में इस मस्जिद का नाम मस्जिद फतेहपुरी पड़ गया.

ताजमहल परिसर में बनी मस्जिद भी इन्हीं बेगम के नाम पर है. लाल पत्थरों से बनी ये मस्जिद मुगल वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है. मस्जिद के दोनों और लाल पत्थर से बने स्तंभों की कतारें हैं और एक हौज (कुंड) भी मौजूद है जोकि सफेद संगमरमर से बनाया गया है.

अंग्रेजों ने कर दिया था नीलाम

अंग्रेजों ने इस मस्जिद को 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद नीलाम कर दिया था, जिसे राय लाला चुन्नीमल ने मात्र ₹19000 में खरीद लिया था. इनके वंशज आज भी चांदनी चौक की चुन्नामल हवेली में रहते हैं, जिन्होंने इस मस्जिद को संभाले रखा था. बाद में 1877 में सरकार ने इसे 4 गांवों के बदले में वापस अधिकृत कर मुसलमानों को दे दिया.

'ठीक से नहीं हुआ रखरखाव'

मस्जिद के रखरखाव की व्यवस्था ठीक ढंग से ना होने के कारण मस्जिद का बहुत सा हिस्सा जर्जर हालत में पहुंच गया है. इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड ने मस्जिद को रेनोवेट करने का निर्णय लिया है.

Intro:दिल्ली वक्फ बोर्ड पुरानी दिल्ली की ऐतिहासिक फतेहपुरी मस्जिद का कायाकल्प करने जा रहा है, दरअसल शाही फतेहपुरी मस्जिद में पिछले काफी समय से रिनोवेशन का कोई काम नहीं हुआ जिसके चलते मस्जिद का बहुत सा हिस्सा जर्जर हालत में पहुंच गया है,इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड ने जल्द ही फतेहपुरी मस्जिद का रेनोवेशन कराए जाने का ऐलान किया है. दिल्ली वक्फ बोर्ड के सदस्य हिमाल अख्तर ने बताया की बोर्ड चेयरमैन ने पिछले दिनों ही फतेहपुरी मस्जिद का निरीक्षण किया था जिसके बाद उन्होंने गहन विचार-विमर्श के बाद इस बाबत आदेश दिया है कि मस्जिद के रिनोवेशन काम को जल्द से जल्द शुरू किया जाए.


Body:दिल्ली वक्फ बोर्ड के सदस्य हिमाल अख्तर ने बताया की इस मस्जिद फतेहपुरी को बने 374 साल हो गए हैं, लगता है तब से अब तक इसका रिनोवेशन नहीं हुआ है, न तो सरकार ने इस तरफ ध्यान दिया और न ही पहले के बोर्ड ही इस तरफ कोई तवज्जो दे पाए. हम लोगों ने जब मस्जिद जाकर देखा तो बहुत सारी चीजों की हालत बहुत ज्यादा खस्ता मिली, इसी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड की तरफ से एक टीम बनाई गई है जिसमें इंजीनियर भी शामिल है.
उन्होंने बताया कि इस टीम ने मस्जिद जाकर उसका निरीक्षण कर लिया है जल्द ही रिपोर्ट बनाकर बोर्ड चेयरमैन के समक्ष पेश कर देंगे, उसके बाद टेंडर प्रक्रिया के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि हम फतेहपुरी मस्जिद को पूरी तरह से रिपेयर कराएंगे.हम चाहते हैं क्योंकि इस मस्जिद फतेहपुरी का ऐतिहासिक महत्व है, इसकी जो अहमियत है वह बनी रहनी चाहिए, इसके लिए चाहे कितनी भी मेहनत लगे,चाहे कितना पैसा हमें खर्च करना पड़े हम करेंगे.

मस्जिद को लेकर बेहद गंभीर है वक्फ बोर्ड चेयरमैन
बोर्ड के सदस्य हिमाल अख्तर ने बताया कि मस्जिद फतेहपुरी को लेकर बोर्ड चेयरमैन अमानतुल्लाह खान बेहद गंभीर है उनका काम करने का तरीका यह है कि वह पहले उस चीज का निरीक्षण करते हैं उसके बाद मुतमईन होने के बाद ही आगे कोई कदम उठाते हैं उन्होंने खुद मस्जिद का दौरा किया और वहां के हालात को देखकर तत्काल एक कमेटी का गठन कर दिया, जिसमें इंजीनियर भी शामिल है जल्द ही कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद मस्जिद के काम का टेंडर होगा और फिर एक्सपर्ट की निगरानी में रेनोवेशन का काम भी शुरू हो जाएगा.

आखिर क्या है फतेहपुरी मस्जिद का इतिहास
अगर फतेहपुरी मस्जिद के इतिहास की बात की जाए तो फतेहपुरी मस्जिद चांदनी चौक की पुरानी गली के पश्चिमी छोर पर मौजूद है इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी फतेहपुरी बेगम ने 1650 में करवाया था क्योंकि फतेहपुरी बेगम फतेहपुर से थी ऐसे में इस मस्जिद का नाम मस्जिद फतेहपुरी पड़ गया ताजमहल परिसर में बनी मस्जिद भी इन्हीं बेगम के नाम पर है लाल पत्थरों से बनी यह मस्जिद मुगल वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है मस्जिद के दोनों और लाल पत्थर से बने स्तंभों की कतारें मस्जिद में एक हौज (कुंड) भी मौजूद है जोकि सफेद संगमरमर से बनाया गया है.

अंग्रेजों ने कर दिया था मस्जिद को नीलाम
अंग्रेजों ने इस मस्जिद को 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद नीलाम कर दिया था, जिसे राय लाला चुन्नीमल ने मात्र ₹19000 में खरीद लिया था, जिनके वंशज आज भी चांदनी चौक की चुन्नामल हवेली में रहते हैं जिन्होंने इस मस्जिद को संभाले रखा था. बाद में 1877 में सरकार ने इसे 4 गांवों के बदले में वापस अधिकृत कर मुसलमानों को दे दिया, जब उन्हें दिल्ली में रहने का दोबारा अधिकार दिया गया था. ऐसी एक दूसरी मस्जिद अकबराबादी बेगम द्वारा बनवाई गई थी.


Conclusion:कहने घोषित फतेहपुरी का ऐतिहासिक स्वरूप है लेकिन यहां के रखरखाव की व्यवस्था ठीक ढंग से ना होने के कारण मस्जिद का बहुत सा हिस्सा जर्जर हालत में पहुंच गया है इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड ने मस्जिद को रेनोवेट करने का निर्णय लिया है देखना यह होगा कि आखिर कब तक मस्जिद के रेनोवेशन का काम शुरू हो पाएगा और कब मस्जिद को नए रूप रंग में देख पाएंगे.


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हिमाल अख्तर
सदस्य,दिल्ली वक्फ बोर्ड
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